वैक्सीन पर खुफिया एजेंसियों में भी मुकाबला:अमेरिका की कोरोना वैक्सीन का रिसर्च डेटा चुराने की साजिश रच रहे चीन और रूस, अमेरिका ने सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की

अमेरिका के कई शहरों और यूनिवर्सिटीज में वैक्सीन पर रिसर्च चल रहा है नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी को एफबीआई ने वैक्सीन सेफ्टी पर अलर्ट किया है

0 1,000,173

नई दिल्ली। अमेरिकी इंटेलिजेंस ने एक बार फिर कहा है कि रूस और चीन अमेरिका की वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट का डेटा चुराने की साजिश में जुटे हैं। अमेरिका में फाइजर समेत कुछ कंपनियां वैक्सीन तैयार कर रही हैं। नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के अलावा कई हाईटेक लैब्स में रिसर्च चल रही है। चीन और रूस की खुफिया एजेंसियां रिसर्च का डेटा चुराने की भरसक कोशिश कर रही हैं। ब्रिटेन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने फाइबर ऑप्टिक्स केबल्स के एनालिसिस के बाद इसका खुलासा किया था। ईरान भी इसी चोरी में शामिल होने का शक है।

मोटे तौर पर देखें तो दुनिया का हर विकसित देश ये जानना चाहता है कि दूसरे देश वैक्सीन पर किस तरह आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए खुफिया एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका ने भी अपने वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट के डेटा को चोरी होने से बचाने के लिए पुख्ता तैयारी की है। नाटो का इंटेलिजेंस नेटवर्क भी इसमें मदद कर रहा है।

चीन क्या कर रहा है
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के आला अधिकारी जॉन डिमर्स ने पिछले हफ्ते कहा था- जिस डेटा को चुराने की साजिश रची जा रही है, वो आर्थिक और सैन्य लिहाज से बेशकीमती है। हम जानते हैं कि ये काम कौन कर रहा है। ट्रम्प डब्ल्यूएचओ की फंडिंग बंद कर चुके हैं और उसे चीन की कठपुतली बता चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी अफसरों को चीन की हरकत की जानकारी मार्च में ही मिल गई थी। उन्हें शक है कि डब्ल्यूएचओ चीन की साजिश में शामिल है।

हर साजिश नाकाम रही
एफबीआई ने चीन की अब तक हर कोशिश को नाकाम किया है। यूएनसी की प्रवक्ता लेस्ली मिंटन ने पिछले दिनों कहा था- खुफिया एजेंसियां हमें खतरे के बारे में अलर्ट भेजती हैं। हम सभी बायोटेक्नोलॉजी लैब्स को इस बारे में बताते हैं। हम जानते हैं कि इस साजिश में वहां की सरकारें भी शामिल हैं। ब्रिटेन की इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस एजेंसी जीसीएचक्यू ने अमेरिका को रूस की साजिश के बारे में भी बताया था। इसके बाद होमलैंड सिक्योरिटी और एफबीआई एक्टिव हुईं।

दुनियाभर में कोविड-19 के बढ़ते केसेस से दवा कंपनियों पर भी जल्द से जल्द वैक्सीन मार्केट में लाने का राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है। खासकर अमेरिका में, जहां तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनावों के लिए वोटिंग होने वाली है। ऐसे में दवा कंपनियां अगले हफ्ते संयुक्त बयान जारी कर कहने वाली है कि जब तक वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव साबित नहीं होती, तब तक उसे अप्रूवल के लिए पेश नहीं किया जाएगा।

इसी तरह, भारत में कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल्स सोमवार से शुरू हो रहे हैं। रूस के वैक्सीन SPUTNIK-V के ट्रायल्स पर मेडिकल जर्नल लैंसेट ने मुहर लगा दी है। यानी रूसी वैक्सीन को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में जो अविश्वास का माहौल बना था, वह कुछ हद तक कम हो गया है। आइए जानते हैं कि देश-दुनिया में बन रहे वैक्सीन को लेकर क्या अपडेट है…

