बठिंडा ब्लड बैंक में अपने साथी कर्मचारियों का कैरियर खत्म करने के लिए लैब टेक्निशियन रोमाणा ने रची साजिश

-अब जांच रिपोर्ट के बाद सरकार की तरफ से निलंबन किया वही कोतवाली पुलिस ने दर्ज किया केस -दर्ज केस में साजिश रचने व लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के मामले में की गई कारर्वाई

बठिंडा. सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक की ओर से एक महिला और एक 7 साल के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने के मामले में आखिरकार सिविल सर्जन बठिंडा डा. अमरिक सिंह की शिकायत पर मेडिकल लेब्रोटरी टेक्निसियन ग्रेड-1 बलदेव सिंह रोमाणा के खिलाफ आपराधिक मामलों के तहत कोतवाली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। बठिंडा में सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में गलत तरीके से खून चढ़ाने की घटना के संबंध में जांच समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए गत दिवस निदेशक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कर्मचारियों को घोर लापरवाही बरतने पर निलंबन का आदेश जारी किए थे। आदेशों के अनुसार, बलदेव सिंह रोमाना, जो मेडिकल लैब टेक्नीशियन ग्रेड -1, एनएचएम पंजाब के तहत ब्लड बैंक में डॉ कृष्ण गोयल, बीटीओ, पीएचएससी के तहत एमएलटी ऋचा गोयल को तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया था।

इस बीच, सिविल सर्जन बठिंडा ने बठिंडा के एसएसपी को पत्र लिखकर कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और अन्य आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने को कहा था। इसी निर्दश के बाद रविवार को थाना कोतवाली पुलिस ने बलदेव सिंह रोमाणा के खिलाफ केस दर्ज किया है जबकि अन्य कर्मियों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई के लिए एनएचएम डायरेक्टर की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है। इस पूरे मामले में दो कर्मी एनएचएम के अधीन आते हैं जबकि एक कर्मी पंजाब हेल्थ कार्पोरेशन के अधीन है। अब इस मामले में बेशक सिविल सर्जन ने हेल्थ कार्पोरेशन के अदीन कर्मी पर एफआईआर दर्ज करने की हिदायत दे दी है लेकिन दूसरी तरफ विभागीय दावपेच में एनएचएम के अधीन काम करने वाले कर्मियों पर एनएचएम डायरेक्टर की तरफ से लिखित शिकायत देने के बाद मामला दर्ज होगा।

कोतवाली पुलिस की तरफ से दर्ज शिकायत में कहा गया है कि सिविल सर्जन डा. अमरिक सिंह सिद्धू की तरफ से मिली शिकायत में कहा गया है कि बलदेव सिंह रोमाणा ब्लड बैंक सिविल अस्पताल बठिंडा में लैब टैक्निसियन ग्रेड वन में तैनात है। तीन अक्तूबर 20202 को एक रक्तदानी का एचआईवी पोजटिव ब्लड थैलेसीमीया की बीमारी से पीड़ित सात साल की बच्ची को चिल्ड्रन अस्पताल बठिंडा में लगाया गया जिसके बारे में आरोपी रोमाणा को जानकारी थी लेकिन उक्त आरोपी ने कहा कि उसने ब्लड बैंक में उक्त डोनर को नहीं बुलाया था लेकिन जब पूरे मामले की जांच सिविल अस्पताल के डाक्टरों की टीम के पैनल ने की तो उसमें खुलासा हुआ कि बलदेव सिंह रोमाणा के अपने बीटीओ और दूसरे एलटी खासकर रिचा गोयल के साथ प्रफोशनल संबंध अच्छे नहीं थे। इसके चलते वह उसके साथ नीजि रंजिश रखता था। इसी रंजिश में उसने जानबूझकर साजिश रची व एचआईवी पोजटिव मरीज की रिपोर्ट में घपलेबाजी कर उसे दो बार रक्तदान करने के लिए बुलाया व दोनों बार दो मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करते उन्हें रक्त चढ़ा दिया गया। जांच में बलदेव सिंह रोमाणा की तरफ से रक्तदानी को किए फोन की डिटेल का भी जिक्र किया गया है।

