इसरो ने सुनाई खुशखबरी- चांद पर सलामत है विक्रम लैंडर, संपर्क की कोशिशें जारी

इसरो के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है कि वह गिरने के बाद भी खुद को खड़ा कर सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि उसके कम्युनिकेशन सिस्टम से संपर्क हो जाए और उसे कमांड रिसीव हो सके.

0 998,287
  • संचार स्थापित हुआ तो खड़ा हो सकता है विक्रम लैंडर
  • अगर खड़ा हो गया तो रोवर भी बाहर निकल पाएगा

बेगलुरू। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है. इसरो के मुताबिक विक्रम सुरक्षित है और कोई भी टूट-फूट नहीं हुई है. इसरो के अधिकारी ने कहा कि हम लैंडर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के गिरने से इसरो अभी निराश नहीं हुआ है. ये बात अलग है कि विक्रम लैंडर अपने तय स्थान से करीब 500 मीटर दूर चांद की जमीन पर गिरा पड़ा है लेकिन अगर उससे संपर्क स्थापित हो जाए तो वह वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. इसरो के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है कि वह गिरने के बाद भी खुद को खड़ा कर सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि उसके कम्युनिकेशन सिस्टम से संपर्क हो जाए और उसे कमांड रिसीव हो सके.

Image result for इसरो विक्रम को पैरों में खड़ा

विक्रम लैंडर में ऑनबोर्ड कम्प्यूटर है. यह खुद ही कई काम कर सकता है. विक्रम लैंडर के गिरने से वह एंटीना दब गया है जिसके जरिए कम्युनिकेशन सिस्टम को कमांड भेजा जा सकता था. अभी इसरो वैज्ञानिक यह प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह उस एंटीना के जरिए विक्रम लैंडर को वापस अपने पैरों पर खड़ा होने का कमांड दिया जा सके. अब आप सोच रहे होंगे कि गिरा हुआ विक्रम लैंडर खुद-ब-खुद अपने पैरों पर कैसे खड़ा होगा. क्या कोई उसे वहां उठाएगा.

आइए जानते हैं कि कैसे अपने पैरों पर खड़ा होगा विक्रम लैंडर

इसरो के सूत्रों ने बताया कि विक्रम लैंडर के नीचे की तरफ पांच थ्रस्टर्स लगे हैं. जिसके जरिए इसे चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी. इसके अलावा, विक्रम लैंडर के चारों तरफ भी थ्रस्टर्स लगे हैं, जो अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान उसकी दिशा तय करने के लिए ऑन किए जाते थे. ये थ्रस्टर्स अब भी सुरक्षित हैं. लैंडर के जिस हिस्से में कम्युनिकेशन एंटीना दबा है, उसी हिस्से में भी थ्रस्टर्स हैं. अगर पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशन से भेजे गए कमांड को सीधे या ऑर्बिटर के जरिए दबे हुए एंटीना ने रिसीव कर लिया तो उसके थ्रस्टर्स को ऑन किया जा सकता है. थ्रस्टर्स ऑन होने पर विक्रम एक तरफ से वापस उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इस मिशन से जुड़े वे सारे प्रयोग हो पाएंगे जो पहले से इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को लेकर तय किए थे.

11 दिन बचे हैं विक्रम को वापस अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए

इसरो प्रमुख के. सिवन ने रविवार को कहा था कि इसरो की टीम लैंडर विक्रम से कम्युनिकेशन स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है और जल्द ही संपर्क स्थापित हो जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं. एक अनुमान के मुताबिक इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं. क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है. एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं. यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा. उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है. रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी. फिर इसरो वैज्ञानिकों को इंतजार करना पड़ेगा.

Leave A Reply

Your email address will not be published.