चंडीगढ़. 2009 में हरियाणा में कांग्रेस सरकार के समय कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ मुहिम की ब्रांड एंबेसडर रही छात्रा इशिता उप्पल को प्रताड़ित करने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) को एक लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस महावीर सिंह सिंधु ने फैसले में कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज 50-50 हजार रुपए मुआवजा इशिता को दें। हाईकोर्ट ने
पीयू को यह छूट दी कि वे यह राशि आगे कोताही के लिए जिम्मेदार अधिकारी से वसूल सकते हैं। फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पीयू ने न केवल मनमाने ढंग से काम किया, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की होनहार छात्रा को प्रताड़ित करने का पूरा प्रयास भी किया गया। कोर्ट ने तत्काल फाइनल रिजल्ट जारी करने और स्कॉलरशिप लाभ बहाल करने के आदेश दिए हैं।
इशिता ने खुद ही की केस की पैरवी- इशिता ने अपने केस की खुद पैरवी की। याचिका में इशिता ने कहा कि 2014-15 की 12वीं कक्षा में उसने टॉप किया था। बीए एलएलबी 5 वर्षीय कोर्स में पीयू में दाखिला लिया। आर्थिक रूप से कमजोर होने पर उसे स्कॉलरशिप दी गई। 12 मई 2018 को बीमार होने की वजह से छठे सेमेस्टर का एक पेपर नहीं दिया। मेडिकल रिकॉर्ड भी दिखाया। बावजूद इसके पीयू ने पहले तो स्कॉलरशिप पर रोक लगा दी और सेमेस्टर की फीस नहीं देने पर उसका नाम काट दिया।
हाईकोर्ट के आदेश पर परीक्षा में बैठी थी – याचिका के विचाराधीन रहते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर इशिता को परीक्षा में बैठाने का आदेश दिया था। इसके चलते इशिता ने अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। जस्टिस महावीर सिंह सिंधु ने फैसला सुनाते समय सील बंद रिजल्ट को कोर्ट में खुलवाया तो पाया की इशिता फर्स्ट डिवीजन से बीए एलएलबी परीक्षा पास कर चुकी थी। हाईकोर्ट ने इस पर रिजल्ट जारी करने के आदेश दिए।
पीयू ने कहा-स्पेशल चांस दिया था छात्रा को-सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में पीयू की तरफ से कहा गया कि इशिता को परीक्षा देने का स्पेशल चांस दिया था। लेकिन इशिता ने परीक्षा नहीं दी, इसलिए फीस का भुगतान न करने पर उसका नाम काट दिया गया। इसके जवाब में इशिता ने कोर्ट में कहा कि उसे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। इसलिए यह कहना गलत है कि उसे परीक्षा देने का मौका दिया गया।