- टेलीकॉम कंंपनियों को चीनी निर्भरता कम करने का आदेश
- चीन को सबक सिखाने के लिए टेलीकॉम मंत्रालय का फैसला
लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद चीन को लेकर देश में गुस्से का माहौल है. चीन को सबक सिखाने के लिए कई संगठनों ने चीनी सामान के बहिष्कार करने की मांग भी कर डाली है.
टेलीकॉम मंत्रालय का आदेश
इस बीच, अब टेलीकॉम मंत्रालय ने BSNL को चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने BSNL को निर्देश दिया है कि अपनी किर्यान्वन में चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करे. अगर कोई बिडिंग है तो उसपर नए सिरे से विचार करे.
इसके अलावा संचार मंत्रालय ने निजी कंपनियों को भी हिदायत दी है कि इस दिशा में वे भी नए सिरे से विचार करके पुख्ता निर्णय लें.
मंत्रालय ने क्या निर्देश दिए
– 4जी फैसिलिटी के अपग्रेडेशन में किसी भी चाइनीज कंपनियों के बनाए उपकरणों का इस्तेमाल न किया जाए
– पूरे टेंडर को नए सिरे से जारी किया जाए
-सभी प्राइवेट सर्विस आपरेटरों को निर्देश दिया जाएगा कि चाइनीज उपकरणों पर निर्भरता तेजी से कम की जाए.
इंटरनेट कंपनियों में भारी चीनी निवेश
भारत की जितनी भी बड़ी इंटरनेट कंपनियां हैं, उसमें चीन का बहुत बड़ा निवेश है. आंकड़ों के मुताबिक टेलीकॉम इक्विपमेंट का बाजार 12 हजार करोड़ का है, जिसमें चाइनीज प्रोडक्ट का शेयर करीब 25 फीसदी का है.
टेलिकॉम कंपनियों के मुताबिक चीन के मुकाबले अगर वे अमेरिकी और यूरोपीय दूरसंचार उपकरणों को खरीदने का विचार करते हैं तो उनकी लागत 10-15% तक बढ़ जाएगी. लेकिन अब जब सरकार ने आगाह किया है तो फिर कंपनियों को इसे गंभीरता से लेनी होगी.
चीन पर आर्थिक चोट की तैयारी
इसके अलावा टेलिकॉम विभाग (DoT) इस बात पर भी गौर कर रहा है कि देश की प्राइवेट मोबाइल सर्विस ऑपरेटर्स भी तत्परता से चीनी कंपनियों के उत्पाद पर अपनी निर्भरता कम करें. क्योंकि चीनी निर्मित नेटवर्क सिक्योरिटी इक्विपमेंट्स से सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं.
वहीं व्यापारिक संगठन कैट ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और अधिक तेज करने का फैसला किया है. संगठन ने 500 सामानों की सूची तैयार की है, जिससे चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है.