यूक्रेन में भारतीय छात्रों से बर्बरता का VIDEO:रोमानिया-पोलैंड बॉर्डर पर पुलिस ने लात-घूंसों से पीटा; पंजाब, मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स ने शेयर किया दर्द

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बिगड़े हालात के बीच वहां फंसे भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन की पुलिस की बर्बरता भी सामने आई है। रोमानिया और पोलैंड बॉर्डर पर भारतीय छात्रों को बुरी तरह पीटा गया है। विरोध करने पर स्टूडेंट्स के ऊपर डंडे भी बरसाए गए हैं। यूक्रेन में फंसे पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मप्र और केरल के छात्रों ने इस बर्बरता के वीडियो और ऑडियो सोशल मीडिया के साथ ही अपने परिवार के साथ शेयर किए हैं।

पंजाब की MBBS स्टूडेंट ने रोमानिया बॉर्डर पर यूक्रेन की पुलिस की बर्बरता के वीडियो और ऑडियो शेयर किए हैं। वीडियो में यूक्रेन पुलिस की बर्बरता साफ दिख रही है। पुलिस कर्मचारी बैग लेकर जा रहे भारतीय छात्रों को लातों-घूंसों से मारते हुए दिख रहे हैं। पंजाब के कपूरथला की रहने वाली छात्रा यूक्रेन की सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ती है। उसने अपने ऑडियो में पूरा घटनाक्रम भी बयान किया है।

राजस्थान, केरल और छत्तीसगढ़ के छात्रों ने भी वीडियो में बताई आपबीती
छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के छात्र भूपेंद्र सिंह राठौर ने भी पोलैंड बॉर्डर पर पुलिस की बर्बरता का वीडियो बनाकर अपने पिता दीपक सिंह राठौर को भेजा है। वीडियो में भूपेंद्र ने बताया है कि यहां हालात बहुत खराब हैं। स्टूडेंट्स के साथ मारपीट की जा रही है।

यूक्रेन के एलवीआईवी से MBBS की पढ़ाई कर रहे टोंक (राजस्थान) के आयुष ने बताया- मैं भारत आने के लिए पैदल चलकर दो अन्य साथियों के साथ 79 किमी दूर बीती रात पोलैंड बॉर्डर पर पहुंच चुका था। मैं और मेरे 30 साथी शाम को बार्डर पार कराने की उम्मीद में चेक पॉइंट पर ही बैठे थे। शाम को यूक्रेन की सेना ने वापस कॉलेज जाने के लिए कह दिया। हमने इनकार किया तो लाठियां बरसाने लगे।

केरल के कई छात्रों ने भी यूक्रेन पोलैंड बॉर्डर के पास शेहयानी में यूक्रेनी पुलिस और सेना पर मारपीट करने का आरोप लगाया है। एक छात्रा ने वीडियो मैसेज में बताया है कि जो छात्र पोलैंड की तरफ जाने की कोशिश कर रहे थे, उनकी तरफ सेना ने तेज गाड़ी चलाई। सेना ने हवाई फायर भी किए।

मप्र के भोपाल की सृष्टि विल्सन के पास भी इसका वीडियो आया है। सृष्टि ने बताया कि हम लोगों से अच्छा सलूक नहीं किया जा रहा। लड़कियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया जा रहा है

रोमानिया-यूक्रेन बॉर्डर पर भारतीय युवकों के ऊपर लातों से प्रहार करते यूक्रेन के पुलिसकर्मी।
रोमानिया-यूक्रेन बॉर्डर पर भारतीय युवकों के ऊपर लातों से प्रहार करते यूक्रेन के पुलिसकर्मी।

कपूरथला की छात्रा ने बताया, ‘मौके पर पहले यूक्रेनियन छात्रों को ही अंदर लिया गया। हम लोगों ने जब इस बारे में बात तो उन्होंने पहले भारतीय लड़कियों को बॉर्डर पार कराने की मंजूरी दी। इसके बाद पुलिस आई और मौके पर मौजूद बैग और अन्य सामान उठाए भारतीय युवकों को बुरी तरह पीटा। लात-घूंसों से उन्हें मारा।’

