जालंधर । गत दिनों गांव कंगनीवाल से छुड़ाए गए बाल मजदूरों के मामले में फरार चल रहे आरोपित ठेकेदार प्रवेश सादा ने बिहार के कई शहरों से बच्चे लाकर सप्लाई किए थे। मुक्त करवाए गए बच्चों ने ही बताया था कि उनके साथ उनके शहर के ही नहीं बल्कि दूसरे शहरों के बच्चे भी थे लेकिन उनमें से अब कई बच्चे तक लापता हैं। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि प्रवेश जालंधर ही नहीं दूसरे शहरों में भी बच्चे सप्लाई करता था। वह खेतों या फिर फैक्ट्रियों में काम करने के लिए बच्चे बेचता था। प्रवेश बच्चों को लाकर यहां पर छोड़ जाता था।
दूसरी ओर जालंधर पुलिस अभी तक उसका जालंधर में ठिकाना नहीं ढूंढ पाई है। न ही यह पता कर पाई है कि उसको सहारा कौन देता था। माना जा रहा है कि प्रवेश जालंधर में नहीं रहता था और बिहार से बच्चे लाकर यहां छोड़ देता था और फिर निकल जाता था। उसने अपना कोई पता ठिकाना नहीं बनाया है जिसके कारण पुलिस उसके बारे में कुछ ज्यादा नहीं पता लगा पा रही है।
आसपास के गांवों में बाल मजदूरों को तलाश रही पुलिस
वहीं, पुलिस अब कंगनीवाल के साथ लगते गांवों में भी बाल मजदूरों को ढ़ूंढ़ रही है ताकि पता लगाया जा सके कि मानव तस्करी के इस धंधे में और कौन कौन शामिल हैं और कितने बच्चे यहां बिहार से लाए गए हैं।
यह था मामला
कुछ दिन पहले बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के पदाधिकारियों ने थाना सदर की पुलिस के साथ मिलकर कंगनीवाल के पास एक फार्म हाउस में काम कर रहे 40 बच्चों को मुक्त करवाया था। पुलिस की जांच में सामने आया था कि बच्चों को काम करवाने के नाम पर बिहार से लाकर जालंधर में बेचा गया था। उनसे मारपीट भी की जाती थी। जो बच्चे काम करने से मना करते थे, उन्हें दूसरी जगह भेजकर मानसिक यातना दी जाती थी। जांच में खुलासा हुआ था कि जिन बच्चों को बरामद किया गया है उनके और भी साथी थे, जो कई और जगह पर भेजे गए हैं। पुलिस ने आरोपित ठेकेदार प्रवेश सादा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।
बच्चों को पैसों का लालच देकर और शहरों में घुमाने के साथ तीन महीने काम कराने की बात कहकर भन्नू यादव, लीलेश सहित कई ठेकेदार गांव से बच्चों को ले जाते हैं। परिवारों को यह भी नहीं बताया जाता है कि बच्चे कहां ले जा रहे हैं और उन्हें क्या काम करना है। बच्चे जब कभी घर जाने की जिद करते हैं तो उन्हें मारा-पीटा जाता है।
यहां तक की उनके मोबाइल तक तोड़ दिए जाते हैं ताकि वे अपने घर वालों से बात न कर सकें। बच्चे भाग न जाएं इसलिए उन्हें कैद में रखा जाता है। शिकायत करने पर ठेकेदार बच्चों को मारने-पीटने की धमकी तक दे रहे हैं।’ यह बात शनिवार को बिहार के खगड़िया जिले में खरौरा गांव में रहने वाली पिंकी देवी ने कही।
पिंकी के पति मोहन सादा ने ही अपने बेटे दिलखुश कुमार को बंधक बनाए जाने की शिकायत पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन से की थी। पिंकी ने बताया कि पति की शिकायत पर जालंधर के कादियांवाल इलाके में फार्म हाउस पर छापेमारी हुई तो बिहार से आए 40 बच्चों को छुड़ा लिया गया लेकिन उनका बेटा अभी तक घर नहीं पहुंचा।
साल पहले बेटों को ले गए, एक भाग आया, दूसरे का कुछ पता नहीं…
पिंकी ने बताया कि उनके दो बेटे दिलखुश और दिलीप को साल पहले गांव से ठेकेदार 3 महीने काम करने के लिए ले गए थे। तीन माह में 15000 रुपए देने के लिए कहा था, मगर न कोई पैसा मिला न दिलखुश वापस लौटा। छोटा बेटा दिलीप कुछ दिन पहले ही जालंधर के फार्म हाउस से भाग आया।
उसने ही जालंधर के आलू फार्म हाउस में बच्चों को बंधक बनाकर काम कराने की बात बताई। बेटे दिलीप कुमार से जानकारी मिलने के बाद मोहन ने बड़े बच्चे को छुड़ाने के लिए मामले की शिकायत पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन से की थी।