क्या कश्मीर में 35 ए हटाने की शुरू हो गई तैयारी, जवानों की तैनाती से हलचल तेज
नरेंद्र मोदी सरकार के 15 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आदेश के बाद खलबली मच गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 35 ए को हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घाटी से लौटने के दो दिन बाद 100 अतिरिक्त कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजने का आदेश जारी किया गया है. हालांकि स्थानीय नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है.
- घाटी में अतिरिक्त 10 हजार जवानों की तैनाती से हलचल
- सूत्र बोले- 35 ए की उल्टी गिनती शुरू हो गई है
- राज्य की पार्टियों ने किया मोदी सरकार के फैसले का विरोध
- घाटी में सीएपीएफ की कंपनियों का पहुंचना शुरू हो गया है
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के 15 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आदेश के बाद खलबली मच गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 35 ए को हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घाटी से लौटने के दो दिन बाद 100 अतिरिक्त कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजने का आदेश जारी किया है. हालांकि स्थानीय नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके लिए कोई कसर छोड़ी नहीं जा रही है. आदेश से यह साफ नजर आ रहा है. 35 ए के विरोध को लेकर हिंसा या राज्य की शांति भंग करने के प्रयास हो सकते हैं, इसे कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की जाएगी. ताकि आम नागरिकों को कम से कम असुविधा हो.
लोकसभा 2019 चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 ए और 370 को खत्म करने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी. भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि ये अनुच्छेद राज्य के एकीकरण में बाधा बनने के अलावा जम्मू-कश्मीर के विकास में भी रुकावट बने हुए हैं. मोदी सरकार के इस कदम से लग रहा है उसने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.
…तो यह है मोदी सरकार की योजना
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना के लिए हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान दिया जा रहा है. यानी कानून एवं व्यवस्था कैसे काम करेगी. खुलकर सामने आने वाले और अंडर ग्राउंड रहने वाले अलगावादी कैडरों की प्रतिक्रिया क्या होगी और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों इस पर क्या बोलेंगी. इन सब बिंदुओं पर भी काम किया जा रहा है.
सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि अनुच्छेद 35 ए को हटाए जाने के बाद कानून-व्यवस्था के मुद्दे से निपटने के लिए ऑपरेशन को नाम भी दे दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि जो असामाजिक तत्व सार्वजनिक तौर पर माहौल खराब कर सकते हैं, उनकी लिस्ट बनाई जा चुकी है. ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों को हिरासत में लिया जाएगा, ताकि राज्य में शांति रहे. दिलचस्प बात है कि असामाजिक तत्वों की लिस्ट में सिर्फ अलगाववादी ही नहीं बल्कि स्थानीय राजनेता भी हैं. उन्हें भी रडार पर रखा गया है, जिससे वह मौके का राजनीतिक फायदा न उठा पाएं.
घाटी में जवानों का आना शुरू
पिछले तीन दिनों में घाटी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की अतिरिक्त कंपनियों का आना शुरू भी हो गया है. सीएपीएफ को ले जाने वाले स्पेशल प्लेन तीन दिनों में श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरे हैं. जबकि अतिरिक्त कंपनियों को ले जाने वाले काफिले जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे के जरिए राज्य में पहुंच रहे हैं. अमरनाथ यात्रा और सुरक्षा कारणों के चलते सीएपीएफ की 450 कंपनियों के 40 हजार जवान पहले ही घाटी में तैनात हैं. इसमें काउंटर इंसर्जेंसी राष्ट्रीय राइफल्स शामिल नहीं है, जो आतंकरोधी अभियानों को अंजाम देती है.
राजनीतिक दलों ने दी यह प्रतिक्रिया
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को मोदी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा था. कोर्ट में अनुच्छेद 370 और 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं. राज्य की नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जम्मू-कश्मी पीपुल्स मूवमेंट और अन्य क्षेत्रीय दलों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जम्मू एवं कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जे एंड केपीएम) और राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद 370 और 35ए से छेड़छाड़ का विरोध किया है.
वहीं नौकरशाही छोड़कर राजनीति में आने वाले जे एंड केपीएम अध्यक्ष शाह फैसल ने भी 100 कंपनियों की तैनाती पर चिंता जताई. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, घाटी में अचानक सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती क्यों हो रही है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है. इस बात की अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा भयंकर होने वाला है. क्या यह अनुच्छेद 35ए को लेकर है?
पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह ने बताया कि वह पहले से ही उत्तरी कश्मीर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की मांग
वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह ने बताया कि वह पहले से ही उत्तरी कश्मीर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की मांग करते रहे हैं. अतिरिक्त जवानों की तैनाती उनके आग्रह के बाद ही हुई है. उधर, गृहमंत्रालय द्वारा जारी किए गए ऑर्डर में कहा गया है कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती इसलिए की जा रही है ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था बेहतर की जा सके.
- दिलबाग सिंह ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में जवानों की संख्या जरूरत से भी कम है. इसलिए हमें यहां अतिरिक्त जवानों की जरूरत थी. 100 कंपनियों को हवाई मार्ग से उत्तरी कश्मीर भेजा गया है. हमनें पहले ही इसकी मांग की थी. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जवानों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर किए जाने वाले अन्य दावे तथ्यों से दूर हैं. सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर भेजे गए जवानों को देश के अलग-अलग इलाकों से चुना गया है.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अमरनाथ यात्रा को सफल बनाने को लेकर राज्य में 40 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी. वहीं, इस साल 24 फरवरी को 100 पारामिलिट्री फोर्स को घाटी में तैनात किया गया था. उस दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि इन जवानों की तैनाती अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने दोबारा में सत्ता में आने के बाद अजीत डोभाल को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. इतना ही नहीं इस बार मोदी सरकार ने अजित डोभाल को केंद्रीय मंत्री का दर्जा भी दिया था.
मोदी सरकार ने यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए लिया था. उनकी यह नियुक्ति पांच वर्षों के लिए होगी. बता दें कि अजित डोभाल पीएम मोदी की पिछली सरकार में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद की जिम्मेदारी निभा रहे थे. गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) के बेटे शौर्य डोभाल को कुछ महीने पहले ही ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा (Z Category Security) दी गई थी. अधिकारियों ने बताया कि उन्हें संभावित खतरों को देखते हुए ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा (Z Category Security) दी गई.