M.P: कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा- 16 बंदी विधायकों को आजाद कर 5-7 दिन खुले माहौल में रहने दीजिए ताकि वे अपना फैसला ले सकें
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मध्य प्रदेश के सियासी बवाल पर सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार, स्पीकर और बागी विधायकों को नोटिस जारी किया गया है. इस बीच कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्ठी लिख बहुमत साबित करने पर जवाब दिया है.
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मुख्यमंत्री कमलनाथ की राज्यपाल को चिट्ठी, 15 महीनों में कई बार बहुमत साबित किया’
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बागी विधायकों को आज़ाद होने दें: CM
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कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा- मैंने 40 साल के राजनीतिक जीवन में हमेशा मर्यादाओं का पालन किया, आपकी चिट्ठी से दुखी हूं
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मुख्यमंत्री ने कहा- मैंने आनाकानी नहीं की, पिछले 15 महीने में विधानसभा में कई बार अपना बहुमत साबित किया है
भोपाल। मध्य प्रदेश की सियासी लड़ाई का नज़ारा भोपाल से लेकर बेंगलुरु और सुप्रीम कोर्ट में दिखाई पड़ रहा है. सोमवार को जब विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया, तो राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 17 मार्च तक बहुमत साबित करने कहा गया. अब कमलनाथ ने राज्यपाल को जवाब दिया है और कहा है कि बेंगलुरु में बंदी बनाए गए विधायकों को पहले रिहा होने दीजिए और कुछ दिन ताज़ी हवा में सांस लेने दीजिए. ताकि वे स्वतंत्र मन से फैसला ले सकें. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका का भी जिक्र किया.
राज्यपाल लालजी टंडन को लिखी चिट्ठी में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने मर्यादा का पालन किया है, लेकिन आपके द्वारा लगाए गए आरोप से वह दुखी हैं. कमलनाथ ने सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित होने के पीछे कोरोना वायरस के कहर को मुख्य कारण बताया. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज फ्लोर टेस्ट ना बुलाए जाने पर बहुमत नहीं होने की बात लिखना असंवैधानिक है.
बहुमत साबित करने के मसले पर कमलनाथ की ओर से कहा गया कि वह 15 महीने के कार्यकाल के दौरान कई बार बहुमत साबित कर चुके हैं, अगर बीजेपी का आरोप सही है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. मैंने आपको पहले भी अवगत कराया है कि कांग्रेस के 16 विधायकों को बीजेपी ने चार्टर्ड प्लेन में बैठाकर बेंगलुरु के रिजॉर्ट में रखा है. कमलनाथ ने आरोप लगाया कि बीजेपी की ओर से इन विधायकों को कई तरह के लालच दिए जा रहे हैं.
पहली चिट्ठी : 16 मार्च शाम 5 बजे
राज्यपाल ने कमलनाथ से कहा- अफसाेस! आपने फ्लोर टेस्ट में आनाकानी की
राज्यपाल ने चिट्ठी में लिखा- 14 मार्च को लिखे गए मेरे पत्र के जवाब में आपका पत्र मिला। खेद है आपके पत्र का भाव/भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है। मैंने 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए लिखा था। सोमवार को सत्र प्रारंभ हुआ, लेकिन विश्वास मत की कार्यवाही प्रारंभ नहीं हुई। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के जिस निर्णय का हवाला दिया गया, वह वर्तमान परिस्थितियों पर लागू नहीं होता। यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा आपको दी गई समयावधि में बहुमत सिद्ध करने की बजाय पत्र लिखकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने में अपनी असमर्थता व्यक्त की/आनाकानी की, जिसका कोई भी औचित्य और आधार नहीं है। आपने फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के जो कारण दिए हैं, वे आधारहीन और अर्थहीन हैं। आप संवैधानिक और लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च तक विधानसभा में फ्लाेर टेस्ट करवाएं और बहुमत सिद्ध करें। अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।
दूसरी चिट्ठी : 16 मार्च रात 10 बजे
कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा- स्पीकर के काम में दखल देना राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं
कमलनाथ ने कहा- विधायकों के दबाव से मुक्त होने पर ही बहुमत परीक्षण होगा। आपने 14 मार्च को मुझे लिखे पत्र में यह मान लिया है कि मेरी सरकार ने बहुमत खो दिया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने भाजपा से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा माना। विधानसभा की कार्यप्रणाली से संबंधित बातों पर मुझसे अपेक्षा की गई है, जबकि यह सब विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है। उनके कार्य में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। विधानसभा राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती। कुल मिलाकर राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम नहीं कर सकते।
तीसरी चिट्ठी : 17 मार्च सुबह 11 बजे
कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा- बंदी विधायकों को आजाद होने दीजिए
कमलनाथ ने 13 घंटे में लिखी दूसरी चिट्ठी में कहा- ”आपने यह मान लिया है कि मेरी सरकार बहुमत खो चुकी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने भाजपा से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा माना है। भाजपा ने कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक बना रखा है। भाजपा के नेता इन विधायकों पर दवाब डालकर उनसे बयान दिलवा रहे हैं। प्रदेश के बंदी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए। 5-7 दिन खुले वतावारण में बिना दबाव के घर में रहने दीजिए ताकि वो स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें। आपने कहा है कि 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने पर यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में बहुमत प्राप्त नहीं है, यह पूरी तरह से आधारहीन और असंवैधानिक है।”