सिंघु बॉर्डर पर बब्बर खालसा के आतंकी का बैनर; 22 दिन से धरने पर बैठे लोग लौटे, दूसरे किसान पहुंच रहे

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघु, टिकरी, कुंडली, गाजीपुर समेत सभी बॉर्डरों पर पिछले 22 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं। इन किसानों में सबसे ज्यादा संख्या पंजाब के किसानों की हैं। मौके पर माहौल और सिंघु बॉर्डर पर लगे मंच पर हो रहे भाषणों से ये कहा जा सकता है कि आंदोलन किसानों के मुद्दों को छोड़कर अन्य मुद्दों की ओर डाइवर्ट हो गया है।

सिंघु बॉर्डर पर बैठे आंदोलित किसानों ने अपने वाहनों और धरना स्थल पर जगह-जगह ‘वी आर फार्मर, नॉट टेररिस्ट’ के बैनर और पोस्टर लगा रखे हैं। लेकिन इन पोस्टरों के उलट भी बहुत कुछ ऐसा चल रहा है जो साबित करता है कि इस आंदोलन में बब्बर खालसा इंटरनेशनल आतंकी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल हैं।

इसका सबसे बड़ा सबूत आंदोलन स्थल पर लगा पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी जगतार सिंह हवारा और उसके साथियों के पोस्टर हैं। हवारा के नाम पर बने संगठन अकाल यूथ की ओर से लंगर लगाया गया है। यह लंगर संयुक्त मोर्चा के मंच से 300 मीटर की दूरी पर लगा हुआ है। जहां लंगर लगा है, वहीं पर ट्रैक्टर ट्राली के दोनों ओर हवारा के फोटो लगे दो बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं।

कौन है जगतार सिंह हवारा?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी खालिस्तान समर्थक आतंकी जगतार सिंह हवारा दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। हवारा को चंडीगढ़ की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि,पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए निर्देश दिया था कि उसे अंतिम सांस तक जेल में रखा जाए।

कई किसान पंजाब लौट रहे, उनके बदले दूसरे किसान पंजाब पहुंच रहे
पंजाब के 12797 गांवों से सर्वाधिक किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने में पहुंचे हुए हैं। यहां जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है। पंजाब के किसानों ने प्रदर्शन में भागीदारी बढ़ाए रखने का नया तरीका निकाला है। आंदोलन को लंबा खिंचता देख अब रोटेशनल व्यवस्था शुरू कर रहे हैं। जो किसान पहले दिन से गए हुए हैं अब वे ट्रालियों में लौट रहे हैं और उन्हीं ट्रालियों में दूसरे नए किसान धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं। अब यह प्रक्रिया 8-8 दिन की बनाई जा रही है। साथ ही उन्हीं ट्राली मेें और राशन भी पहुंचाया जा रहा है। किसानों के इस आंदोलन में हरियाणा का पूरा समर्थन मिल रहा है।

किसान विरोधी नीतियों और कर्ज के कारण खुदकुशी कर चुके पंजाब के किसान परिवारों के 3000 लोग टिकरी बाॅर्डर पहुंचे।
किसान विरोधी नीतियों और कर्ज के कारण खुदकुशी कर चुके पंजाब के किसान परिवारों के 3000 लोग टिकरी बाॅर्डर पहुंचे।

हीटर और फॉगिंग का भी इंतजाम
धरना स्थल पर चारों तरफ लकड़ी के अलाव के साथ ही टेंट सिटी में स्टैंडिंग हीटर भी लगाए गए हैं। सर्दी से बचाने के इंतजाम के साथ साथ मच्छरों से निपटने की भी व्यवस्था की जा रही है। जगह-जगह फॉगिंग करवाई जा रही है और कवर्ड वाले छोटे-छोटे टेंट हाउस बनाए जा रहे हैं, जिसमें एक या दो लोग ही सो सकते हैं।

किसानों को सर्दी और मच्छरों से बचाने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।
किसानों को सर्दी और मच्छरों से बचाने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।

ट्रैक्टर की सर्विस और पार्ट्स फ्री
जहां पिछले कुछ दिनों से आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों के लिए लंगर, मेडिकल सुविधाएं, मिठाइयां आदि बांटी जा रही हैं। वहीं सेवा भाव से आए कुछ मैकेनिक ट्रैक्टर की फ्री सर्विस कर रहे हैं। इतना ही नहीं छोटे-मोटे पार्ट्स भी फ्री में डालते हैं। पूरा दिन यहां ट्रैक्टर ठीक कराने वाले किसानों का जमावड़ा रहता है, क्योंकि ज्यादातर किसान ट्रैक्टरों में ही पहुंचे हैं।

ट्रैक्टरों को रिपेयर करने वाले शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।
ट्रैक्टरों को रिपेयर करने वाले शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।

बॉर्डर पर बनी टेंट सिटी में बेबे, भाजी और ताऊजी जैसे शब्द ही गूंज रहे
बॉर्डर पर 40 किमी. में टेंट सिटी जैसा शहर बस गया है। इस एरिया में बाई जी, भाऊ जी, भाजी, बेबे, ताऊ जी शब्द ही गूंज रहे हैं, क्योंकि यहां पहुंचे ज्यादातर लोग पंजाब और हरियाणा से हैं। पंजाब की तो संस्कृति ही है, अपने से बड़े को भाजी और बेबे कहने की और हरियाणा का ताऊ तो जग में फेमस है। जिधर देखो यही लोग हैं। इसलिए शब्द भी उनके अपने ही निकलते हैं।

किसान की मौत पर देंगे रुपये 50 हजार, 80 हजार डॉलर जमा हुए
आंदोलन में अलग-अलग जगहों पर किसान सड़क हादसों या अन्य तरह की मौत का शिकार भी हुए हैं। गुरुनानक लंगर सेवा सोसाइटी इंटरनेशनल की ओर से ऐलान किया गया है कि ऐसे किसान के परिवार को 50 हजार रुपए और उनकी बेटियों की शादी उनकी संंस्था द्वारा की जाएगी। संगठन के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि उनके पास कई देशों से पैसा आ रहा है। अब तक 80 हजार डॉलर (करीब 59 लाख रुपए) जुट चुके हैं। पूरा पैसा इसी आंदोलन में लगाया जाएगा।

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