किसान आंदोलन का 101वां दिन:पलवल में KMP-KGP एक्सप्रेस-वे पर जाम शुरू; किसान 4 बजे तक रोके रहेंगे वाहन, जरूरी सेवाओं की गाड़ियां नहीं रोकेंगे

KMP-KGP एक्सप्रेस वे पर जाम लगाकर बैठे किसान। किसान नेताओं ने कहा है कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता और MSP पर कानून नहीं बन जाता, तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे।

0 989,068

पलवल/बहादुरगढ़/सोनीपत. किसान आंदोलन का आज 101वां दिन है। कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे किसान शनिवार को हरियाणा में KMP-KGP एक्सप्रेस-वे 11 से 4 बजे तक जाम कर रहे हैं। इस दौरान जरूरी सेवाओं के वाहनों को नहीं रोका जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर यह जाम लगाया जा रहा है। वहीं, पुलिस प्रशासन हालात से निपटने को तैयार है। पुलिस प्रशासन ने शरारती तत्वों से निपटने की रणनीति तैयार करके DSP स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस जवानों की ड्यूटियां लगा रखी हैं।

KMP-KGP एक्सप्रेस वे पर तैनात पुलिस बल।
KMP-KGP एक्सप्रेस वे पर तैनात पुलिस बल।

DSP स्तर के अधिकारियों की सहायता के लिए संबंधित थाना और चौकी प्रभारी के अलावा पुलिस के जवान एवं RAF अर्धसैनिक बलों की तैनाती दंगारोधी साजो-सामान के साथ की गई है। जिले में रोड जाम करने की संभावना के मद्देनजर ट्रैफिक डायवर्जन की भी अलग से व्यवस्था की गई है। इसके अलावा 8 स्थानों नेशनल हाईवे पर गदपुरी बॉर्डर, दूधौला मोड़, करमन बॉर्डर, बाबरी मोड होडल, असावटा मोड, आगरा चौक एवं KGP पर जलहाका व KMP पर नूंह बार्डर पर नाके लगाए जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा है कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता और MSP पर कानून नहीं बन जाता, तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे।

पलवल में KMP और KGP एक्यप्रेस-वे के जॉइंट पर धरने में शामिल किसान।
पलवल में KMP और KGP एक्यप्रेस-वे के जॉइंट पर धरने में शामिल किसान।

26 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसानों ने रोहतक-दिल्ली हाईवे पर बहादुरगढ़ के निकट स्थित टीकरी बॉर्डर पर और नेशनल हाईवे नंबर 1 पर सोनीपत के कुंडली स्थित बॉर्डर पर किसान धरने पर बैठ गए थे। पूरे हरियाणा में किसानों और पुलिस के बीच झड़प की खबरें आई थी। लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद धरने के पहले दिन ही पंजाब के एक ट्रैक्टर मैकेनिक जनकराज की टीकरी के नजदीक कार में जिंदा जल जाने से मौत हो गई। फिर अब तक 200 से ज्यादा आंदोलनकारियों की मौत ठंड, दिल के दौरे और मानसिक तनाव में आत्महत्या के चलते हो चुकी है।

ट्रैक्टरों पर झंडे सजाकर किसान धरने में शामिल होने पहुंचे।
ट्रैक्टरों पर झंडे सजाकर किसान धरने में शामिल होने पहुंचे।

पिछले 100 दिन से टीकरी, कुंडली और गाजीपुर समेत दिल्ली के चारों तरफ किसानों के धरने जारी हैं। सबसे बड़ा विवाद 26 जनवरी को उस वक्त हुआ, जब ट्रैक्टर परेड के नाम किसानों को दिल्ली में एंटर करने की अनुमति मिली थी और फिर वहां लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे का अपमान करते हुए खालसायी ध्वज फहरा दिया गया था। उपद्रव के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस कर्मचारी भी घायल हो गए। इस मामले में नामजद हुए आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज केस लड़ने के लिए पंजाब की सरकार ने 70 वकीलों का पैनल नियुक्त कर रखा है।

किसान आंदोलन के ट्रैक्टरों में न दो गज दूरी, न मास्क जरूरी।
किसान आंदोलन के ट्रैक्टरों में न दो गज दूरी, न मास्क जरूरी।

कई बार हो चुकी बैठक

पहली बैठक: 14 अक्टूबर

मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरी बैठक: 13 नवंबर

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरी बैठक: 1 दिसंबर

तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथी बैठक: 3 दिसंबर

साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था कि सरकार तीनों कानून भी रद्द करे।

पांचवीं बैठक: 5 दिसंबर

सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

छठवीं बैठक: 8 दिसंबर

भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

सातवीं बैठक: 30 दिसंबर

नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

आठवीं बैठक: 4 जनवरी

4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

नौवीं बैठक: 8 जनवरी

बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे।

दसवीं बैठक: 15 जनवरी

मीटिंग करीब 4 घंटे चली। किसान कानून वापसी पर अड़े रहे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आपको भी सरकार की कुछ बातें माननी चाहिए।

11वीं बैठक: 20 जनवरी

केंद्र ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा कि डेढ़ साल तक कानून लागू नहीं किए जाएंगे। इसके अलावा MSP पर बातचीत के लिए कमेटी बनाएंगे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.