उपलब्धि / स्वदेशी तकनीक से लैस सुपरसोनिक ब्रह्मोस का सफल परीक्षण, 290 किमी. दूर सटीक निशाना लगाया
नए संस्करण का प्रोपल्शन सिस्टम, एयरफ्रेम, पॉवर सप्लाई समेत कई अहम उपकरण स्वदेशी मार्च 2017 में ब्रह्मोस के 490 किमी रेंज वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया गया था
बालासोर. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सोमवार को ब्रह्मोस के जमीन से जमीन पर मार करने वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया। नए संस्करण का प्रोपल्शन सिस्टम, एयरफ्रेम, पॉवर सप्लाई समेत कई अहम उपकरण स्वदेश में ही विकसित किए गए हैं। ब्रह्मोस का नया संस्करण 290 किमी तक लक्ष्य को भेद सकता है। सोमवार को हुए परीक्षण में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने लक्ष्य पर सटीक प्रहार किया। डीआरडीओ ने ब्रह्मोस का परीक्षण ओडिशा के बालासोर जिले में किया। सुबह 10 बजकर बीस मिनट पर चांदीपुर रेंज में परीक्षण के बाद डीआरडीओ के सूत्रों ने कहा कि मिसाइल ने सभी फ्लाइट पैरामीटर्स को पूरा किया।
#BrahMos Supersonic Cruise #Missile with major indigenous systems successfully test-fired from ITR at Chandipur in Odisha.#brahmosmissile pic.twitter.com/bzKFGOOQBL
— Doordarshan National (@DDNational) September 30, 2019
रक्षा सूत्रों ने बताया कि अधिकतम स्वदेशी उपकरणों से लैस ब्रह्मोस के नए संस्करण का इस्तेमाल थल सेना करती है। ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन या समुद्र में मौजूद प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है। 11 मार्च 2017 को ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण किया गया था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने उस समय भी सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था।
भारत और रूस ने ब्रह्मोस को संयुक्त रूप से विकसित किया
ब्रह्मोस को भारत की तरफ से डीआरडीओ और रूस की तरफ से एनपीओएम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस दुनिया में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है, जो सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जा सकती है। भारतीय सेना के तीनों अंग ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण इस्तेमाल करते हैं। थल सेना, वायु सेना और नौ सेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है।
ब्रह्मोस के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, ब्रह्मोस कॉर्पोरेशन समेत वैज्ञानिकों को बधाई दी है। ब्रह्मोस कॉर्पोरेशन के महानिदेशक डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने इस परीक्षण को भारत की मेक इन इंडिया क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक अहम उपलब्धि करार दिया।