नई दिल्ली: कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.. कर्नाटक विधानसभा से अब तक 11 विधायक इस्तीफ़ा दे चुके हैं. इस्तीफ़ा देने वालों में 8 विधायक कांग्रेस के जबकि तीन विधायक जेडीएस के हैं. ये सभी विधायक मुंबई पहुंच चुके हैं जहां उन्हें सोफिटेल होटल में ठहराया गया है. इधर, अपनी सरकार को बचाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री न्यूयॉर्क से भारत के लिए निकल पड़े हैं.. कांग्रेस ने भी दिल्ली में कर्नाटक के संकट से निपटने के लिए आपात बैठक की. जहां बीजेपी पर विधायकों की ख़रीद फरोख़्त का आरोप लगाया. यदि इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन (जिसके 118 विधायक हैं) 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत खो देगा. वहीं, भाजपा के 105 विधायक हैं. कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों के समूह के अपना इस्तीफा सौंपने के लिए विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के कार्यालय पहुंचने और बाद में राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करने के बाद गठबंधन सरकार की स्थिरता का संकट गहरा गया है.
- विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, “मुझे मेरे निजी सचिव से पता चला है कि 11 विधायकों ने मेरे कार्यालय में त्याग-पत्र दे दिए हैं। उन्हें उसकी पावती दे दी गई। मैं उन्हें मंगलवार (9 जुलाई) को देखूंगा क्योंकि सोमवार को मैं छुट्टी पर हूं.” कांग्रेस सूत्रों ने नई दिल्ली में कहा कि राज्य के प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल इस समय केरल में हैं और वह बेंगलुरू पहुंच रहे हैं तथा कांग्रेस विधायकों से मिलेंगे.
- इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के पांच विधायकों में प्रतापगौड़ा पाटील (मस्की), बी.सी. पाटील (हिरेकेरुर), रमेश जरकीहोली (गोकक), शिवराम हेब्बर (येल्लापुर), महेश कुमताहल्ली (अथानी), रामालिंगा रेड्डी (बीटीएम लायौट), एस.टी. सोमशेकर (यशवंतपुर) और एस.एन. सुब्बा रेड्डी (कोलार में केजीएफ) शामिल हैं. जद (एस) के तीन विधायकों में ए.एच. विश्वनाथ हुनसुर, एन. नारायणा गौड़ा के.आर. पेटे और गोपालैया (बेंगलुरू उत्तरपश्चिम में महालक्ष्मीम) शामिल हैं।
- यद्यपि जरकीहोली ने पहली जुलाई को ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था, क्योंकि यह उनके कार्यालय को फैक्स के जरिए भेजा गया था, जो प्रक्रिया के खिलाफ है. कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने भी पहली जुलाई को इस्तीफा दे दिया था। चूंकि उन्होंने अपना इस्तीफा खुद जाकर विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा था, लिहाजा इसे उन्होंने स्वीकार किया था.
- चूंकि विधायकों की मुलाकात विधानसभा अध्यक्ष से उनके कार्यालय में नहीं हो पाई, इसलिए वे अपने इस्तीफे के निर्णय से राज्यपाल वजुभाई वाला को अवगत कराने के लिए राजभवन गए. ए.एच. विश्वनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि तीन और विधायक जल्द ही इस्तीफा देंगे। वह इस्तीफा दे चुके अन्य विधायकों के साथ मीडिया के समक्ष उपस्थित हुए।
- राज्यपाल के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि विधायकों ने इस्तीफे की एक प्रति वाला को दी है, क्योंकि वे विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे की प्रतियां नहीं दे पाए थे. बेंगलुरू दक्षिण में बीटीएम लायौट विधासभा सीट से सात बार के विधायक रेड्डी पूर्व की कांग्रेस सरकार में मंत्री थे.
- कांग्रेस के तीन और विधायक कथित तौर पर इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं. इनमें रेड्डी की बेटी सौम्या(जयानगर), बयारती बासवराज (के.आर. पुरम), और मुनिरत्ना (आर.आर. नगर) शामिल हैं. विश्वनाथ ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए जद (एस) की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था. लोकसभा चुनाव में पार्टी मात्र हासन सीट बचा पाई थी.
- भाजपा प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने यहां आईएएनएस से कहा, “यदि विधानसभा अध्यक्ष सभी 14 इस्तीफों को स्वीकार कर लेते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन 104 सदस्यों के साथ अल्पमत में आ जाएगा और विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान हार जाएगा.” राज्य विधानसभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से होना है, जिस दौरान मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी दी जानी है और लंबित विधेयकों व विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होनी है, जिसमें किसानों की कर्जमाफी, सूखा राहत कार्य और जल संकट शामिल हैं.
- विश्वनाथ ने कहा कि गठबंधन सरकार जन आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही है. उन्होंने कहा, “शासन में सहयोगियों के बीच समन्वय का अभाव स्पष्ट है, जो सत्ता साझेदारी और दैनिक प्रशासन में दिख रहा है.” विश्वनाथ ने इसमें भाजपा की किसी तरह की भूमिका से इंकार किया, और कहा कि कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों ने खुद से इस्तीफे दिए हैं. उन्होंने कहा, “भाजपा से हमारा कुछ लेना-देना नहीं है। विधायकों का खरीद-फरोख्त नहीं हुआ है. हम सभी राजनीति में वरिष्ठ हैं. हमें खरीदा नहीं जा सकता.”
- इस बीच, कर्नाटक में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता पर नई दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माथापच्ची कर रहे हैं. आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीतेंद्र सिंह, पार्टी के कम्युनिकेशंस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा शाम को राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी मुख्यालय पहुंचे. कार्यालय के अंदर जाने से पहले सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, “बैठक के बाद हम कर्नाटक संकट पर बात करेंगे.”
- स्पीकर समेत कांग्रेस के 80 विधायक हैं. जेडीएस के 38 विधायक जिनमें BSP सदस्य भी हैं. एक निर्दलीय भी सरकार में मंत्री. जादुई आंकड़े के एकदम करीब. अगर 14 विधायक इस्तीफ़े पर कायम रहे तो सदस्य संख्या घटकर 210 रह जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 106 विधायक होगा. निर्दलीय नागेश पलड़ा बदलने में माहिर हैं तब बीजेपी सरकार बना भी सकती है.
मुंबई के इसी फाइव स्टार होटल में ठहराया गया है कर्नाटक के सभी 11 बागी विधायकों को
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि बीजेपी ‘दलबदल’ कर कर्नाटक में सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. उधर राज्य के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ डीके शिवकुमार ने माना है कि वह भावनाओं में बहकर बागी विधायकों के इस्तीफों को फाड़ दिया था. उन्होंने कहा, ‘उनको मेरे खिलाफ शिकायत करने दीजिए, मैंने बहुत बड़ा रिस्क लिया है. मैंने ऐसा अपनी पार्टी को बचान के लिए किया है.’ कुल मिलाकर कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार एक बड़े संकट में फंसी हुई है और दूसरी ओर सीएम कुमारस्वामी अमेरिका में हैं. दूसरी ओर इस्तीफा देने के बाद सभी 11 विधायक प्राइवेट जेट से मुंबई निकल गए जहां उनको फाइव स्टार होटल सोफिटेल में ठहराया गया है. मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि बीजेपी क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर रही है. यह ठीक नहीं है. कर्नाटक में चुनाव हुए अभी एक साल भी नहीं हुए हैं. मुझे डर है क्या देश में लोकतंत्र है?