जीत के बाद बाइडेन की पहली स्पीच:दौड़ते हुए मंच तक आए प्रेसिडेंट इलेक्ट, बोले- अब जख्मों को भरने का वक्त, देश को एकजुट करूंगा
बाइडेन 32 साल में 3 प्रयासों के बाद राष्ट्रपति बने, 1966 में सास से कहा था- राष्ट्रपति बनूंगा स्पीच में कहा- 7.4 करोड़ लोगों ने रिकॉर्ड वोट दिया, अमेरिका की यह नैतिक जीत है
जो बाइडेन (77) प्रेसिडेंशियल इलेक्शन जीत चुके हैं। फिलहाल वे प्रेसिडेंट इलेक्ट है, 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद वे 46वें राष्ट्रपति बन जाएंगे। चुनाव में जीतने के बाद शनिवार रात (भारतीय समय के मुताबिक रविवार सुबह) उन्होंने लोगों को संबोधित किया। इसमें उन्होंने आपसी कड़वाहट खत्म करने, देश को एकजुट और सबका राष्ट्रपति जैसी बातों पर बल दिया। भाषण देने के बाइडेन मंच तक दौड़ते हुए आए। चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन पर उम्रदराज होने के आरोप लगाए थे।
Crazy Race For Presidency. Joe Biden walking out like The Rock!!! 🇺🇸 #BidenHarris2020 pic.twitter.com/ShOekFYYEp
— LIL XAN AKA DIEGO (@lilxanfuhyobih) November 8, 2020
पत्नी और परिवार का शुक्रिया
बाइडेन 48 साल पहले पहली बार सीनेटर चुने गए थे। देश के नाम संबोधन में उन्होंने कहा- आप लोगों ने स्पष्ट जनादेश दिया है। 7.4 करोड़ लोगों ने रिकॉर्ड वोट दिया। अमेरिका की यह नैतिक जीत है। मार्टिन लूथर किंग ने भी यही कहा था। गौर से सुनिए। आज अमेरिका बोल रहा है। मैं राष्ट्रपति के तौर पर इस देश को बांटने के बजाए एकजुट करूंगा। परिवार और पत्नी का इस संघर्ष में साथ देने के लिए शुक्रिया।
नफरत खत्म कीजिए, आगे बढ़िए
ट्रम्प और उनके समर्थकों से बाइडेन ने कहा- मैं जानता हूं कि जिन लोगों ने ट्रम्प को वोट दिया है, वे आज निराश होंगे। मैं भी कई बार हारा हूं, यही लोकतंत्र की खूबसूरती है कि इसमें सबको मौका मिलता है। चलिए, नफरत खत्म कीजिए। एक-दूसरे की बात सुनिए और आगे बढ़िए। विरोधियों को दुश्मन समझना बंद कीजिए, क्योंकि हम सब अमेरिकी हैं। बाइबल हमें सिखाती है कि हर चीज का एक वक्त होता है। अब जख्मों का भरने का वक्त है। सबसे पहले कोविड-19 को कंट्रोल करना होगा, फिर इकोनॉमी और देश को रास्ते पर लाना होगा।
हर वर्ग का साथ मिला
बाइडेन ने अमेरिका की अनेकता में एकता का जिक्र किया। कहा- मुझे गर्व है कि हमने दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में विविधता देखी। उसके बल पर जीते। सबको साथ लाए। डेमोक्रेट्स, रिपब्लिकंस, निर्दलीय, प्रोग्रेसिव, रूढ़िवादी, युवा, बुजुर्ग, ग्रामीण, शहरी, समलैंगिक, ट्रांसजेंडर, लैटिन, श्वेत, अश्वेत और एशियन। हमें सभी का समर्थन मिला। कैम्पेन बहुत मुश्किल रहा। कई बार निचले स्तर पर भी गया। अफ्रीकी-अमेरिकी कम्युनिटी हमारे साथ खड़ी रही।
बाइडेन जब 27 के थे तो अपनी होने वाली सास से कहा था- एक दिन राष्ट्रपति बनूंगा
बाइडेन ने पहली शादी 1966 में की थी। वे 24 साल के थे। लड़की की मां ने पूछा कि काम क्या करते हो? बाइडेन ने जवाब दिया- एक दिन अमेरिका का राष्ट्रपति बनूंगा। बाइडेन 32 साल में तीसरे प्रयास में राष्ट्रपति का चुनाव जीते हैं।
कमला हैरिस ने भी संबोधित किया
डेमोक्रेसी के लिए बलिदान देने पड़ते हैं
पहली वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस ने कहा- डेमोक्रेसी की कोई गारंटी नहीं होती। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे बनाए रखने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं। इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। इसलिए इसे हल्के में मत लीजिए। इसके लिए बलिदान देना पड़ता है। इसके बाद ही खुशी मिलती है। हम भी यही कर रहे हैं। इस बार के मतदान में लोकतंत्र भी दांव पर था। आपने अमेरिका को एक नई सुबह दिखाई है। चार साल तक आप बराबरी और इंसाफ के लिए जंग करते रहे। इसके बाद मतदान का मौका आया।
हमारे पास हिम्मत और जज्बा है
हम सबने मिलकर इस देश को खूबसूरत बनाया। अब आपकी आवाज सुनी जाएगी। मैं बिल्कुल मानती हूं कि इस वक्त कई चुनौतियां हमारे सामने हैं। खासतौर पर पिछले कुछ महीने मुश्किल भरे रहे। हमने काफी दुख और दर्द झेला, लेकिन हमारे पास हिम्मत और जज्बा है। आपने जो बाइडेन और मुझे चुना। कमला अमेरिका की पहली अश्वेत महिला उपराष्ट्रपति हैं। वे भारतीय मूल की हैं।
कमला गरीबों की मसीहा के तौर पर जानी जाती हैं, स्टार छवि से मैगजीन में छाई रहती हैं
कमला हैरिस लिंगभेद-नस्लभेद की चुनौतियों का मुकाबला करने के बाद यहां तक पहुंची है। सैनफ्रांसिस्को जिले की अटॉर्नी कैलिफोर्निया की पहली अश्वेत अटाॅर्नी जनरल रही हैं। कमला डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर बाइडेन की कड़ी प्रतिद्वंद्वी रही हैं। हालांकि, अब उनकी सहयोगी हैं। कमला ने 2011 में बैंकिंग सेक्टर में आए क्रैश के कारण बेघर हुए लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए मुहिम चलाई थी। इसके बाद वे राष्ट्रीय चेहरा बन गईं।
