कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता से अमेरिका का इनकार, बताया आंतरिक मामला
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मुद्दे पर अमेरिका का कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है. साथ ही कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तरह की मध्यस्थता से अमेरिका ने इनकार किया है. अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने ट्रम्प प्रशासन के जरिए कश्मीर मुद्दे पर किसी भी मध्यस्थता से इनकार कर दिया है.
वशिंटन। अमेरिका ने दो टूक कहा है कि ट्रम्प प्रशासन जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने का कोई इरादा नहीं रखता है. वाशिंगटन में अमेरिकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार द्वारा हाल में लिया गया फैसला उसका आतंरिक मामला है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सीनियर डिप्लोमैट ने कहा कि पाकिस्तान को इस वक्त अपने नेशनल एक्शन प्लान के तहत काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपनी धरती से नॉन स्टेट एक्टर्स को काम करने नहीं देना चाहिए, क्योंकि खुद पाकिस्तान को भी इसका कोई फायदा नहीं मिलने वाला है.
इस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम मानते हैं कि (जम्मू-कश्मीर पर भारत का फैसला) ये एक आंतरिक मामला है, लेकिन निश्चित रूप से भारत के बॉर्डर पर इस फैसले का असर पड़ रहा है, हम लगातार कह रहे हैं कि दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की वजह बने मुद्दों पर सीधी बात होनी चाहिए.”
इस अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पीएम मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को किया गया फोन अमेरिकी की ओर से मध्यस्थता नहीं है, बल्कि दोनों देशों को आपसी बातचीत के जरिए विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रेरित करना है.
बता दें कि सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इमरान खान से बात की थी. अमेरिकी अधिकारी से जब सवाल पूछा गया कि राष्ट्रपति द्वारा दोनों नेताओं को फोन करना मध्यस्थता नहीं तो क्या है?
इस पर उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने मध्यस्थता करने का प्रस्ताव तभी दिया है जब दोनों ही देश उनसे इस बारे में बात करें, उन्हें दोनों पार्टियों ने मध्यस्थता करने को नहीं कहा है, लेकिन दक्षिण एशिया में शांति और स्थायित्व के लिए राष्ट्रपति की ट्रंप की रूचि कोई नई नहीं है.”
राजनाथ ने भी की फोन पर बात
इस बीच अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क टी. एस्पर ने मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात की और कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और भारत-पाकिस्तान के सभी मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से निपटाने की आवश्यकता है. राजनाथ सिंह ने एस्पर को उनकी नियुक्ति पर बधाई देने के लिए टेलीफोन किया था, जिसके बाद बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही.