करतारपुर / इमरान के मंत्री का दावा- कॉरिडोर खोलने के पीछे सेना प्रमुख बाजवा का दिमाग, यह जख्म भारत को चुभता रहेगा

भारत-पाकिस्तान के बीच सिख श्रद्धालुओं के लिए 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर खोला गया था पाकिस्तान सरकार ने कॉरिडोर का श्रेय इमरान खान को दिया था, लेकिन अब उनके मंत्री ने उल्टा दावा किया

लाहौर. पाकिस्तान के मंत्री शेख राशिद ने शनिवार को दावा कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने के पीछे सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का दिमाग है। उन्होंने भारत को बड़ा जख्म दिया, जो हमेशा चुभता रहेगा। इससे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान कह चुके हैं कि इसे शुरू करने का आइडिया उनका था। कॉरिडोर पंजाब के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर के बीच बना है। इसे गुरु नानक देवजी की 550वीं जंयती के मौके 9 नवंबर को खोला गया था।

इमरान खान ने भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए पहले जत्थे का स्वागत किया था। उन्होंने कहा था,‘‘मुझे इस स्थान की अहमियत के बारे में जानकारी नहीं थी। मुझे एक साल पहले ही इस बारे में पता चला। मैं खुश हूं कि आपके लिए यह कर पाया।’’

‘कॉरिडोर खोलकर जनरल बाजवा ने भारत को बड़ा जख्म दिया’

पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि करतारपुर कॉरिडोर को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहल की थी। लेकिन उनके करीबी रेल मंत्री शेख रशीद ने सरकार के दावे के उलट दावा किया है। रशीद ने कहा, ‘‘जनरल बाजवा ने इस कॉरिडोर को खोलकर भारत को बड़ा जख्म दिया है। जिसे लंबे वक्त तक याद रखा जाएगा। इस प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान ने शांति का माहौल बनाया और सिख समुदाय का प्यार जीता।’’

शेख राशिद ने कहा- इमरान सरकार को पाक सेना का समर्थन

रशीद ने भारतीय मीडिया पर आरोप लगाया कि उसने जनरल बाजवा के सेवा विस्तार को जानबूझकर बड़ा मुद्दा बनाया। उन्होंने माना कि इमरान सरकार को पाकिस्तान सेना का समर्थन है। रशीद ने कहा कि इमरान सरकार के अभी तीन साल बचे हैं और बाजवा को भी तीन साल का सेवा विस्तार मिला है। इसलिए हमारी सरकार कार्यकाल पूरा करेगी।’

मोदी ने 550 श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना किया था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 550 श्रद्धालुओं का पहला जत्था करतारपुर रवाना किया था। यह सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। गुरु नानक 4 यात्राओं को पूरा करने के बाद यहीं बसे थे। यहां उन्होंने हल चलाकर खेती की। गुरुजी अपने जीवन काल के अंतिम 18 वर्ष यहीं रहे और यहीं समाधि ली। उन्होंने रावी नदी के किनारे ही ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ का उपदेश दिया था। लंगर की शुरुआत भी यहीं से हुई।

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