रॉड और गन से भारतीय छात्रों को मारा
छात्रा ने आगे कहा, ‘भारतीय युवकों को बुरी तरह टॉर्चर किया गया। यहां तक कि जिन लोगों को दमा की शिकायत थी, उनका मुंह बंद करके दिखाया गया कि वह किस तरह से ब्रीथलेस हैं। रात 12:00 बजे जो गार्ड्स मौजूद थे, उन्होंने बॉर्डर के चेकिंग पॉइंट पर स्टूडेंट्स के साथ हंटर गेम खेला।’

छात्रा ने कहा कि उन्हें नहीं पता यह गेम क्या होती है। वहां जाने के बाद देखा कि वो रॉड और गन लेकर खड़े थे। उसके बाद उन्होंने कहा कि आपको ये गेम खेलना है, जो यह गेम खेलेगा, उसे ही वीजा मिलेगा। वहां जो भी भारतीय लोग थे, उन्हें लात-घूंसों से मारा गया। इस दौरान लड़का-लड़की में कोई फर्क नहीं किया गया।

भारतीय युवकों पर लात-घूंसों से प्रहार करती यूक्रेनी पुलिस।
भारतीय युवकों पर लात-घूंसों से प्रहार करती यूक्रेनी पुलिस।

सहपाठी ने शनिवार को वीडियो कॉल में बताई तबाही
ऑडियो जारी करने वाली छात्रा की सहपाठी सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी की गुरलीन कौर ने शनिवार को वीडियो कॉल कर तबाही की दास्तां बयां की थी। कपूरथला के गांव हैबतपुर की गुरलीन ने बताया था कि वह हॉस्टल में बने बंकर में छिपकर जान बचा रही है। 26 फरवरी यानी शनिवार को उनकी वतन वापसी थी, लेकिन तमाम फ्लाइट्स रद्द होने के कारण वह वहीं फंस गईं।

बेटियों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक चिंतित
हालांकि गुरलीन को भारतीय दूतावास ने जल्द स्वदेश भेजने का आश्वासन दिया। उधर, उनके पेरेंट्स अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। गांव हैबतपुर के मुख्य अध्यापक सुखविंदर सिंह और उनकी पत्नी रमनदीप कौर ने बताया कि गुरलीन यूक्रेन में एमबीबीएस चौथे साल की छात्रा है। उनकी बेटी से व‌ीडियो कॉल से बात हुई, उसने बताया कि वह सुरक्षित है, लेकिन हालात बेहद खराब हैं और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि भारतीय बच्चों की वापसी का तुरंत प्रबंध किया जाए।

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यूक्रेन में रूस की बमबारी के बीच हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे हैं और घर वापसी की जद्दोजहद में लगे हैं। कीव में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए यूक्रेन सरकार ने फ्री ट्रेन चलाने का फैसला लिया है। ये ट्रेनें यात्रियों को देश के पश्चिमी क्षेत्रों में ले जाएंगी, जहां युद्ध की स्थिति नहीं है। पोलैंड सरकार ने कहा है कि भारतीयों को बिना वीजा पोलैंड में एंट्री दी जाएगी।

इधर, कीव में इंडियन एम्बेसी से लगे स्कूल में शरण लिए स्टूडेंट्स भूख से बेहोश हो रहे हैं। 13 छात्रों की तबीयत बिगड़ी है। स्टूडेंट्स का आरोप- हमले वाले शहरों में स्टूडेंट्स को मदद नहीं मिली, जिन्हें रेस्क्यू किया वे सुरक्षित जगहों पर थे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में सहायता के लिए अलग से opGanga Helpline के नाम से एक डेडिकेटेड ट्विटर हैंडल (@opganga) बनाया गया है।

यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के लिए डैडीकेटेड ट्विटर हैंडल।
यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के लिए डैडीकेटेड ट्विटर हैंडल।

