हिंदुस्तान का ‘अमित’ अध्याय: गृह मंत्रालय का ‘सरदार’, बड़ा ही असरदार

गृहमंत्री बने अमित शाह ने 7 महीने के अंदर ना सिर्फ गृहमंत्रालय की शक्ति को एहसास कराया बल्कि वो सबकुछ कर दिखाया, जो सिर्फ कल्पनाओं था. अनुच्छेद 370 के बाद नागरिकता बिल भी झांकी है, अभी ना जाने क्या-क्या बाकी है...ऐसे थोड़ी ना बना है हिंदुस्तान का अमित अध्याय.

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नई दिल्ली: नागरिकता बिल का श्रेय गृहमंत्री अमित शाह ने भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है. लेकिन सच्चाई तो है कि जब मुस्तकबिल में पलट कर माजी को देखा जाएगा तो कहा यही जाएगा कि शरणार्थियों को शरण देने वाला बिल तो अमित शाह लेकर आए थे और वो भी अमित अध्याय बना था. तो अब उन तमाम अध्यायों के एक-एक पन्ने को पलट कर देखने का मौका भी है और दस्तूर भी तो क्यों ना अमित शाह के विजन को समझा जाए.

जिन नीतियों के निवारण की नीति का अभाव की बात कही थी, उन नीतियों के निवारण को ही अमित शाह ने अपना स्वभाव में तब्दील कर लिया. देश में परिवर्तन को प्रसिद्धि की पराकाष्ठा तक पहुंचाया और एक के बाद एक परिवर्तनकारी या कहें क्रांतिकारी फैसले लेते चले गए. तीन तलाक पर बिल लाया गया, अनुच्छेद 370 को हटाया गया और नागरिकता बिल से शरणार्थियों की चिंता को मिटाया गया.

ये वो फैसले थे जिन्हें 70 सालों में लेने की कोई सरकार हिम्मत नहीं दिखा पाई थी. गृहमंत्रालय के इस सरदार ने संकल्प से सिद्धि को प्राप्त करने की बात को अपने ओजस्वी प्रताप पा लिया. जिन 75 संकल्पों को पूरा करने का लक्ष्य लिया, उनको पूरा करने की कसम तो अमित शाह ने मंत्री पद की शपथ के साथ ले ली थी.

नागरिकता की समस्या का समाधान की बात तो अमित शाह ने बतौर बीजेपी अध्यक्ष ही कह दी थी, चुनावी सभा में मुनादी भी कर दी थी. एक हाथ से NRC लिस्ट के जरिए घुसपैठियों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार किया गया तो दूसरे हाथ से शरणार्थियों को शरण देने का खाका भी खींच दिया गया. सरकार ने अपनी जिम्मेदारी क्या खूब निभायी, जो कहा था वो किया और तमाम विरोधों, प्रतिरोधों के बावजूद जब बिल संसद में ले आए और मानों विपक्षियों से ये कहकर आए थे, आप अपनी जलन बरकरार रखो हम अपना जलवा बरकरार रखेंगे.

मतलब साफ था कि विपक्ष की ओर से किया गया तुष्टिकरण का कोई वार काम नहीं आया. उत्तेजना हो या संवेदना हर विधा में महारथ हासिल किए अमित शाह ने हर किसी को शांत करा दिया और बता दिया कि वो गृहमंत्रालय का ये सरदार बहुत असरदार है. ऐसा ही असर अमित शाह ने हर मौके पर दिखाया, 370 तो उसकी बानगी मात्र थी.

अमित शाह ने 2019 के चुनाव से पहले कही थी, कहा था कि कश्मीर हिंदुस्तान का अभिन्न था, है और अनंत काल तक रहेगा. बस वहां 370 का एक आसमान था जो थोड़ा दूर सा लगता था और तो उस आसमां में सुराख करने के लिए भी बड़ी ही तबीयत से पत्थर उछाल दिया गया. 370 के बाद अब नागरिकता बिल को भी संसद के दोनों सदनों से पास करा अमित शाह ने अपने नाम को भी चरितार्थ कर दिया क्योंकि अमित का अर्थ होता है असीमित, अथाह…और बुलंद हौसले से लिए गए कठिन फैसलों ने भी अमित शाह का व्यक्तित्व असीमित कर दिया है.

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