Kisan Aandolan:घोड़ों पर सवार होकर सिद्धू बॉर्डर को पार करेंगे किसान, बॉर्डर पर किसानों ने पंजाब से मंगाए 50 घोड़े, बताया ऐसे करेंगे इस्तेमाल

Kisan Aandolan: सिंघु बॉर्डर (Singhu border) सहित दिल्ली में आने वाले अलग-अलग रास्तों पर विभिन्न राज्यों से आने वाले किसानों का सिलसिला जारी. ठंड को देखते हुए प्रदर्शनकारी किसानों की सेवा में जुटे हैं समाजसेवी संगठन.

नई दिल्ली. रात के किसी वक्त सिंघु बॉर्डर (Singhu border) पर पंजाब (Punjab) से घोड़े आए हैं. यह घोड़े ट्रकों में लाए गए हैं. अभी 40 से 50 घोड़े (Horse) आए हैं. लेकिन किसानों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो और भी मंगवाएंगे. घोड़ों के साथ पंजाब से कुछ और लोग भी आए हैं. घोड़ों के बारे में जब किसानों से पूछा गया तो उनका कहना था, पुलिस हमें दिल्ली (Delhi Police) में नहीं जाने दे रही है. हर तरफ बैरिकेड लगा दिए हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम घोड़ों पर सवार होकर बैरिकेड लांघेंगे. लेकिन मांगें नहीं माने जाने पर हम दिल्ली जरूर जाएंगे.

आज किसान नेताओं की 11 बजे मीटिंग है. मीटिंग से पहले स्टेज से कल सरकार के साथ हुई चर्चा के बारे में बाक़ी किसानों को लगातार बताया जा रहा है. किसानों के दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंचने का सिलसिला भी लगातार जारी है. कई किलोमीटर दूर तक ट्रैक्टर-ट्रालियां लगी हुयी है.  कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं वो डटे रहेंगे. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमारे पास 3-4 महीने का राशन है, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, हम हटने वाले नहीं हैं.

बेटी की शादी में भी घर नहीं गया किसान
किसान अपने घर का सारा कामकाज छोड़कर प्रदर्शन में डटे हुए हैं. एक ऐसे ही किसान हैं सुभाष चीमा  जिनकी बेटी की शादी थी, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए क्योंकि उनके लिए किसानों की आवाज उठाना ज्यादा जरूरी है. किसान सुभाष चीमा ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से की बातचीत में कहा कि आज वो जो कुछ भी हैं अपनी खेती-किसानी की वजह से हैं.

जिंदगी भर उन्होंने खेती का काम किया और इसी से उनका परिवार चलता है. ऐसी स्थिति में वे किसान आंदोलन से अपनी नजरें नहीं मोड़ सकते और इसे बीच में छोड़कर नहीं भाग सकते. सुभाष चीमा ने कहा कि गुरुवार को उनकी बेटी की शादी थी लेकिन उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया. 58 साल के सुभाष चीमा भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य हैं और कई वर्षों से इससे जुड़े रहे हैं.

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