एम्बेसी की एडवायजरी- कर्फ्यू हटते ही पश्चिमी इलाकों में जाएं भारतीय

एंडियन एम्बेसी ने आज एक एडवायजरी जारी कर भारतीयों से कहा है कि कीव में जैसे ही कर्फ्यू हटे और लोगों की आवाजाही शुरू हो, भारतीय करीब के रेलवे स्टेशन पहुंचें और यूक्रेन के पश्चिमी इलाके की ओर जाएं। रेल से सफर सुरक्षित है, ट्रेनें चल रही है। सभी भारतीय समूह में निकलें। कोई अकेला निकलता है तो वह भारतीय की पहचान कर उसके साथ हो जाए।

विदेश मंत्रालय ने फंसे भारतीयों की मदद के लिए यूक्रेन से लगे चार देशों पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाक रिपब्लिक में कंट्रोल रूम बनाए हैं। ये चौबीस घंटे काम करेंगे। इनके नंबर और ईमेल एड्रेस भी जारी किए गए हैं।

टीकमगढ़ की दिव्यांशा साहू। (लाल स्वेटर में)
टीकमगढ़ की दिव्यांशा साहू। (लाल स्वेटर में)

MP के टीकमगढ़ की दिव्यांशा साहू ने बताया- यूक्रेन के कीव और खार्किव में फंसे इंडियन स्टूडेंट काफी डरे हुए हैं। जान बचाने के लिए बंकर और अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए हैं। इंडियन एम्बेसी हमें हमले वाले इलाकों से सुरक्षित बाहर निकाले। अभी तक जिन स्टूडेंट्स को निकाला गया है वे सुरक्षित शहरों में रहते थे। रूस के हमले वाले शहरों में रह रहे स्टूडेंट्स तक मदद नहीं पहुंची है।ॉ

इंदौर का शुभम बोला प्लीज हेल्प कीजिए, 20 घंटे से खुले में बैठे हैं

इंदौर के शुभम ने बताया कि यहां रोमानिया बॉर्डर पर करीब 400 इंडियन स्टूडेंट्स बॉर्डर पार करने के लिए बैठे हैं। इंडियन एम्बेसी हमें बॉर्डर पार नहीं करवा रही है। हमें यहां खुले में बिना किसी सुरक्षा के बैठे हुए 20 घंटे से ज्यादा वक्त हो चुका है। यहां का तापमान -6 डिग्री है और इस बॉर्डर चेक पोस्ट पर सिर्फ एक फूड आउटलेट है, जहां खाना खत्म हो चुका है। हमें अर्जेंट हेल्प की जरुरत है। प्लीज हमारी मदद कीजिए।

सीकर की डॉ. श्रद्धा चौधरी ने बताया- यूक्रेन में फंसे छात्रों को अब सिर्फ जंग के हालातों से ही नहीं, भूख-ठंड और बीमारी से भी लड़ना पड़ रहा है। कीव में एम्बेसी से सटे स्कूल में शरण लिए कई बच्चे भीषण ठंड और भूख के मारे बेहोश हो गए हैं। हमें सोए हुए 5 दिन हो गए हैं। 3 दिन से ठीक से खाना नहीं खा पाए हैं। ठंड के मारे 13 लोग बेहोश हो गए हैं।

कई लोगों को बार-बार पैनिक अटैक आ रहा है। कई लोग बीमार पड़ गए हैं। हमारे पास दवाइयां भी नहीं है। एम्बेसी ने हमसे कहा कि रेलवे स्टेशन पर जाएं। करीब 300 बच्चे कीव के रेलवे स्टेशन गए। 60 बच्चे तो किसी तरह यूक्रेन के वेस्टर्न हिस्से में पहुंच गए, लेकिन कई लोगों को ट्रेन में नहीं बैठाया गया। जब स्टूडेंट्स को ट्रेन नहीं मिली और वे वापस एम्बेसी जाने लगे तो बीच रास्ते में यूक्रेन आर्मी ने उन्हें रोककर उन पर बंदूक तान दी।

जब वे वापस एम्बेसी आए तो घुसने से मना कर दिया गया। एम्बेसी जबरन उन्हें शेल्टर होम से बाहर भेजने की कोशिश कर रही है।

