मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की जज बोबडे को देश का अगला चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट में अगले चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अगले महीने की 17 तारीख को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में अब उन्होंने केंद्र सरकार को अगले चीफ जस्टिस का नाम सुझाया है. CJI की ओर से जस्टिस एस.ए. बोबडे का नाम सुझाया गया है, ऐसे में संभावना है कि वो देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे.
नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को सरकार को एक पत्र भेजकर जस्टिस एस ए बोबडे को अगला चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि जस्टिस गोगोई ने मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एन्ड जस्टिस को पत्र लिखकर जज बोबडे को अगला मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। बता दें कि जस्टिस गोगोई ने 3 अक्टूबर, 2018 को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी और 17 नवंबर का उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा। मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गोगोई का कार्यकाल 13 महीने और 15 दिनों का है, जबकि जस्टिस बोबड़े 18 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले सकते हैं और उनका कार्यकाल लगभग 18 महीने का होगा।
गोगोई के कार्यकाल में ही अयोध्या मामले पर आ सकता फैसला
नियमों के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ जज के रूप में होनी चाहिए जो कार्यालय के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। प्रक्रिया के तहत, मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश मिलने के बाद कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री के सामने रखते हैं, जो इस मामले पर राष्ट्रपति को सलाह देते हैं। दूसरी ओर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गोगोई के कार्यकाल में ही अयोध्या में राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले मामले की सुनवाई पूरी गई है और अदालत ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में अगले चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अगले महीने की 17 तारीख को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में अब उन्होंने केंद्र सरकार को अगले चीफ जस्टिस का नाम सुझाया है. CJI की ओर से जस्टिस एस.ए. बोबडे का नाम सुझाया गया है, ऐसे में संभावना है कि वो देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे.
जस्टिस बोबडे इस वक्त रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रही पीठ का हिस्सा हैं, इसके अलावा कई बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं. जस्टिस बोबडे से जुड़ी कुछ बातें जानिए… (सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार)
– जस्टिस अरविंद शरद बोबडे (एस. ए. बोबडे) का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था.
– नागपुर विश्वविद्यालय से बी.ए. और एल.एल.बी डिग्री ली है.
– 1978 में जस्टिस बोबडे ने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था.
– इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की, 1998 में वरिष्ठ वकील बने.
– साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया. इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने.
– 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.
– 18 नवंबर को जस्टिस बोबडे बतौर चीफ जस्टिस शपथ ले सकते हैं, मौजूदा CJI की सिफारिश को केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी.
किन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस एस. ए. बोबडे?
– सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आधार कार्ड को लेकर दिए गए आदेश में जस्टिस एस. एस. बोबडे भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है. इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस नागप्पन शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जानकारी.
– मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ जो यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, उसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के ही तीन जज कर रहे थे. इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे.
– नवंबर, 2016 में तीन बच्चों के द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी, इस फैसले में जस्टिस एस. ए. बोबडे भी शामिल थे. इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. ऐ बोबडे शामिल थे.
– पिछले चालीस दिनों से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की रोजाना सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ में जस्टिस एस. एस बोबडे भी शामिल हैं. पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नज़ीर शामिल हैं. इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला आना बाकी है.