सफलता की ओर Chandrayaan-2, चांद की दूसरी कक्षा में पहुंचा, अब 7 दिनों तक इसी में लगाएगा चक्कर
ISRO ने आज यानी बुधवार को Chandrayaan-2 को चांद की दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है. इसरो वैज्ञानिक दोपहर 12.30 से 01.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN#2 में डाला. अब अगले सात दिनों तक चंद्रयान-2 अब चांद के चारों तरफ 118 किमी की एपोजी और 4,412 किमी की पेरीजी वाली अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा.
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी बुधवार को Chandrayaan-2 को चांद की दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है. इसरो वैज्ञानिक दोपहर 12.30 से 01.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN#2 में डाला. अब अगले सात दिनों तक चंद्रयान-2 अब चांद के चारों तरफ 118 किमी की एपोजी और 4,412 किमी की पेरीजी वाली अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा. इसके बाद 28 अगस्त को चंद्रयान-2 को चांद की तीसरी कक्षा में डाला जाएगा.
#ISRO
Second Lunar bound orbit maneuver for #Chandrayaan2 spacecraft was performed successfully today (August 21, 2019) beginning at 1250 hrs ISTFor details please visit https://t.co/cryo8a7qre pic.twitter.com/MpiktQOyX6
— ISRO (@isro) August 21, 2019
इसरो वैज्ञानिकों ने 20 अगस्त यानी मंगलवार को चंद्रयान-2 को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया था. इसरो वैज्ञानिकों ने मंगलवार को चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया था. चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी इसलिए की गई थी ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए. 20 अगस्त यानी मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था. लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया.
7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे.
1 सितंबर तक चार बार चांद के चारों तरफ चंद्रयान-2 बदलेगा अपनी कक्षा
LBN#2- 21 अगस्त की दोपहर 12.30-1.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 118×4412 किमी की कक्षा में डाला गया.
LBN#3- 28 अगस्त की सुबह 5.30-6.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 178×1411 किमी की कक्षा में डाला जाएगा.
LBN#4- 30 अगस्त की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 126×164 किमी की कक्षा में डाला जाएगा.
LBN#5- 01 सितंबर की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 114×128 किमी की कक्षा में डाला जाएगा.
2 सितंबर को यान से अलग हो जाएगा विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर
चांद के चारों तरफ 4 बार कक्षाएं बदलने के बाद चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर बाहर निकल जाएगा. विक्रम लैंडर अपने अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की तरफ बढ़ना शुरू करेगा.
3 सितंबर को विक्रम लैंडर के सेहत की जांच की जाएगी
3 सितंबर को विक्रम लैंडर की सेहत जांचने के लिए इसरो वैज्ञानिक 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे और उसकी कक्षा में मामूली बदलाव करेंगे.
4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीक पहुंच जाएगा चंद्रयान-2
इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को 4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे. इस कक्षा की एपोजी 35 किमी और पेरीजी 97 किमी होगी. अगले तीन दिनों तक विक्रम लैंडर इसी कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा. इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे.
7 सितंबर होगा सबसे चुनौतीपूर्ण, चांद पर उतरेगा विक्रम लैंडर
- 1:40 बजे रात (16 और 17 सितंबर की दरम्यानी रात) – विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा. यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा.
- 1:55 बजे रात – विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे.
- 3.55 बजे रात – लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा.
- 5.05 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा. इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा.
- 5.10 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा. वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा. इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा.
हो सकता है कि ऑर्बिटर 2 साल तक काम करे
चंद्रयान-2 लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ तो चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग करेंगे. लेकिन, ऑर्बिटर सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए रिसर्च करेगा. इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार चांद की कक्षा में सारे बदलाव करने के बाद ऑर्बिटर में इतना ईंधन बच जाएगा कि वह दो साल तक काम कर सकता है. लेकिन यह सब 7 सितंबर के बाद तय होगा.