फर्जी TRP केस में नया खुलासा:FIR में रिपब्लिक टीवी का नहीं, बल्कि इंडिया टुडे का नाम; मुंबई पुलिस की सफाई- गिरफ्तार आरोपी ने रिपब्लिक का नाम लिया था

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TRP यानी टेलिविजन रेटिंग पॉइंट में फर्जीवाड़ा करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। मुंबई में TRP की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के डिप्टी जनरल मैनेजर नितिन देवकर ने भी FIR दर्ज करवाई है। इसकी जो कॉपी सामने आई है उसमें ‘रिपब्लिक’ नहीं बल्कि ‘इंडिया टुडे’ का नाम मेंशन किया गया है।

पुलिस का दावा- गवाह ने रिपब्लिक टीवी का नाम लिया
FIR की कॉपी सामने आने के बाद मुंबई पुलिस ने सफाई दी है। मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) मिलिंद भरांबे ने बताया कि हंसा की FIR में इंडिया टुडे का नाम जरूर था, लेकिन गिरफ्तार किए गए एक आरोपी ने पूछताछ में रिपब्लिक टीवी और 2 मराठी चैनलों का नाम लिया था। अभी तक जो जांच हुई है उस आधार से इन तीन चैनलों के खिलाफ सबूत मिले हैं। हमारी जांच अभी भी जारी है। अगर किसी भी चैनल के खिलाफ सबूत मिलता है तो जांच उसी हिसाब से आगे बढ़ेगी।

गुरुवार को मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी और 2 मराठी चैनल फर्जी TRP हासिल करने के खेल में शामिल थे। वे पैसे देकर TRP बढ़ा रहे थे। इस मामले में मुंबई पुलिस ने 2 मराठी चैनलों के मालिक समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया था।

आज समन भेज सकती है पुलिस

इस मामले में पुलिस आज रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी, प्रमोटर्स और कुछ दूसरे लोगों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला सकती है। कमिश्नर ने गुरुवार के इसके संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि जांच का दायरा बढ़ने पर कुछ और लोगों को समन किया जा सकता है।

हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के डिप्टी जनरल मैनेजर नितिन देवकर ने 6 अक्टूबर को FIR करवाई थी।
हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के डिप्टी जनरल मैनेजर नितिन देवकर ने 6 अक्टूबर को FIR करवाई थी।

कैसे चल रहा था TRP का खेल?
मुंबई पुलिस ने गुरुवार को बताया कि जांच में सामने आया कि जिनके घरों में TRP मीटर लगे हैं, उन्हें पैसे देकर दिनभर एक ही चैनल देखने के लिए कहा जाता था। कुछ ऐसे घरों का पता चला है जो बंद थे, उसके बावजूद अंदर टीवी चलते थे। इन घरों के मालिकों को चैनल या एजेंसी की तरफ से रोजाना 500 रुपए तक दिए जाते थे। मुंबई में मीटर लगाने का काम हंसा एजेंसी को दिया हुआ था। इस एजेंसी के कुछ लोगों ने चैनल के साथ मिलकर यह खेल किया। जांच के दौरान हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने सीक्रेट डेटा भी शेयर किया।

रिपब्लिक टीवी ने कहा- कमिश्नर के खिलाफ केस करेंगे
चैनल के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, “मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं, क्योंकि हमने सुशांत सिंह राजपूत केस में उनकी जांच पर सवाल उठाए थे। रिपब्लिक टीवी मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेगा। पालघर केस हो, सुशांत मामला हो या फिर कोई और मामला…रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग के चलते ही यह कार्रवाई की गई है। BARC ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं किया है, ऐसे में परमबीर सिंह का यह कदम पूरी तरह उन्हें एक्सपोज कर रहा है। उन्हें आधिकारिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। वे अदालत में हमारा सामना करने के लिए तैयार रहें।”

क्या था पूरा मामला यहां जाने

मुंबई पुलिस ने गुरुवार को फॉल्स टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर टीआरपी खरीदते थे और बढ़वाते थे। इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन चैनलों से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। उधर, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने इन आरोपों को झूठा करार दिया।

