पाकिस्तानी सेना में होता है अपने ही सैनिकों से भेदभाव
एलओसी पर भारतीय सेना की जबर्दस्त कारवाई से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है और शांति के लिए सफेद झंडे का इस्तेमाल कर रहा है. एक वीडियो सामने आया है जिसमें पाकिस्तानी सेना एलओसी पर पड़े अपने सैनिकों के शव ले जाने के लिए भारतीय सेना को सफेद झंडा दिखा रही है ताकि भारतीय सेना फायरिंग ना करे.
नई दिल्लीः एलओसी पर भारतीय सेना की जबर्दस्त कारवाई से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है और शांति के लिए सफेद झंडे का इस्तेमाल कर रहा है. दरअसल, एक वीडियो सामने आया है जिसमें पाकिस्तानी सेना एलओसी पर पड़े अपने सैनिकों के शव ले जाने के लिए भारतीय सेना को सफेद झंडा दिखा रही है ताकि भारतीय सेना फायरिंग ना करे.
जानकारी के मुताबिक, 10-11 सितबंर को पाकिस्तानी सेना ने हाजीपीर सेक्टर में युद्धविराम का उल्लंघन किया. इसका जवाब भारतीय सेना ने जबरदस्त गोलाबारी से किया. भारत की कारवाई में पाकिस्तानी सेना की पंजाब रेजीमेंट का एक सैनिक मारा गया. उसका शव उठाने आया दूसरा सैनिक भी भारत की फायरिंग में मारा गया. इसके बाद 13 सितंबर को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने सफेद झंडा दिखाया ताकि भारतीय सेना एलओसी पर फायरिंग बंद कर दे और वे अपने शव वापस ले जाए. ये वीडियो भी 13 सितंबर का ही है.
भारतीय सेना के सूत्रों की मानें तो हाजीपीर सेक्टर में मारे गए एक पाकिस्तानी सैनिक की पहचान गुलाम रसूल के तौर पर हुई है जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलनगर का रहने वाला है. सूत्रों की मानें तो पाकिस्तानी सेना ने भारत को सफेद झंडा इसलिए तो दिखाया है कि भारतीय सेना अपनी जवाबी कारवाई बंद कर दे, साथ ही इसलिए भी कि मारे गए दोनों सैनिक पाकिस्तान के पंजाबी मुसलमान थे. पाकिस्तानी सेना में पंजाबी मुसलमानों को उंचा दर्जा मिलता है.
आपको बता दें कि 30-31 जुलाई को एलओसी के केरन सेक्टर में ‘बैट एक्शन’ के लिए आए पाकिस्तानी सेना के पांच जवानों को भारतीय सेना ने ढेर कर दिया था. ये जवान पाकिस्तानी सेना की नार्दन लाइट इंफेंट्री यानि एनएलआई के थे. इस एनएलआई रेजीमेंट में अमूमन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि पीओके के कश्मीरी होते हैं. यही वजह है कि भारतीय सेना के कहने पर भी पाकिस्तानी सेना उन सैनिकों के शवों को लेकर नहीं गई.
गौरतलब है कि करगिल युद्ध के दौरान भी पाकिस्तानी सेना अपने उन जवानों के शव नहीं लेकर गई थी जो एनएलआई रेजीमेंट के थे. बाद में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के पार्थिव शरीर का विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार किया था.