चीन को जवाब की तैयारी:अमेरिकी एनएसए ने कहा- सितंबर और अक्टूबर में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीति बनाएंगे, चीन का बर्ताव बेहद आक्रामक

अमेरिका के एनएसए रॉबर्ट ओब्रायन ने कहा- चीन का रुख बेहद आक्रामक है, हम जानते हैं कि इससे कैसे निपटा जा सकता है ब्रायन ने कहा कि चारों देशों के अफसरों की बातचीत से पहले विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अपने समकक्षों से बातचीत करेंगे

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साउथ चाइना सी समेत दुनिया के कई हिस्सों में चीन के रुख को अमेरिका ने बेहद आक्रामक बताते हुए इसका मुकाबला करने की तैयारी पर जोर दिया है। अमेरिका के एनएसए रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने साफ कर दिया है कि सितंबर और अक्टूबर में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अफसर मुलाकात करके रणनीति तैयार करेंगे। ब्रायन ने कहा- चीन का रवैया बेहद आक्रामक है और अमेरिका जानता है कि इससे कैसे निपटना है।

पहले पोम्पियो करेंगे बातचीत
ब्रायन ने कहा कि अफसरों की मीटिंग से पहले विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों से बातचीत करेंगे। इस दौरान मीटिंग का एजेंडा तय होगा। उन्होंने कहा- हिंद महासागर में चीन की हरकतें सहन नहीं की जा सकतीं।

चीन को तीन तरफ से घेरा जाएगा
ब्रायन ने कहा हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन जो कर रहा है, उसका मुकाबला सटीक तरीके से किया जाएगा। अमेरिका यहां बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हम कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक स्तर पर इस मुकाबले की रणनीति तैयार करने जा रहे हैं। चीन को अपनी हरकतों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

समुद्र पर चीन का हक नहीं
एक सवाल के जवाब में ओ’ब्रायन ने कहा- चीन को यह समझ लेना चाहिए कि वो दुनिया के किसी समुद्री क्षेत्र को सिर्फ अपना नहीं बता सकता। इनके इस्तेमाल का हक सभी को है। यह ठीक वैसा है जैसे एयरस्पेस के मामले में हम करते हैं। लिहाजा, समुद्री रास्ते से आवाजाही में कोई रुकावट खड़ी नहीं कर सकता। अगर इसकी कोशिश या साजिश होती है तो अमेरिका और उसके सहयोगी जवाब देना जानते हैं।

दुश्मनी से दोस्ती का सफर:यूएई ने 48 साल बाद इजराइल के बायकॉट वाला कानून खत्म किया; कल अमेरिका-इजराइली अफसरों का डेलिगेशन अबु धाबी पहुंचेगा, अहम समझौते होंगे

इजराइल और यूएई के नए दोस्ताना रिश्ते रफ्तार पकड़ने लगे हैं। यूएई ने शनिवार को 48 साल पुराने उस कानून को पूरी तरह खत्म कर दिया, जिसके तहत इजराइल को बायकॉट किया गया था। इसके लिए यूएई के प्रमुख शासक खलीफा बिन जाएद अल नाह्यां ने बाकायदा आदेश जारी किया।

सोमवार 31 अगस्त भी अहम होगा। इजराइल और अमेरिका के आला अफसरों का एक दल अबु धाबी पहुंचेगा। इनकी कई दौर की मीटिंग्स होंगी। माना जा रहा है कि इजराइल और यूएई के बीच अहम ट्रेड एग्रीमेंट हो सकते हैं।

ट्रम्प का पूरा दखल
इजराइल और अमेरिका का डेलिगेशन सोमवार सुबह 10 बजे तेल अवीव से अबुधाबी के लिए उड़ान भरेगा। इस डेलिगेशन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्पेशल एडवाइजर जेरैड कुशनर भी होंगे। उनके अलावा इजराइल और अमेरिका के आर्थिक और सैन्य मामलों से जुड़े आला अफसर भी होंगे। इससे समझा जा सकता है कि यह मीटिंग कितनी अहम होने वाली है।

किन समझौतों की उम्मीद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बात तो तय है कि यूएई और इजराइल बहुत जल्द एक-दूसरे के देश में एम्बेसीज शुरू करेंगे। इससे डिप्लोमैटिक रिलेशन्स की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। कारोबारी रिश्तों के लिए कुछ अहम समझौते हो सकते हैं। इजराइल अमेरिका की तर्ज पर यूएई को भी ट्रेड पार्टनर का दर्जा दे सकता है। यूएई को ईरान से खतरा है। इजराइल उसकी इस खतरे से निपटने में काफी मदद कर सकता है। लिहाजा, कल किसी सैन्य समझौते की भी संभावना है।

1972 के कानून खत्म होने के क्या मायने
अब यूएई के कारोबारी सीधे इजराइली कंपनियों से कारोबारी रिश्ते बना पाएंगे। इजराइली प्रोडक्ट बिना किसी रोकटोक के यूएई के बाजारों में बेचे जा सकेंगे। हालांकि, यह भी सही है कि बैकडोर डिप्लोमैसी के चलते दोनों देश 20 साल से संपर्क में थे। अमेरिका इसमें एक तरह से मध्यस्थता कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 साल में करीब 500 इजराइली कंपनियों ने यूएई में ट्रेड एग्रीमेंट किए। माना जा रहा है कि कुछ ही साल में दोनों देशों का व्यापार 15 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

फायदा दोनों देशों को होगा
इजराइल के एग्रीकल्चर मिनिस्टर एलन शूस्टर ने पिछले दिनों कहा था- रिश्ते सुधरने का फायदा यूएई को भी बहुत होगा। हम यूएई को रेगिस्तान में खेती और खारे पानी को मीठा बनाने की तकनीक देंगे। ये वहां की दो मुख्य जरूरतें हैं। हेल्थ, डिफेंस और टूरिज्म सेक्टर में हम काफी आगे बढ़ सकते हैं।

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