कमिश्नर ने कहा कि हमें ऐसी सूचना मिली थी कि फेक प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने छानबीन की और इस रैकेट का भंडाफोड़ किया। रिपब्लिक के प्रमोटर और डायरेक्टर के खिलाफ जांच की जा रही है। हिरासत में लिए गए लोगों ने यह बात कबूल की है कि ये चैनल पैसे देकर टीआरपी बदलवाते थे।

कैसे चल रहा था टीआरपी का खेल?
कमिश्नर ने बताया कि जांच के दौरान ऐसे घर मिले हैं, जहां टीआरपी का मीटर लगा होता था। इन घरों के लोगों को पैसे देकर दिनभर एक ही चैनल चलवाया जाता था, ताकि चैनल की टीआरपी बढ़े। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ घर तो ऐसे पता चले हैं, जो बंद थे, उसके बावजूद अंदर टीवी चलते थे। एक सवाल के जवाब में कमिश्नर ने यह भी कहा कि इन घर वालों को चैनल या एजेंसी की तरफ से रोजाना 500 रुपए तक दिए जाते थे। मुंबई में पीपुल्स मीटर लगाने का काम हंसा नाम की एजेंसी को दिया हुआ था। इस एजेंसी के कुछ लोगों ने चैनल के साथ मिलकर यह खेल किया। जांच के दौरान हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने गोपनीय घरेलू डेटा शेयर किया।

रिपब्लिक टीवी ने कहा- ये आरोप झूठे हैं
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं, क्योंकि हमने सुशांत सिंह राजपूत केस में उनकी जांच पर सवाल उठाए थे। रिपब्लिक टीवी मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेगा। भारत के लोग सच जानते हैं। सुशांत केस में मुंबई पुलिस कमिश्नर की जांच सवालों के घेरे में थी। पालघर केस हो, सुशांत मामला हो या फिर कोई और मामला रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग के चलते ही ये कदम उठाया गया है। इस तरह से निशाना बनाने की कोशिश रिपब्लिक टीवी में मौजूद हर व्यक्ति के सच तक पहुंचने के संकल्प को और मजबूत करेगी। BARC ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं किया है, ऐसे में परमबीर सिंह का यह कदम पूरी तरह उन्हें उजागर कर रहा है। उन्हें आधिकारिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। वे अदालत में हमारा सामना करने के लिए तैयार रहें।’

टीआरपी क्या होती है? 4 पॉइंट्स में समझिए

  • टीआरपी कैसे तय होती है: टीआरपी का फुल फार्म टेलीविजन रेटिंग पॉइंट है। यह एक ऐसा तरीका है जिसकी मदद से पता चलता है कि दर्शक क्या देख रहे हैं। इससे किसी भी टीवी कार्यक्रम की लोकप्रियता को समझने में मदद मिलती है। यानी यह पता चलता है कि कौन सा चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। जिस चैनल को जितने ज्यादा लोग देखेंगे, जितनी देर तक देखेंगे उसकी टीआरपी उतनी ही ज्यादा होगी।
  • टीआरपी क्यों अहम है: टीआरपी से विज्ञापनदाता को यह पता चलता है कि किस कार्यक्रम में एड दिखाने से ज्यादा लोग देखेंगे। सीधा कहा जाए तो जिस कार्यक्रम की टीआरपी ज्यादा उसे ज्यादा दरों पर ज्यादा एड मिलते हैं। इसलिए, टेलीविजन की दुनिया में टीआरपी बेहद अहम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सालाना 34 हजार करोड़ रुपए का टीवी विज्ञापन का मार्केट है।
  • भारत में कौन तय करता है टीआरपी: भारत में टीआरपी का रेगुलेटर बार्क यानी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल है। यह इंटरटेनमेंट और न्यूज चैनल की अलग-अलग टीआरपी जारी करती है। इसी रिपोर्ट में सुशांत केस के दौरान रिपब्लिक चैनल की टीआरपी को आज तक चैनल से ज्यादा बताया गया था।
  • कैसे निकालती है TRP: इसके लिए वॉटर मार्क टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है। इसके तहत ब्रॉडकास्टर्स के प्रोग्राम के ऑडियो को रिलीज करने से पहले खास कोड मिक्स किया जाता है। इसे हम सुन नहीं सकते। इस कोड को डिटेक्ट करने के लिए डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे बार ओ मीटर (Bar O Meter) कहते हैं। इसे लोगों के घरों में इंस्टॉल किया जाता है। बार ओ मीटर टीवी से निकलने वाले ऑडियो के अनुसार ये डिटेक्ट करता है कि कौन सा चैनल प्ले हो रहा है। इस आधार पर पूरा डेटा निकालकर, TRP रेटिंग जारी की जाती है।

