जालंधर। जाली दस्तावेजों पर नगर निगम का टेंडर लेने के लिए फर्जीवाड़े का एक और मामला सामने आया है। जालंधर के कांट्रेक्टर ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को हायर करने का ठेका लेने के लिए जाली लेबर लाइसेंस के साथ आवेदन किया था। 20 फरवरी, 2020 को टेंडर के साथ ठेका कंपनी विशाल गवर्नमेंट कांट्रेक्टर ने दो लेबर लाइसेंस लगाए थे। नगर निगम ने तकनीकी जांच के दौरान कांट्रेक्टर के लेबर लाइसेंस की जांच करवाई तो सामने आया कि जालंधर के सहायक लेबर कमिश्नर ऑफिस से विशाल गवर्नमेंट कांट्रेक्टर को कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।
नगर निगम के ऑपरेशन एंड मेंटिनेस डिपार्टमेंट के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर सतिंदर कुमार की जांच रिपोर्ट के बाद नगर निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा ने पुलिस कमिश्नर को लेटर लिख दिया है कि विशाल गवर्नमेंट कांट्रेक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। एक लेबर लाइसेंस पर तो ठेका कंपनी ने खुद तसदीक किया है कि यह सर्टीफिकेट सही है। नगर निगम ने इसी को आधार बनाते हुए ठेका कंपनी पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने जानबूझ कर ही फ्रॉड किया है।
इससे पहले अमृतसर की वीएच इंटरप्राइजेज कंपनी ने प्रॉविडेंट फंड के जाली कागज लगा कर टेंडर के लिए आवेदन किया था। यह गड़बड़ी अकाली-भजापा सरकार के समय में हुई थी। मेयर जगदीश राजा ने इस गड़बड़ी की फाइल दोबारा खुलवाई और पुलिस कमिश्नर को शिकायत दी। इस मामले में जालंधर के एक भाजपा नेता का हाथ बताया जा रहा है और उन्हीं की सिफारिश पर कार्रवाई रोकी गई है।
एक अन्य मामले में होशियारपुर की बजवाड़ा कोऑपरेटिव लेबर एंड कंस्ट्रक्शन सोसायटी ने निगम से इनलिस्टमेंट के नकली कागजात जमा करवाए थे। जांच के दौरान इस धोखाधड़ी का पता चला था। इस ठेका कंपनी के खिलाफ भी पुलिस को शिकायत दी है लेकिन अभी तक कार्रवाई कोई नहीं हुई।