Birthday Special: सबसे ज्यादा 20 डिग्रियों वाला IAS अफसर, जो 4 महीने में ही नौकरी छोड़कर बना ताकतवर मिनिस्टर
42 यूनिवर्सिटी में पढ़े और 20 डिग्रियों वाले श्रीकांत जिचकर (Shrikant Jichkar) को देश का सबसे योग्य, सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा शख्स कहा जाता है. उन्होंने हर परीक्षा फर्स्ट डिविजिन में पास की. पहले वो डॉक्टर बने, फिर आईएएस (IAS Officer) लेकिन महज 4 महीने में ही नौकरी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा. फिर विधायक (MLA) और मंत्री (Ministar) भी बने.
नई दिल्ली । इस युवक का नाम डॉ श्रीकांत जिचकर था. उन्हें भारत का सबसे पढ़ा-लिखा शख्स कहा जाता है. उन्होंने करियर की शुरुआत एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में की थी. फिर नागपुर से एमडी की. उन्हें उस वक्त देश का सबसे ज्यादा लिखा-पढ़ा शख्स कहा जाता था. उनके पास 20 से ज्यादा डिग्रियां थीं. पहले वो आईपीएस बने. फिर आईएएस सेलेक्ट हुए. दोनों ही बार उन्होंने इन शानदार नौकरियों को ठुकरा दिया. 14 सितंबर 1954 के दिन जिचकर का जन्म हुआ था. लिम्का बुक ने उन्हें देश का सबसे योग्य व्यक्ति बताया था.
श्रीकांत 1978 में इंडियन सिविल सर्विसेज एग्जाम में बैठे. उनका सेलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस में हुआ. उन्होंने इसे छोड़ दिया. वो फिर इसी एग्जाम में बैठे. अबकी बार उनका चयन एक आईएएस के रूप में हो गया. चार महीने बाद ही उन्होंने इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया. वजह थी चुनाव मैदान में कूदना. 1980 में वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विजयी रहे. 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा विधायक बने.
अब श्रीकांत की अन्य डिग्रियों या अन्य पढ़ाई की बात करते हैं. उन्होंने एलएलएम यानी इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. फिर डीबीएम और एमबीए (मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) किया. बात यहीं तक नहीं रही. श्रीकांत ने पत्रकारिता की भी पढाई की, बेचलर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की. फिर संस्कृत में डीलिट (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) हासिल किया. जो किसी भी यूनिवर्सिटी की सबसे उच्च डिग्री होती है.
उन्होंने समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, दर्शन शास्त्र, राजनीति विज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व और मनोविज्ञान में भी एमए किया था. गौरतलब बात ये भी है कि उन्होंने ये सारी डिग्रियां मेरिट में रहकर हासिल की. पढ़ाई के दौरान उन्हें कई बार गोल्ड मेडल मिले. 1973 से लेकर 1990 तक उन्होंने 42 यूनिवर्सिटी एग्जाम दिए.
श्रीकांत यहीं नहीं रुके वो महाराष्ट्र के सबसे ताकवर मंत्री भी बने. उनके पास उस समय 14 विभाग थे. वहां उन्होंने 1982 से 85 तक काम किया. इसके अलगे साल यानि 1986 में वो महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने. यहां पर 1992 तक रहे. 1992 से 1998 के बीच वो राज्यसभा में भी रहे.
जब 1999 में डॉ. जिचकर राज्यसभा का चुनाव हार गए तो उन्होंने अपना फोकस यात्राओं पर केंद्रीत किया. वो देश के कई हिस्सों में गए और वहां स्वास्थ्य, शिक्षा और धर्म के बारे में भाषण देते रहे. उन्होंने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व किया. श्रीकांत के पास देश की सबसे बड़ी पर्सनल लाइब्रेरी थी. जिसमें 52000 से ज्यादा किताबें थीं. डॉ. जिचकर का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति के तौर पर शुमार हुआ.
जिचकर एक अकादमिक, पेंटर, प्रोफेशनल फोटोग्राफर और स्टेज एक्टर थे. उन्होंने 1992 में एक स्कूल की स्थापना की. अपनी उम्र में बाद में उन्होंने अकेले दम पर महाराष्ट्र में संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थापित की और उसके चांसलर बने.
इस प्रतिभाशाली शख्स का जल्दी ही देहांत भी हो गया. 02 जून 2004 की रात श्रीकांत कार से अपने दोस्त के फॉर्म से घर के लिए नागपुर निकले. वो खुद कार ड्राइव कर रहे थे. रास्ते में उनकी कार एक बस से टकरा गई. इस हादसे में 49 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. बेशक उनकी उम्र कम थी लेकिन ये काफी मायने वाली रही. उन्होंने कई भूमिकाएं अदा कीं. खूब पढाई की. राजनीतिक के तौर पर भी भरपूर काम किया.