किसान आंदोलन का 75वां दिन:मोदी की अपील के बाद किसान नेता फिर से बातचीत को तैयार, बोले- सरकार तारीख तय करे

PM ने भरोसा दिया- MSP हमेशा रहेगा, किसान नेता टिकैत बोले- देश भरोसे से नहीं कानून से चलता है

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ 75 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेता एक बार फिर सरकार से बातचीत करने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद लिया। मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में किसान नेताओं से अपील की कि विरोध खत्म कर बातचीत के लिए आगे आएं। इसके करीब 5 घंटे बाद संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि वे अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं, सरकार उन्हें मीटिंग का दिन और समय बता दे।

मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर आपत्ति
मोदी ने राज्यसभा में कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में नई जमात पैदा हुई है। एक नई बिरादरी सामने आई है- आंदोलनजीवी। आप देखेंगे कि आंदोलन चाहे वकीलों का हो, स्टूडेंट्स का हो, मजदूरों का हो, हर आंदोलन में ये जमात नजर आएगी। ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। हमें इन्हें पहचानना होगा।’ इस बयान पर किसान नेताओं ने आपत्ति जताई है।

 

3 प्रमुख किसान नेताओं के रिएक्शन

  • मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर शिव कुमार कक्का ने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। लोगों को सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने का अधिकार है।
  • मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर प्रधानमंत्री के बयान पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत बोले, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि MSP है, था और रहेगा, लेकिन यह नहीं बोले कि MSP पर कानून बनाया जाएगा। देश भरोसे से नहीं चलता। यह संविधान और कानून से चलता है।’
  • भारतीय किसान यूनियन उग्राहां, पंजाब के महासचिव सुखदेव सिंह ने सवाल किया कि सरकार फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं देना चाहती। उन्होंने आरोप लगाया कि मुद्दे को भटकाने की कोशिश की जा रही है।

3 राज्यों से फल-सब्जी और दूध की सप्लाई रोकेंगे किसान
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद लगा था कि किसान आंदोलन अब ढीला पड़ जाएगा, लेकिन इसके बजाय अब किसान नेता आंदोलन को तेज करने में जुटे हैं। इसी सिलसिले में रविवार को हरियाणा के कितलाना टोल पर महापंचायत हुई थी। इसमें किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए असहयोग आंदोलन छेड़ना होगा। यह भी फैसला किया कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से दिल्ली जाने वाली फल-सब्जी और दूध समेत जरूरत के हर सामान पर रोक लगानी होगी। साथ ही हरियाणा में अडानी और अंबानी के सामान का बायकॉट करना होगा।

किसानों की सरकार से 12 दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी
किसानों और सरकार के बीच अब तक 12 दौर की बातचीत हुई है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए। वहीं सरकार कह रही है कि वह कानूनों में बदलाव करने को तैयार है और किसान चाहें तो तीनों कानून डेढ़ साल तक होल्ड भी किए जा सकते हैं। दोनों के बीच आखिरी मीटिंग 22 जनवरी को हुई थी।

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