बठिंडा. खालसा दीवान गुरुद्वारा साहिब सिंह सभा नजदीक किला मुबारक साहिब में प्रधान और प्रबंधकीय सदस्यों के बीच हुई कहासुनी के बाद विवाद बढ़ गया है। इसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर मनमर्जी करने व फंड का गलत ढंग से इंस्तेमाल करने के आरोप लगाए। बठिंडा शहर की नामवर खालसा दीवान गुरुद्वारा सिंह सभा संस्था एक साल में ही दूसरी बार दोफाड़ हो गई है। इससे पहले अकाली दल व कांग्रेस समर्थकों के बीच सभा में कब्जा जमाने को लेकर जमकर विवाद हुआ था व मामला कोर्ट तक पहुंच गया था।
फिलहाल रविवार को प्रधान वरिन्दर सिंह बल्लों ने मौजूदा कमेटी को भंग करने का एलान कर दिया है और नई समिति जल्द चुनने का भी फैसला किया है। प्रधान ने आरोप लगाए कि सीनियर उपप्रधान गुरभगत सिंह, सचिव कर्मजीत सिंह, खजानची गुरविन्दर सिंह समेत दूसरे प्रबंधकीय मैंबर मनमर्ज़ी करते हैं और गुरू की गोलक का नुकसान कर रहे हैं। इसमें फंडों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है व प्रधान की मंजूरी के बिना ही फंड खर्च किए जा रहे हैं। जिसके चलते फ़ैसला लिया गया कि वर्तमान कमेटी को भंग कर दिया जाए। दूसरी तरफ सीनियर उपप्रधान गुरभगत सिंह, सचिव कर्मजीत सिंह, कैशियर गुरविंदर सिंह, उपप्रधान हरफूल सिंह समेत सभी सदस्यों ने कहा कि बहुमत उनके पास है और प्रधान डिकटेटरशिप चलाना चाहते हैं जिससे सभी दुखी हैं। यहां तक कि खाली चैकों में हस्ताक्षर करवाकर गुरू की गोलक का नुक्सान प्रधान की तरफ से किया जा रहा है अगर कोई हिसाब मांगते हैं तो वह नहीं दिया जा रहा। जिसके चलते उक्त विवाद खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी सूरत में लोगों का दान दिया पैसा गलत ढंग से इस्तेमाल नहीं होने देंगे व इसके लिए हर कानूनी लड़ाई लडेंगे। प्रधान के पास कमेटी को भांग करने का कोई अधिकार नहीं है। कमेटी के अधिकतर मैंबर उनके हक में हैं और प्रधान को बर्ख़ास्त कर सीनियर उपप्रधान गुरभगत सिंह को नया प्रधान चुनने का एलान किया हैं। इस मौके शैक्षिक संस्था की सुपरिटेंडेंट गुरप्रीत कौर ने भी प्रधान पर दुरव्यवहार करने के गंभीर आरोप लगाए। इस मौके बड़ी संख्या में हाजिर सदस्यों ने प्रधान की तरफ से प्रैस कान्फ़्रेंस वाली जगह पर नारेबाज़ी भी की गई।
गौरतलब है कि करीब दो साल पहले धार्मिक संस्था खालसा दीवान श्री गुरु सिंह सभा में प्रधान पद को लेकर खींचतान बढ़ी थी। इसमें अकाली समर्थित राजिंदर सिंह सिधू ने प्रधान होने का दावा किया था और नई कमेटी के 21 जुलाई 2018 को चुनाव कराने का एलान कर दिया था। वहीं दूसरे पक्ष ने कहा था कि उनको प्राथमिक सदस्यता से बर्खाश्त किया जा चुका है। इसके बाद प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस में राजिंदर सिंह सिधू ने गुरमीत सिंह मीता की कमेटी के फैसले को पूरी तरह से असंवैधानिक ठहराते हुए चुनाव करवाने का अधिकार नहीं होने का दावा किया। उन्होंने स्पष्ट किया था कि अदालती की ओर से उन्हें सभा के प्रधान पद पर बने रहने का फैसला सुनाया गया है।
अदालत की हिदायत पर उन्होंने गुरमीत सिंह मीता के घर पर सम्मन भिजवा दिए। राजिंदर सिंह ने कहा कि छह-सात महीने मीता ग्रुप पर सभा की जिम्मेदारी रही, ऐसे में संविधान के अनुसार जनवरी में नई वोटें बनाकर फरवरी में चुनाव करवाने का नियम है लेकिन ऐसा नहीं किया और अब जब अदालत ने राजिंदर सिधू के हक में फैसला दे दिया तो मीता ग्रुप ने भी अपनी दावेदारी जताते हुए चुनाव कराने का एलान कर दिया जोकि उचित कार्यवाही नहीं है। इस मामले में बाद में कांग्रेस बनाम अकाली दल के नेताओं के बीच जमकर खीचतान हुई थी लेकिन मामला कुछ समय तक दबा रहने के बाद एक बार फिर से गर्मा गया है।