किसान आंदोलन में बॉर्डर जाम होने से लोग ही नहीं परेशान हो रहे, बल्कि स्थानी सब्जी किसानों पर मार पड़ रही है। मंडी में उनकी सब्जी का दाम बीते पांच दिन में 5 10 गुना कम हो गए हैं, जबकि लोगों को यही सब्जी महंगी मिल रही है।
रिलायंस, मदर डेयरी व वाल मार्ट समेत अन्य कंपनियों को जो बंद व फूल गोभी किसान 10 रुपए किलो बेचते थे, वही गोभी किसान लोकल मंडी में आढ़तियों को 3 से 5 रुपए प्रति किलाे में बेचने काे मजबूर हैं।
यह बात और है कि बिचौलियों के कारण यही गोभी खुले बाजार में 30 रुपए बिक रही है। उधर बाहर से आने वाली सब्जियों की आवक न होने से इनके दाम आसमान छू रहे हैं। राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र आदि जगहों से आने वाली आलू और प्याज की नई फसल नहीं आ पा रही है। इसके चलते नया आलू 50 और प्याज 60 रुपए किलो बिक रहा हैं। जबकि इस सीजन में आलू 20 और प्याज 40 रुपए किलो बिकते रहे हैं।
कैंसर में उपयोगी ब्रोकली उगाते हैं किसान, जो देश भर में जाती है
कैंसर में उपयोग ब्रोकली (हरी, लेकिन फूल गोभी के समान) हमारे किसान उगाते हैं। इसके लिए अवार्ड भी मिल चुका है। यह ब्रोकली दिल्ली सहित देश भर में जाती है। लेकिन 6 दिनों से बंद है। अवार्ड पा चुके जसबीर मलिक ने कहा कि सरकार समाधान निकालकर हमारी जान बचाए। हमारे 6 किसान करीब 50 एकड़ में ब्रोकली उगाते हैं। उनकी फसल नहीं जा रही है।
पड़ाेसी राज्याें व देश- विदेशाें से आने वाली फल व सब्जियाें की आवक घटी
दिल्ली बॉर्डर सील होने से पानीपत में राजस्थान, महाराष्ट्र, यूपी व दक्षिण भारत विदेशाें से हाेने वाली फल व सब्जियों की आवक भी आधे से ज्यादा घट गई हैं। इनमें प्रमुख आलू, प्याज, हरी मिर्च व टमाटर हैं। इन दिनाें में संतरा, किवी, पपीता, अमरूद, किन्नू, सेब, विदेशी अंगूर समेत अन्य प्रकार के फलाें की आवक भी बहुत कम हाे गई हैं। जाे आवक हाे रही है, वह जीटी राेड काे छाेड़ यूपी व अन्य रास्ताें से ही हाे रही हैं
इस तरह से समझें किसान व आमजन पर पड़ने वाले प्रभाव
घाटे में किसान : जिले के 300 किसान 2000 एकड़ से ज्यादा जमीन में सब्जियां उगाते हैं। उग्रा खेड़ी के प्रगतिशील किसान जसबीर मलिक का कहना है कि इन दिनाें में खेत में सबसे ज्यादा फूल व बंद गाेभी के अलावा ब्राेकली है। स्थानीय मंडियाें में ही 3 से 5 रुपए प्रति किलाे तक बेचने काे मजबूर हैं। ऐसे में किसानाें काे 5 से 7 रुपए प्रति किलाे तक नुकसान हाे रहा है।
लागत भी पूरी नहीं हाे रही
सब्जी उत्पादक एवं प्रगतिशील किसान राम प्रताप शर्मा ने बताया कि सब्जी उगाने में प्रति एकड़ कम से कम 50 हजार रुपए तक खर्च किया है। ब्राेकर हमसे अच्छे दामाें में सब्जी खरीद दिल्ली समेत अासपास की मंडियाें में बेचते थे। अब नहीं खरीद रहे। इससे किसानाें काे घाटा ही हाे रहा है।
आम आदमी : आम आदमी काे आलू अब भी 50 रुपए प्रति किलाे मिल रहा है। वहीं प्याज भी 60 रुपए प्रति किलाे तक मिल रहा है। गाेभी 15 से 20 रुपए, गाजर 20, टमाटर 40, बैंगन 20 रुपए, मटर 50 व हरी मिर्च 60 रुपए प्रति किलाे तक हैं। सेक्टरों व माॅडल टाउन में इनके रेट 5 से 10 रुपए किलाे तक ज्यादा हैं।
कहां से काैन सी सब्जी व फल की हाेती है आवक
सब्जी मंडी आढ़ती एसाेसिएशन प्रधान सुरेश कादियान व थाेक विक्रेता विकास शर्मा ने बताया कि अब लाेकल आलू की आवक शुरू हाे चुकी है। पानीपत मंडी में राेजाना 1500 से 1700 कट्टाें की लागत है। पिछले सप्ताह में स्टाेर का आलू था। जाे कि 50 रुपए प्रति किलाे तक बिकता था। अब हरियाणा के अंबाला, पंजाब, यूपी के मेरठ व आगरा से लाेकल यानि पुखराज आलू आना शुरू हाे चुका है। लेकिन आंदाेलन के कारणा 500 से 700 कट्टे तक भी नहीं आ रहे। इसलिए लाेकल आलू भी 40 से 50 रुपए प्रति किलाे तक ही बिक रहा है।
महाराष्ट्र व काेलकाता का अमरूद, आस्ट्रेलिया की किवी व अमेरिकी अंगूर भी महंगा : महाराष्ट्र व काेलकाता का अमरूद, आस्ट्रेलिया की किवी व अमेरिकी अंगूर भी इन दिनाें में महंगा ही बिक रहा है। अमेरिकी अंगूर 280, ऑस्टेलियाई बाबू बाेसा 220, नागपुर का संतरा 50 से 60 रुपए, कश्मीरी व हिमाचली सेब 80 से 140 रुपए प्रति किलाे तक है।
Farmer Protests: कोविड-19 और किसान आंदोलन की मार अब पंजाब के सब्जी उत्पादक किसानों पर पडी है। सब्जियों का रेट अर्श से फर्श पर आ गया है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का मोल तक नहीं मिल रहा। हालात यह है कि लुधियाना की सब्जी मंडी में गाेभी दाे रुपये किलाे बिक रही है। सर्वाधिक नुकसान गोभी उगाने वाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
डिमांड कम और पैदावार अधिक होने के कारण मंडियों में गोभी के ढेर लगे हुए हैं। होलसेल में गोभी के दो से तीन रुपये प्रति किलो में भी किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे। उन्हें इसे बेचने के लिए पूरा दिन मंडियों में गुजारना पड़ रहा है।
टमाटर-प्याज को छोड़कर अन्य सब्जियों की बात करें तो इनके दाम में भी काफी कमी आई है। किसानों के लिए चिंता की बात यह भी है कि अब आगे शादियों की सीजन नहीं है और उनके खेत सब्जियों से भरे पड़े हैं। किसानों का कहना है कि दिल्ली में चल रहे आंदोलन का भी असर पड़ा है। पहले जो सब्जी यहां से दिल्ली की मंडी में जाती थी, वह भी यहीं बेचनी पड़ रही है। दूसरा हरियाणा के किसान भी दिल्ली आंदोलन के कारण लुधियाना की मंडी में आकर सब्जियां बेच रहे हैं। इसी वजह से भी वहां पर उन्हें सही रेट नहीं मिल रहा है।