भारत के लिए बाइडेन की जीत के मायने
बाइडेन ने 2006 में कहा था, ‘मेरा सपना है कि 2020 तक सबसे नजदीकी संबंध वाले दुनिया के दो देशों में अमेरिका और भारत का नाम हो। बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का आधिकारिक तौर पर समर्थन किया था। हालांकि, पाकिस्तान और चीन को लेकर बाइडेन का रुख एकदम साफ नहीं है। उनके प्रचार दस्तावेज में कहा गया है, ‘दक्षिण एशिया में किसी तरह का आतंक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चाहे सीमापार से हो, या कैसा भी।’ कमला कश्मीर पर खुलकर बोलती रही हैं। इसलिए आशंका है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर उनका रुख भारत के नजरिए से ठीक न हो।
भारत की बेटी ने रचा इतिहास:अमेरिका में पहली महिला उपराष्ट्रपति बनेंगी कमला हैरिस, एक साथ 3 रिकॉर्ड बनाए
डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से तय हो गया है कि अमेरिका में अब जो बाइडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं हैं। हमारे लिए कमला हैरिस का नाम इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि वे भारतवंशी हैं। यह चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एक नहीं बल्कि 3 नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इस पद पर काबिज होने वाली वे पहली साउथ एशियन और अश्वेत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने हैरिस को जीत की बधाई दी
मोदी ने कहा कि आपको जीत की बधाई। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके नेतृत्व और सहयोग से भारत और अमेरिका के रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत होंगे।
ट्विटर पर बायो बदला
मां भारतीय थीं, पिता जमैका मूल के थे
1964 में हैरिस का जन्म ऑकलैंड (कैलिफोर्निया) में हुआ था। उनकी मां भारतीय और पिता जमैका के रहने वाले थे। मां का नाम श्यामला गोपालन हैरिस था। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस थे। डोनाल्ड हैरिस ब्रेस्ट कैंसर वैज्ञानिक थे। बताया जाता है कि कमला हैरिस की मां कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका पहुंची थीं। वहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई।
जीत के बाद बाइडेन से कहा- We did it Joe
We did it, @JoeBiden. pic.twitter.com/oCgeylsjB4
— Kamala Harris (@KamalaHarris) November 7, 2020
कैंपेन में खुद की कहानी बताई थी
- 12 साल की उम्र में कमला अपनी बहन माया और मां के साथ ऑकलैंड से व्हाइट मॉन्ट्रियल चले गए। इस बीच सभी लगातार भारत भी आते रहे।
- 1972 में कमला के माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद कमला और उनकी बहन की देखभाल मां ने की।
- व्हाइट मॉन्ट्रियल जाने के बाद कमला की मां ने मैकगिल यूनिवर्सिटी में टीचिंग की जॉब शुरू की। इसके साथ वह ज्वैश जनरल हॉस्पिटल में रिसर्च भी करती थीं।
- वह अपनी मां के बेहद करीब थी। कमला हैरिस ने कैंपेन में बताया था कि उनकी मां बेहद सख्त थीं।
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कमला ने 1986 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1989 में कैलिफोर्निया से लॉ की पढ़ाई पूरी की।
2003 में सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी चुनी गई थीं
55 साल की कमला हैरिस ने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 2003 में उन्हें सिटी और सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनकर इतिहास रचा था। वह पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने यह पद हासिल किया था। 2016 में वह दूसरी अश्वेत महिला के तौर पर यूएस सीनेटर चुनी गईं थीं।
अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर करता है
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कमला अब लाखों-करोड़ों अमेरिकन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। कमला की जीत का यह भी मायना निकाला जा रहा है कि अमेरिका में लोग रंग आधार पर भेदभाव बंद करना चाहते हैं। चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा हावी था। लोगों ने ”ब्लैक लाइव मैटर्स” कैंपेन चलाया था। डोनाल्ड ट्रम्प पर शुरू से अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा।
मैं यहां हूं, इसके पीछे कई लोगों का संघर्ष है
अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हैरिस ने ट्रम्प का जोरदार विरोध शुरू किया। यहीं से उन्हें डेमोक्रेट्स समर्थकों के बीच पसंद किया जाने लगा। उन्होंने समलैंगिक विवाह का भी समर्थन किया। हैरिस ने अगस्त में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में भाषण देते हुए बेकर मोटले, फैनी लू हैमर और शिरीष चिशोल्म जैसी अमेरिकन महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि मैं यहां तक पहुंच सकी हूं उसके पीछे इन महान हस्तियों का संघर्ष है। महिलाओं और पुरुषों में समानता, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय होना चाहिए।