चंडीगढ़। किसान आंदोलन खत्म करने पर बात बनती नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने नया प्रस्ताव भेजते हुए जल्द केस वापसी की हामी भर दी है। केंद्र ने कहा कि वह राज्यों को भी अपील करेंगे कि किसानों पर दर्ज केस वापस हों। इसके अलावा MSP कमेटी में भी सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि रखने पर सहमति बन गई है।
दिल्ली में लगातार मोर्चे की 5 मेंबरी हाईपावर कमेटी के साथ केंद्र सरकार की बातचीत चल रही है। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में किसान आंदोलन खत्म करने के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। यह मीटिंग अब 3 बजे हो सकती है क्योंकि हाईपावर कमेटी की अभी केंद्र सरकार से बातचीत जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर 377 दिन से किसान आंदोलन चल रहा है।
यह आया नया प्रस्ताव
- MSP कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी 3 महीने के भीतर रिपोर्ट देगी। जो किसानों को MSP किस तरह मिले, यह सुनिश्चित करेगी। वर्तमान में जो राज्य जिस फसल पर MSP पर जितनी खरीद कर रही है, वह जारी रहेगी।
- सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे। UP, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है।
- केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे। राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी।
- हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है
- बिजली बिल पर किसानों पर असर डालने वाले प्रावधानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
- पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से किसान मुक्त होंगे।
जिन 3 कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन शुरू हुआ था, केंद्र सरकार उन्हें वापस ले चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद उनकी वापसी पर राष्ट्रपति मुहर लगा चुके हैं। इसके बाद किसान संगठनों पर आंदोलन वापसी का दबाव बना हुआ है।
इन 5 मुद्दों पर मिला किसानों को स्पष्टीकरण
केस: किसानों पर दर्ज केस कब तक वापस होंगे? इसकी समय सीमा क्या है? कौन-कौन से केस वापस होंगे? राज्यों के अलावा केंद्रशासित प्रदेशों और रेलवे ने भी केस दर्ज किए हैं।
MSP: MSP कमेटी में कौन से किसान नेता शामिल किए जाएंगे? संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि इसमें किसानों के प्रतिनिधि सिर्फ संयुक्त किसान मोर्चा से ही लिए जाएं। वह किसान नेता न हों, जो विवादित कृषि कानूनों के हक में थे।
मुआवजा: आंदोलन में मरे करीब 700 से ज्यादा किसानों को मुआवजा देने के लिए राज्य सरकारें सहमत हैं। हालांकि SKM की मांग है कि इसमें पंजाब मॉडल अडॉप्ट किया जाए। जिसमें किसानों को 5 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी गई है।
बिजली एक्ट: बिजली एक्ट को संसद में न लाया जाए। यह कानून बना तो किसानों के साथ आम लोगों को भी ज्यादा बिल देना पड़ेगा। केंद्र ने इसमें स्टेक होल्डर्स की राय लेने की बात कही थी, लेकिन SKM सहमत नहीं।
पराली : पराली को लेकर बनाए कानून से किसानों को बाहर किया जा चुका है, लेकिन उसके सेक्शन 15 से किसानों को ऐतराज है। इसमें किसानों पर जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
पंजाब के किसान भी केस वापसी पर हरियाणा के साथ
पंजाब के 32 में से अधिकांश किसान संगठन घर वापसी के लिए तैयार हैं। उनकी कृषि कानून वापसी की मुख्य मांग पूरी हो चुकी है। हालांकि, किसानों पर दर्ज केस को लेकर वह हरियाणा के साथ हैं। पंजाब में किसानों पर केस दर्ज नहीं किए गए, लेकिन हरियाणा में हजारों किसानों पर केस दर्ज हैं।
हरियाणा के अलावा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों और रेलवे के भी केस हैं। किसानों का कहना है कि अगर ऐसे ही घर आ गए तो आंदोलन वापसी के बाद केस भुगतने पड़ेंगे। पहले भी हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में ऐसा हो चुका है।