चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ ‘चंद्रयान-2’, 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा

चंद्रयान 2 को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला ऑर्बिटर है, जो चांद की कक्षा में रहेगा. दूसरा लैंडर है जिसका नाम विक्रम है ये चांद की सतह पर उतरेगा और तीसरा हिस्सा है प्रज्ञान जो कि रोवर है, ये चांद की सतह पर घूमेगा.

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बेंगलूरू: भारत ने अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. चंद्रयान- 2 आज चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया. इसरो ने जानकारी दी कि करीब 9.30 बजे चंद्रयान ने चंद्रमा के लॉन्चर ऑरबिट में प्रवेश किया. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर को उतरेगा.

इससे पहले, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया के बारे बताया था कि कैसे इस चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया जाएगा. इसरो के लिए यह उपलब्धि मील का पत्थर है. चंद्रयान- 2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था.

बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में  चेयरमैन डॉक्टर के सिवन ने मीडिया ब्रीफिंग के जरिए चंद्रयान 2 के लूनर आॅर्बिट में प्रवेश के बाद चंद्रयान 2 की आगे की राह के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि 7 सितंबर को प्रात:काल 1:55 बजे लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर सतह पर लैंड करेगा। अब वे वहां मौजूद पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने इस मीडिया ब्रीफिंग में होने वाली देरी के लिए माफी मांगी। इसका सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट और यू ट्यूब चैनल के जरिए किया जा रहा है।  इसरो ने अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए इस बात की जानकारी पहले ही दे दी थी।

चंद्रयान 2 को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला ऑर्बिटर है, जो चांद की कक्षा में रहेगा. दूसरा लैंडर है जिसका नाम विक्रम है ये चांद की सतह पर उतरेगा और तीसरा हिस्सा है प्रज्ञान जो कि रोवर है, ये चांद की सतह पर घूमेगा.

 

जानें इस मिशन की खासियतें:

 

‘चंद्रयान 2’ मिशन अपने साथ भारत के 13 पेलोड और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक उपकरण लेकर गया है. 13 भारतीय पेलोड में से ओर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो पेलोड और नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा.

 

इस मिशन का कुल वजन 3.8 टन है. यान में तीन मॉड्यूल हैं, जिसमे ऑर्बिटर, लैंडर जिसका नाम विक्रम दिया गया है और रोवर जिसका नाम प्रज्ञान दिया गया है.

 

ऑर्बिटर: ऑर्बिटर चांद की सतह से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा. साथ ही रोवर से मिला डेटा ऑर्बिटर लेकर मिशन सेंटर को भेजेगा. ऑर्बिटर में कुल आठ पेलोड हैं.

दी ये जानकारी-

– 2 सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर निकल जाएगा इसके बाद दोनों हिस्‍सों का नियंत्रण करना होगा

– लैंडर से निकलते ही रोवर का कैमरा काम करना शुरू कर देगा

– लैंडर से रोवर को निकलने में तीन घंटे का समय लगेगा।

– साउथ पोल पर रोवर मुख्‍यत: केमिकल कंपोजिशन का अध्‍ययन करेगा

– स्‍पेसक्राफ्ट के हेल्‍थ के बारे में  उन्‍होंने कहा कि सब बढ़िया है।

– लैंडर विक्रम के अलग होने के बाद चुनौतियों के बारे में बताया कि कई चुनौतियां हैं। सबसे पहले उनकी गति को कंट्रोल करना।

– साउथ पोल पर लैंडिंग के बाद विभिन्‍न तत्‍वों का करेगा अध्‍ययन

– 100 km की कक्षा में पहुंचने के बाद रोवर और लैंडर अलग हो जाएंगे।

–    लैंडिंग के बाद चंद्रमा की स्पष्ट  तस्वीरें मिलने लगेंगी।

–    आज 20 मिनट तक थम गई थीं धड़कनें

–  आज सुबह 9 बजे चांद के ऑर्बिट में पहुंचा चंद्रयान-2

–    चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा चंद्रयान 2

–    पूरी एक्यूरेसी से कर रहे हैं काम ताकि चंद्रयान-2 को चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक उतार सकें

इसरो अध्‍यक्ष ने बताया, ‘मिशन का अहम दौर पूरा हुआ। इसके साथ ही अंतरिक्ष में इसरो में ने इतिहास रच दिया। उन्‍होंने बताया कि आज सुबह 9बजकर 2मिनट पर हुआ पर चंद्रयान 2 चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया अब यह 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा।’

इसरो की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के बाद चंद्रयान 2 की गति धीमी हो जाएगी। साथ ही ऑनबोर्ड प्रपल्‍शन सिस्टम को फायर किया जाएगा ताकि यान चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव में आ सके। इसरो के अध्‍यक्ष ने जानकारी दी थी कि चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद इसरो कक्षा के अंदर स्पेसक्राफ्ट की दिशा में पांच बार बदलाव करेगा।

इसके बाद यह चंद्रमा के ध्रुव के ऊपर से गुजरकर उसके सबसे करीब- 100 किलोमीटर की दूरी की अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।

इंडियन डीप स्‍पेस नेटवर्क (IDSN) के एंटीना की सहायता से बेंगलुरु के इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से मिशन ऑपरेशन कंपलेक्‍स (MOX) से स्‍पेसक्राफ्ट की स्‍थिति की लगातार निगरानी की जा रही है। इसके अनुसार अभी तक चंद्रयान-2 के सभी सिस्‍टम बेहतर स्‍थिति में हैं।

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’।

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