इसमें रंजिशन दो मरीजों के साथ रक्तदान करने वाले व्यक्ति को भी एचआईवी पोजटिव होने व रक्त गलत चढ़ाने की बात छिपाई गई व रंजिशन रक्त चढ़ाने के बाद दो कर्मियों को फंसाने के लिए मामले का आला अधिकारियों के सामने खुलासा कर दिया। इस पूरी साजिश में जहां चिकित्सा नियमों की अवहेलना की वहीं मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का अपराध किया गया। इसे लेकर सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संगठनों ने कड़ा आक्रोश जताते मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई की मांग रखी थी। वही मामले की जांच बठिंडा सिविल अस्पताल की टीम ने गत सोमवार को करीब 8 घंटे तक चली जांच के बाद जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए भेज दी थी। तीन सदस्यीय कमेटी एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह, डा. गुरमेल सिंह व डा. सीमा गुप्ता की रिपोर्ट में ब्लड बैंक की बीटीओ, एक महिला एमएलटी व एक पुरुष एमएलटी की लापरवाही सामने आई है। आरजी फारिग कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए रिपोर्ट हेल्थ सेक्रेटरी को भेज दी गई। वही हेल्थ सेक्रेटरी ने तीनों को बिना देरी के ड्यूटी से निलंबित कर दिया व आरोपी लोगों पर कानूनी कारर्वाई के आदेश दिए थे।

फिलहाल डॉ. मयंक को अब बीटीओ का चार्ज दिया गया है। बीटीओ डा. करिश्मा को गोनियाना मंडी के सरकारी अस्पताल में, एमएलटी रिचा को सरकारी अस्पताल घुद्दा व सीनियर एमएलटी बलदेव रोमाणा को तलवंडी साबो अस्पताल में आरजी तौर पर लगाया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि ब्लड बैंक में एचआईवी किट के प्रयोग में गड़बड़ मिली है। कमेटी ने जांच के बाद जो रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है, उसके मुताबिक एचआईवी पॉजिटिव डोनर ने दो बार अपना ब्लड सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में दान किया। सबसे पहले छह मई 2020 को ब्लड बैग नंबर 2765 के जरिए एमएलटी रिचा गोयल ने एक महिला मरीज को एचआईवी पॉजिटिव का ब्लड जारी किया। जबकि दूसरी बार उसी एचआईवी ब्लड डोनर का ब्लड सात साल की थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को तीन अक्टूबर को जारी किया गया। इस बार भी एमएलटी रिचा गोयल ने यह ब्लड जारी किया। जांच में सामने आया कि ब्लड बैंक की इंचार्ज बीटीओ डा. कृष्ण गोयल ने भी अपनी ड्यूटी में घोर लापरवाही दिखाई है।

उन्होंने उच्च अधिकारियों को भी मामले में अंधेरे में रखा। कमेटी के मुताबिक बीटीओ डॉ. कृष्ण गोयल को मई 2020 में ब्लड डोनर के एचआईवी पॉजिटिव के बारे में पता चल गया था और उसे यह भी पता चल गया था कि उसका ब्लड एक महिला मरीज को चढ़ा दिया गया है, लेकिन उसने मामले को छिपाने की कोशिश की, जबकि उसने ब्लड डोनर को भी एचआईवी होने के बारे में जानकारी नहीं दी।। इसके अलावा एमएलटी रिचा गोयल के काम की भी कोई जरूरी पड़ताल नहीं की। फिलहाल जांच कमेटी ने ब्लड बैंक के सीनियर एमएलटी बलदेव रोमाणा को इस पूरे घटनाक्रम में साजिशकर्ता करार दिया। जांच कमेटी के मुताबिक सीनियर एमएलटी ने निजी रंजिश निकालने के लिए एक अक्टूबर 2020 की सुबह ब्लड डोनर को ब्लड देने के लिए सिविल अस्पताल बुलाया था और सब कुछ जानते हुए उसने किसी कुछ भी नहीं बताया और उसका ब्लड सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को जारी होने दिया।

इतना ही नहीं उसने बच्ची को ब्लड लगने के बाद अचानक चिल्ड्रन अस्पताल में जाकर स्टाफ नर्स से कहा कि बच्ची को एचआईवी पॉजिटिव मरीज का ब्लड लग गया है और उसने बिना किसी जिम्मेवार अधिकारी के आदेशोंं के वहां से ब्लड बैग हासिल किया और खुद ही चिल्ड्रन अस्पताल की लैब में एचआईवी के लिए रेपिड टेस्ट लगवाया, जोकि पॉजिटिव आया। इसके बाद उसने एसएमओ दफ्तर आकर मामले की जानकारी दी। कमेटी का मानना है कि सीनियर एलटी ने एक बच्ची की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया।

पड़ताल में यह भी सामने आया है कि सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड बैंक में एचआईवी किट का प्रयोग में गड़बड़ी हो रही है, जोकि अलग से जांच का एक विषय हैं। कमेटी ने किट रखने वाली अलमारी खुलवाने के लिए एसएमओ ने ताला तोड़ने के आदेश दिए, तो सीनियर एमएलटी ने 600 एचआईवी टेस्ट करने के लिए किट बाहर से लाई गई ताकि स्टॉक पूरा किया जा सके। इस दौरान बीटीओ ने बताया कि इस कर्मचारी की तरफ से कभी भी किट का स्टाक चेक करने के लिए परमिशन नहीं दी गई।

 

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