खार्किव में भारतीय छात्र दो दिन से भूखे-प्यासे

रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव में दाखिल हो गई है। बीकानेर के बंगला नगर निवासी मेडिकल छात्र विवेक सोनी इस समय खार्किव मेट्रो स्टेशन पर फंसे हुए हैं। पिछले चार दिन से न सिर्फ विवेक बल्कि तीन हजार भारतीय यहां फंसे हुए हैं। विवेक का कहना है कि छात्रों के पास खाना भी खत्म हो गया। दो दिन से भूखे ही मेट्रो स्टेशन में बैठे हैं।

स्टूडेंट वापस भारत जाने के लिए सहायता मांग रहा है, लेकिन दूतावास के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें रोमानिया तक आना पड़ेगा। 1200 से 1500 किलोमीटर की दूरी बम धमाकों के बीच स्टूडेंट्स को अपने स्तर पर तय करना होगा। छात्र ये सफर कैसे तय करेंगे, इसका जवाब दूतावास के पास भी नहीं है।

राजस्थान के श्रीगंगानगर के दुष्यंत और चूरू के विजय ने बताया- यूक्रेन-रूस बॉर्डर के सबसे नजदीकी शहरों में से एक सुमी में करीब एक हजार इंडियन स्टूडेंट फंसे हैं। यह शहर अब पूरी तरह से रूसी मिलिट्री के कब्जे में है और यहां से कीव जाने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं। हमसे कहा गया है कि पोलैंड बॉर्डर की तरफ जाएं। सुमी से पोलैंड बॉर्डर की दूरी 1230 किलोमीटर है।

ऐसे में उन्हें पहले कीव जाना होगा और फिर वहां से बॉर्डर। लेकिन कीव तक के पूरे रास्ते में लड़ाई हो रही है और उन्हें फाइटर जेट और टैंकों के बीच से जाना होगा। इस कारण वहां जाना संभव नहीं है। ऐसे में सभी स्टूडेंट‌्स ने बंकर में शरण ले रखी है।

सुमी शहर से रूस के बॉर्डर की दूरी केवल 35 किलोमीटर है। वे पैदल ही रूस का बॉर्डर क्रॉस करने को तैयार हैं। इसलिए उन्हें इस बॉर्डर से सरकार को निकालना चाहिए। इंडियन एम्बेसी ने पोलैंड, हंगरी, स्लोवाक रिपब्लिक और रोमानिया से स्टूडेंट को निकालने की प्लानिंग बनाई है, लेकिन यहां के स्टूडेंट को निकालने का कोई प्लान नहीं है।

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने एक बंकर में रात काटी। इनमें रोहतक का मोहित भी है।
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने एक बंकर में रात काटी। इनमें रोहतक का मोहित भी है।

यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे छात्रों के सामने एक और नई समस्या आ गई है। ज्यादातर के पासपोर्ट अब गुम हो चुके हैं। रोहतक के मोहित ने बताया है कि कीव में एयर स्ट्राइक से पहले ही वह और उनके कई दोस्त सूमी शहर में आ गए थे। पासपोर्ट गुम न हों, इसलिए उन्हें वहीं कीव में अपनी मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में छोड़ आए थे।

अब वहां लगातार हमले हो रहे हैं, ऐसे में पता भी नहीं है कि उनके दस्तावेज या फिर हॉस्टल का भी वजूद बचा होगा या नहीं।

एम्बेसी बोली पुलिस में शिकायत करो

वहां जाना खतरे से खाली नहीं होगा। मोहित ने बताया है कि पासपोर्ट गुम होने वाले छात्रों से एम्बेसी बोल रही है कि शुल्क देकर एक फार्म भर दो, उसके बाद पुलिस में शिकायत दो फिर एम्बेसी देखेगी कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। मोहित का कहना है कि ऐसे समय में एम्बेसी का यह रवैया ठीक नहीं है।

डिजीटल जमाना है। हम सभी छात्रों के पास दस्तावेजों के नंबर और पीडीएफ हैं तो एम्बेसी उन्हें चेक क्यों नहीं कर लेती।