बार्क क्या है ?
बार्क का पूरा नाम ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (Broadcast Audience Research Council)है। ये एक जॉइंट कंपनी है, जिसमें देश के ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाता और मीडिया एजेंसियां शामिल हैं। बार्क इंडिया तकनीक से टीवी ऑडियंस का सटीक आंकड़ा देती है। इसके डेटा और इनसाइट टेलीविजन इंडस्ट्री में कई फैसले लेने में मदद मिलती है।

वही इंडिया टूंडे ने मामले में एक खबर प्रकाशित कर आरोपों का खंडन किया

मुंबई पुलिस ने कहा है कि टीआरपी से हेराफेरी के जिस रैकेट का गुरुवार को पर्दाफाश हुआ है उसमें उसे इंडिया टुडे के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ​मिलिंद भरांबे ने कहा है कि एफआईआर में इंडिया टुडे का नाम था, लेकिन न ही आरोपी ने और न ही गवाह ने इस दावे की पुष्टि की.

मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर का बयान इस प्रकार है— ‘एफआईआर में इंडिया टुडे के नाम का उल्लेख किया गया था, लेकिन किसी भी आरोपी या गवाह ने इसकी पुष्टि नहीं की. इसके विपरीत आरोपियों और गवाहों ने खासतौर से रिपब्लिक टीवी, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा का नाम लिया. इस बारे में गहन जांच चल रही है.’

रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी ने टीआरपी घोटाले में अपने खिलाफ जांच करने के लिए मुंबई पुलिस पर पलटवार किया है. अर्नब गोस्वामी ने इस लड़ाई में इंडिया टुडे का नाम घसीटते हुए कहा कि हंसा रिसर्च द्वारा दायर एफआईआर में इंडिया टुडे टीवी का नाम है. सच तो यह है कि एफआईआर में इंडिया टुडे टीवी का उल्लेख था, लेकिन इसकी आरोपियों या गवाहों से पुष्टि नहीं हो पाई, जिन्होंने खासतौर से तीन चैनलों में रिपब्लिक टीवी का नाम लिया जिसे देखने के लिए उन्हें पैसे दिये गये.

इंडिया टुडे के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले. आरोपियों से पूछताछ में एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ जो टीवी रेटिंग में हेराफेरी कर रहा था. मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट ने इसमें तीन चैनलों को लिप्त पाया जिसमें अर्नब गोस्वामी का रिपब्लिक टीवी भी है.

राज्य के सत्तारूढ़ दल के राजनीतिज्ञों के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों को लेकर अर्नब गोस्वामी के​ खिलाफ एक मामला दर्ज हुआ है, इसके बाद से ही ​अर्नब गोस्वामी और पुलिस कमिश्नर के बीच लड़ाई चल रही है.

सुशांत सिंह राजपूत केस में महाराष्ट्र सरकार ने आरोप लगाया है कि अर्नब गोस्वामी फेक न्यूज चला रहे हैं और दुष्प्रचार कर रहे हैं. अर्नब पर यह भी आरोप सरकार ने लगाया है कि वे अपुष्ट सूचनाओं को प्रसारित कर रहे हैं जिससे यूट्यूब पर साजिश थ्योरी चलाने वालों को बढ़ावा मिल रहा है.

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