क्यों खास है चीन की वो बुलेट ट्रेन, जो भारतीय सीमा के बहुत पास तक चलेगी, भारत के लिए खासी चिंता की बात
इस साल जुलाई से पहले चीन की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन (High Speed Train) पूर्वी तिब्बत में उस पॉइंट तक चलना शुरू होगी, जो अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) से बहुत दूर नहीं है. जानें कि भारत को क्यों चिंतित होना चाहिए.
इस साल जून के आखिर तक चीन का पक्का इरादा है कि वो तिब्बत में हाई स्पीड ट्रेन चलाना शुरू कर दे. अस्ल में, मेनलैंड चाइना (Mainland China) ने तमाम प्रांतों में राज्य स्तर पर फुक्सिंग हाई स्पीड ट्रेनों (Fuxing Trains) को संचालन करना शुरू किया है और इसी कड़ी में तिब्बत के उस पॉइंट तक ट्रेन पहुंचने वाली है, जो अरुणाचल प्रदेश से कुछ ही किलोमीटर दूर है. जबकि चीन अरुणाचल के पूरे हिस्से को दक्षिण तिब्बत (South Tibet) बनाकर अपना दावा जताता है, तो वहां तक इन्फ्रास्ट्रक्चर (Chinese Infrastructure) पहुंचना भारत के लिए खासी चिंता की बात तो है ही. जानिए चीन की यह ट्रेन रणनीतिक लिहाज़ से किस तरह भारत के लिए चेतावनी तक है.
तिब्बत की राजधानी से 435 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए चलने वाली ट्रेन न्यिंगची तक पहुंचेगी, जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सिर्फ 50 किलोमीटर ही दूर है. चीन की समाचार एजेंसी शिनहुआ के मुताबिक यह ट्रेन पूरी तरह इंटरनल कंबस्शन और बिजली से संचालित होगी. पूर्वी तिब्बत में इस रेलवे लाइन के निर्माण का काम 2014 में शुरू हुआ था. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि यह तिब्बत में पहली बिजली वाली रेललाइन होगी. निर्माण का काम 2020 में पूरा हो जाने की बात रिपोर्ट में कही गई है. अब जानिए कि इस ट्रेन की खास बातें क्या होंगी.
कितनी तेज़ दौड़ेगी ट्रेन? चीनी रेलवे की ही एक शाखा तिब्बत रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी की मानें तो इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक होगी. चीन में बाकी जगहों पर फुक्सिंग ट्रेनें 160 से 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही हैं, लेकिन तिब्बत के पहाड़ी और पठारी इलाके के मद्देनज़र इसकी स्पीड ज़्यादा नहीं होगी.
क्या है चीन की रेल नेटवर्क योजना? साल 2020 तक चीन हाई स्पीड ट्रेन का 37,900 किलोमीटर का नेटवर्क बना चुका है, जिसे 2025 तक वो 50,000 किमी तक फैलाना चाहता है. 2035 तक हाई स्पीड रेल नेटवर्क 70,000 और पूरा सिस्टम 2 लाख किमी तक करने का ब्लूप्रिंट है. इस नेटवर्क का विस्तार दक्षिण पूर्व तिब्बत से मेनलैंड तक किया जा रहा है. किंघाई तिब्बत रेलवे के बाद तिब्बत में सिचुआन तिब्बत रेलवे भी सक्रिय हो रहा है.
तिब्बत ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया के साथ कनेक्टिविटी के लिए चीन एक पैसेजवे की योजना पर भी काम कर रहा है, जिसमें तिब्बत का नेटवर्क अहम होगा. मसलन, नेपाल तक रेलवे कनेक्टिविटी पर विचार किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस साल तक ओली सरकार की सहमति से यह योजना ज़मीनी काम पर आ सकती है.
अपको बता दें कि स्वशासित तिब्बत क्षेत्र पूरी तरह से चीन की निगरानी में है और यहां विदेशी पत्रकारों व डिप्लोमेटों का आना जाना मना है. न्यिंगची इलाके पर चीन का फोकस इतना है कि इस नेटवर्क के बाद सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगडू से यहां तक 1000 किलोमीटर से भी लंबा नेटवर्क बन रहा है, ताकि मेनलैंड चीन के साथ अरुणाचल बॉर्डर का सीधा संपर्क बन सके.
इस नेटवर्क के साथ अभी चेंगडू से ल्हासा तक जो सफर 48 घंटे का होता है, वह 13 घंटे का रह जाएगा. इस नेटवर्क को खड़ा करने के लिए चीन की यह बुलेट ट्रेन काफी मददगार होगी, जो अगले कुछ महीनों में शुरू होने जा रही है. भारत के साथ चल रहे मौजूदा सीमा विवाद और तनाव के बीच चीन के इस कदम को लेकर बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर भारत पल पल निगरानी रखते हुए रणनीतिक तौर पर विचार कर रहा है.