मुंबई में डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से पहली मौत हुई है। शहर के घाटकोपर इलाके की 63 वर्षीय महिला ने 21 जुलाई को कोरोना संक्रमित होने के बाद 27 जुलाई को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। गुरुवार को उनकी नई रिपोर्ट आई, जिसमें स्पष्ट हुआ है कि उनकी मौत डेल्टा प्लस वैरिएंट से हुई है। खास बात ये है कि महिला ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थीं।
डेल्टा प्लस वैरिएंट से महाराष्ट्र में अब तक 3 मौत हो चुकी हैं। पहली मौत 13 जून को रत्नागिरी में 80 वर्षीय महिला की हुई थी। शुक्रवार को भी महाराष्ट्र के रायगढ़ में डेल्टा प्लस वेरिएंट से एक 69 वर्षीय बुजुर्ग की मौत की पुष्टि जिलाधिकारी निधि चौधरी ने की है।
राज्य सरकार ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को जानकारी दी थी कि मुंबई में 7 लोग डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं। इसके बाद BMC ने इन मरीजों के संपर्क में आए लोगों से बातचीत करनी शुरू की। ये महिला भी उन सात लोगों में ही शामिल थी।
संपर्क में आने वाले 2 अन्य मरीज भी डेल्टा प्लस से संक्रमित
मुंबई स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. मंगला गोमारे ने बताया कि महिला के संपर्क में आए 6 अन्य लोगों की भी जांच कराई गई। इनमें से 2 और लोगों में डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता चला है। अभी कुछ और लोगों की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
शुरू में घर पर चला इलाज
डॉक्टर गोमारे ने बताया कि महिला इंटरसिटिशियल लंग और ऑब्सट्रक्टिव एयरवे से पीड़ित थी। शुरुआत में उन्हें घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया, बाद में 24 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां तीन दिन के इलाज के बाद उनकी मौत हो गई।
राज्य में 65 मरीज डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित
बुधवार को महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 20 नए केस मिले हैं। अब यहां इस वैरिएंट के मरीजों की संख्या 65 हो गई है। जलगांव जिले में सबसे अधिक 13 मरीज हैं।
शहरों की बात करें तो सबसे ज्यादा 7 मरीज मुंबई में हैं। इसके बाद पुणे में 3, नांदेड़ में 2, गोंदिया में 2, रायगढ़ में 2 और पालघर में 2 मरीज मिले हैं। इसी प्रकार चंद्रपुर और अकोला जिले में एक-एक मरीज पाए गए हैं। महाराष्ट्र में मिले 65 मरीजों में से 32 पुरुष और 33 महिलाएं हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब तक जितने सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई है। उसमें से 80% में डेल्टा प्लस वैरिएंट पाए जाने की पुष्टि हुई है।
हर महीने 100 सैंपल की होती है जांच
महाराष्ट्र सरकार ने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) संस्था के अंतर्गत काम करने वाली इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटेड बायोलॉजी लैब के साथ समझौता किया है। इस नेटवर्क से हर महीने राज्य के प्रत्येक जिले से 100 सैंपल की जांच की जाती है।
महाराष्ट्र में 5 लैब और 5 हॉस्पिटल को सेंटीनल सर्वे के लिए चुना गया है। प्रत्येक सेंटीनल सेंटर से 15 दिनों में 15 लैब के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और राष्ट्रीय पेशी विज्ञान संस्था (पुणे) के पास भेजा जाता है।