नेहा ने भारत लौटने से इनकार कर दिया

हरियाणा की नेहा ने कीव में एक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर के घर पर एक कमरा किराए पर लिया था। वह घर में बतौर पेइंग गेस्ट रह रही थीं। पिछले साल ही उसने एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था।नेहा घर लौटने की बजाय उसी घर में रुककर बच्चों को संभालने में उनकी मां की मदद करने का फैसला लिया, क्योंकि बच्चों के पिता अपनी मर्जी से यूक्रेनी सेना में शामिल हुए और रूस के खिलाफ जंग लड़ने चले गए।

नेहा मकान मालिक की पत्नी और उनके तीन बच्चों के साथ बंकर में रह रही है। नेहा ने कहा, ‘मैं रहूं या न रहूं, लेकिन मैं इन बच्चों और उनकी मां को ऐसी स्थिति में नहीं छोड़ूंगी।’

नेहा अपने पिता को पहले ही खो चुकी हैं। उनके पिता भी कुछ साल पहले भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं। नेहा मां हरियाणा की चरखी दादरी जिले में एक स्कूल टीचर हैं।

फतेहाबाद की युक्ता बोलीं- खाना मिल रहा है लेकिन बंकर में जीना मुश्किल

फतेहाबाद जिले की युक्ता सैनी भी कीव में फंसी हुई है। युक्ता ने बताया कि वो एक बंकर में है। यहां पर करीब 250 से अधिक छात्र हैं जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं।

युक्ता ने कहा कि यूक्रेन के अधिकारियों ने उन्हें बंकर में ठहराया ताकि कोई नुकसान न हो। खाने की कोई समस्या नहीं है, लेकिन बंकर में रहकर अब जीना मुश्किल हो रहा है। कुछ समय के लिए बंकर से बाहर जाते हैं, लेकिन बाद में फिर उन्हें यहां पर आना पड़ रहा है।

युक्ता सैनी ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर गुहार लगाई है कि भारत सरकार जल्द से जल्द उन्हें यहां से निकाले।यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। ऐसे में वे हॉस्टल में भी नहीं जा सकते हैं। कुछ बच्चे बंकर में ही खाना बना रहे हैं तो कुछ का बाहर से आ रहा है।

खार्किव में फंसी छात्राएं बोलीं- हमें मदद नहीं मिली

पंजाब की छात्राएं खार्किव में फंसी हैं। श्रृति गर्ग, श्रीलक्ष्मी, शीना, अक्षया, संतोष का कहना है कि हमें निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। एम्बेसी अभी इंतजार करने के लिए कह रही है, लेकिन यह समय इंतजार करने का नहीं है। छात्राओं ने कहा कि पिछले तीन दिनों से लगातार बमबारी हो रही है और हम मैट्रो स्टेशन पर रुके हुए हैं।

हमारे पास खाने-पीने का सामान तक नहीं है। इंडियन एम्बेसी हमारी कोई हेल्प नहीं कर रही है।

इजराइल और पाकिस्तान ने किया रेस्क्यू

भारतीय छात्राओं ने कहा कि इजराइल ने अपने छात्रों को रेस्क्यू कर लिया। वहीं पाकिस्तान ने भी अपने 70 स्टूडेंट्स को निकाल लिया है। परंतु इंडियन एम्बेसी हमें पोलेंड बॉर्डर पर जाने के लिए कह रही है, परंतु हम ट्रेवल नहीं कर सकती, इन परिस्थितियों में। जब दूसरे देश अपने छात्रों को रेस्क्यू कर सकते हैं तो इंडियन एम्बेसी हमें क्यों नहीं निकाल पा रही। बंकरों में रहना अब आसान नहीं है.

रूस और यूक्रेन की लड़ाई में मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले 24 साल के अखिल यूक्रेन में फंसे हैं। बंकर में छिप कर वह अपनी जान बचा रहे हैं। वह इस समय यूक्रेन की राजधानी कीव में है। वह अपने परिवार से विडियो कॉल के जरिए बात भी नहीं कर पा रहे। रूसी सेना लगातार इस इलाके में धमाके कर रही है। ऐसे में उसके परिवार का मोहाली में बुरा हाल है।

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