सूरत में ढाई साल के बच्चे का अंगदान:रूस और यूक्रेन के 4 साल के बच्चों में ट्रांसप्लांट हुए हार्ट और लंग्स; किडनी-लीवर गुजरात के बच्चों को लगाए गए

ढाई साल का जश खेल रहा और इसी दौरान सीढ़ियों से गिरकर बेहोश हो गया। डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि वो ब्रेन डेड है।

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गुजरात के सूरत शहर का नाम अंगदान में सबसे ऊपर आता है। लेकिन, यह पहली बार ही हुआ है कि महज ढाई साल के बच्चे के शरीर के अंग दान किए गए। जश ओझा के ब्रेनडेड होने के बाद उसके परिवार ने अंगदान का फैसला किया था। जश के फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखें दान दी गईं। अब जश का हार्ट रशिया और फेफड़े यूक्रेन में दान किए गए हैं।

अंगदान के लिए अभियान चलाने वाले पत्रकार पिता ने लिया फैसला।
अंगदान के लिए अभियान चलाने वाले पत्रकार पिता ने लिया फैसला।

चेन्नई के अस्पताल में हुआ हार्ट और फेफड़ों का ट्रांसप्लांट
रशिया के 4 वर्षीय बच्चे का हार्ट और यूक्रेन के 4 वर्षीय बच्चे के फेफड़ों का ट्रांसप्लांट चेन्नई के अस्पताल में हो गया है। फिलहाल ये दोनों बच्चे अंडर ट्रीटमेंट हैं। इस दौरान ग्रीन कॉरिडोर द्वारा सूरत से चेन्नई तक का यानी 1615 किमी. का सफर मात्र दो घंटे 40 मिनट में तय किया गया। इस यात्रा में सूरत ट्रैफिक पुलिस का भी काफी योगदान रहा।

ग्रीन कॉरिडोर के जरिए सूरत से चेन्नई तक का 1615 किमी का सफर दो घंटे 40 मिनट में तय किया गया।
ग्रीन कॉरिडोर के जरिए सूरत से चेन्नई तक का 1615 किमी का सफर दो घंटे 40 मिनट में तय किया गया।

खेलते-खेलते हो गया था ब्रेनडेड
सूरत में रहने वाला जश संजीव भाई ओझा बीते बुधवार पड़ोसी के घर पर खेल रहा था। इसी दौरान वह सीढ़ियों से गिरकर बेहोश हो गया था। जश को अमृता हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था, जहां डॉ. स्नेहल देसाई के देखरेख में उसका इलाज शुरू हुआ। शुक्रवार को पीडियाट्रिक इंटेंटसिविस्ट डॉ. स्नेहल देसाई, न्यूरो सर्जन डॉ. हसमुख सोजीत्रा और डॉ. कमलेश पारेख ने बताया कि जश का ब्रेन डेड हो चुका है।

पत्रकार पिता चलाते हैं अंगदान का अभियान
पेशे से पत्रकार जश के पिता संजीव भाई ओझा पिछले काफी समय से अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने बेटे के अंगदान का भी फैसला किया। इसके बाद उन्होंने पत्नी को भी जश के अंगदान के लिए मनाया। अब जश के अंगों ने 4 बच्चों को नया जीवन दिया है।

अंगदान की प्रक्रिया में शामिल मेडिकल स्टाफ और सूरत का कार्य सराहनीय रहा।
अंगदान की प्रक्रिया में शामिल मेडिकल स्टाफ और सूरत का कार्य सराहनीय रहा।

दो विदेशी बच्चों को अंगों की जरूरत थी
ओझा परिवार ने स्टेट एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के कन्वीनर डॉ. प्रांजल मोदी से संपर्क कर हार्ट, फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखें दान करने की बात कही। इसी दौरान चेन्नई के एमजीएम हॉस्पिटल में इलाज करा रहे रशिया और यूक्रेन की नागरिकता रखने वाले दो बच्चों को हार्ट और फेफड़े ट्रांसप्लांट करने की बात पता चली और इसके बाद मेडिकल स्टाफ ने प्रोसेस शुरू की। जश की किडनी का ट्रांसप्लांट सुरेंद्रनगर की 13 वर्षीय बच्ची और किडनी सूरत की 17 वर्षीय बच्ची में ट्रांसप्लांट की गई।

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