राजनीतिक दबाव में हैं अमेरिकी दवा कंपनियां

  • अमेरिका में दवा कंपनियों फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना ने अगले हफ्ते संयुक्त बयान जारी करने का फैसला किया है। इसमें वह कहने वाली हैं कि जब तक वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव नहीं बन जाती, तब तक वे सरकारी अनुमति के लिए आवेदन नहीं देंगी।
  • वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों का यह जॉइंट स्टेटमेंट फिलहाल अंतिम रूप ले रहा है। इससे पहले तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले वैक्सीन लाने के प्रयासों की चर्चा हो रही थी।
  • कई वैज्ञानिक राजनीतिक दबाव में जारी होने वाले वैक्सीन के इफेक्टिव और सेफ होने पर भी आशंका व्यक्त कर रहे थे। एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, मॉडर्ना और फाइजर के वैक्सीन इस समय फेज-3 ट्रायल्स में हैं। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन का वैक्सीन इस समय फेज-2 ट्रायल्स में है।

सोमवार से कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल्स

  • हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ जो वैक्सीन- कोवैक्सिन बनाया है। देश के कई हिस्सों में इसके फेज-1 ट्रायल्स चल रहे हैं। सोमवार से इसके फेज-2 ट्रायल्स शुरू होंगे। भारत बायोटेक को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन से इसके लिए मंजूरी मिल गई है।
  • भारत बायोटेक के वैक्सीन BBV152 यानी कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल्स 380 लोगों पर होंगे। उन्हें वैक्सीन लगाने के चार दिन तक स्क्रीन किया जाएगा। फेज-2 ट्रायल्स शुरू करने के अनुरोध की पड़ताल सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (कोविड-19) के विशेषज्ञों ने 3 सितंबर को वर्चुअल मीटिंग में की गई। इसके आधार पर ही मंजूरी दी गई है।
  • कोवैक्सिन के फेज-1 ट्रायल्स 15 जुलाई को देशभर के 12 सेंटरों पर शुरू हुए थे। स्वस्थ लोगों को 14 दिन के अंतर में वैक्सीन के दो डोज दिए गए हैं। यह ट्रायल्स 350 लोगों पर किया गया। यह अभी भी जारी हैं। फेज-1 ट्रायल्स में हर दो दिन बाद वॉलंटियर्स की स्क्रीनिंग की गई।

चीनी वैक्सीन के पाकिस्तान में फेज-3 ट्रायल्स

  • इस समय 34 वैक्सीन कैंडिडेट्स क्लीनिकल ट्रायल्स में हैं। इसमें आठ को चीनी कंपनियां विकसित कर रही हैं। भले ही किसी ने भी फेज-3 ट्रायल्स पूरे न किए हो, इनमें से तीन को सीमित इस्तेमाल के लिए अनुमति भी दे दी गई है।
  • चीनी कंपनियों सिनोफार्म, कैनसिनो बायोलॉजिक्स और सिनोवेक बायोटेक ने फेज-3 ट्रायल्स अलग-अलग देशों में कराने का फैसला किया है। सिनोफार्म और सिनोवेक बायोटेक ने फेज-3 ट्रायल्स के लिए नए देशों से अनुबंध किए हैं।
  • सिनोफार्म वैक्सीन ने पाकिस्तान और सर्बिया को वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स के लिए चुना है। इस वैक्सीन के पहले ही यूएई, पेरू, अर्जेंटीना, मोरक्को, बहरीन और जॉर्डन में टेस्ट हो चुके हैं। सिनोवेक बायोटेक वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स ब्राजील और इंडोनेशिया में चल रहे हैं।

भारत में बन रहे हैं 8 वैक्सीन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक इस समय दुनियाभर में 175 से ज्यादा वैक्सीन विकसित हो रहे हैं। इसमें से 34 क्लिनिकल ट्रायल्स में चल रहे हैं। इसमें भी करीब छह वैक्सीन फेज-3 ट्रायल्स से गुजर रहे हैं।
  • भारत के दो वैक्सीन- कोवैक्सिन और जायडस कैडिला का कैंडिडेट्स के फेज-2 ट्रायल्स शुरू हो रहे हैं। इसके अलावा भी छह और वैक्सीन भारत में विकसित हो रहे हैं, जो इस समय प्री-क्लिनिकल स्टेज में हैं। यानी वे अभी लैब्स में टेस्ट हो रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.