तालिबान के खिलाफ जलालाबाद में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान ने फायरिंग की, एक की मौत
जलालाबाद में लोग अफगानिस्तान का झंडा लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। वे मांग कर रहे हैं कि अफगानिस्तान के मौजूदा झंडे को ही राष्ट्रीय ध्वज बनाए रखा जाए। इससे पहले मंगलवार को पाकिस्तान की सीमा से लगे खोस्त प्रांत में भी लोगों ने अफगानी झंडा लेकर प्रदर्शन किया था।
अफगानिस्तान को बचाने के लिए बनाए गए फ्रंट नॉर्दन अलायंस ने तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ दी है। तालिबानी हुकूमत के बीच पंजशीर घाटी में नॉर्दन अलायंस का झंडा फहराया गया है। 2001 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। ऐसी खबरें हैं कि तालिबान से बचने के लिए जो अफगानी सैनिक छिप गए थे वे अब पंजशीर पहुंचे रहे हैं। ये सैनिक दिवंगत अफगानी पॉलिटिशियन अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद की अपील पर पंजशीर में इकट्ठे हो रहे हैं।
जलालाबाद में तालिबान विरोधी प्रदर्शन करते लोगों को तितर बितर करने के लिए तालिबानियों की फ़ायरिंग। pic.twitter.com/Q9OJZGaHS7
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) August 18, 2021
तालिबान को कई जगह आम जनता का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। जलालाबाद में ऐसी ही घटना सामने आई है। यहां लोगों ने तालिबानी हुकूमत के बीच अफगानिस्तान का झंडा लगा दिया, जिसे तालिबान ने हटाकर अपना झंडा लगाने की कोशिश की। इस दौरान लोगों की तालिबानियों से झड़प हो गई और लोगों को डराने के लिए तालिबानियों से फायरिंग कर दी, जिसमें एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है।
जलालाबाद में लोग अफगानिस्तान का झंडा लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। वे मांग कर रहे हैं कि अफगानिस्तान के मौजूदा झंडे को ही राष्ट्रीय ध्वज बनाए रखा जाए। इससे पहले मंगलवार को पाकिस्तान की सीमा से लगे खोस्त प्रांत में भी लोगों ने अफगानी झंडा लेकर प्रदर्शन किया था।
तालिबान की तबाही की तस्वीरें आमने आने लगीं
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही तबाही शुरू हो गई है। तालिबान ने बामियान में हजारा समुदाय के नेता अब्दुल अली मजारी के स्टेच्यू को उड़ा दिया है। ये जानकारी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट सलीम जावेद ने शेयर की है। बता दें बामियान वही जगह है जहां तालिबान ने 20 साल पहले अपने पिछले शासन में बुद्ध की प्रतिमाओं को बारूद से उड़ा दिया था।
कौन थे अब्दुल अली मजारी
मजारी हजारा समुदाय से थे और हिज्ब-ए-वहदत पार्टी के नेता थे। तालिबान ने 1995 में उनकी हत्या कर दी थी। तालिबान कई सालों से हजारा समुदाय को निशाना बनाता रहा है। अफगानिस्तान की कुल 3.60 करोड़ आबादी में करीब 9% की हिस्सेदारी हजारा समुदाय की है, लेकिन इन अल्पसंख्यकों को संरक्षण मिलने के बजाय वहां इस समुदाय के लोग दहशतगर्दों के निशाने पर रहते हैं। बामियान में ज्यादातर हजारा शिया मुसलमान हैं। इसलिए वे मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं।
तालिबान ने फीमेल एंकर्स को बैन किया, महिला गवर्नर को बंधक बनाया
तालिबान ने अफगानिस्तान में महिला न्यूज एंकर्स को बैन कर दिया है। अफगानिस्तान के सरकारी TV चैनल की एंकर खदीजा अमीन को हटाकर तालिबान ने अपने लोगों से एंकरिंग शुरू करवा दी है। वहीं बल्ख प्रांत की गवर्नर सलीमा मजारी को बंधक बना लिया है। वे तालिबान के खिलाफ हैं और उन्होंने तालिबान से लड़ने के लिए हथियार भी उठाए थे।
महिलाओं के अधिकारों को लेकर तालिबान की हकीकत 24 घंटे के अंदर ही सामने आ गई है। तालिबान ने मंगलवार को ही कहा था कि महिलाओं को आजादी दी जाएगी और उनके अधिकारियों की रक्षा की जाएगी। साथ ही महिलाओं से सरकार में शामिल होने की अपील भी की थी।
अपडेट्स
- तालिबान को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। नोमानी ने तालिबान को बधाई दी है। उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को जायज बताते हुए कहा है कि हिंदी मुसलमान तालिबान को सलाम करता है।
- अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज वापस बुलाने के फैसले पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन पर बड़ा हमला किया है। ट्रम्प ने कहा है कि अफगानिस्तान से निकलना अमेरिकी इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना है।
- ब्रिटेन ने कहा है कि वह 20,000 अफगानी शरणार्थियों के पुनर्वास की व्यवस्था करेगा। इसमें महिलाओं और धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा के लिए 24 अगस्त को विशेष सेशन रखा है।
मुल्ला बरादर हो सकता है अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति
अफगानिस्तान में अब तालिबान सरकार बनाने की तैयारी में है। इस चरमपंथी संगठन का सह-संस्थापक और राजनीतिक प्रमुख मुल्ला बरादर दोहा से कंधार लौट आया है। तालिबान के शासन में वह अफगानिस्तान का राष्ट्रपति हो सकता है।
Zabibullah Mujahid, the taliban’s behind-the-scenes voice for nearly 20 years, appearing for first time in front of a house packed of Afghanistan’s vibrant media (one of biggest achievements of past 20 years) pic.twitter.com/0mZrN5CkRF
— Mujib Mashal (@MujMash) August 17, 2021
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान प्रवक्ता और तालिबानी संस्कृति परिषद का प्रमुख जबीउल्लाह मुजाहिद मंगलवार को पहली बार दुनिया के सामने आया। जबीउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तालिबानी शासन का रोडमैप रखा और कहा, ‘हम किसी के प्रति नफरत की भावना नहीं रखेंगे। हमें बाहरी या अंदरूनी दुश्मन नहीं चाहिए। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान की जमीन से किसी देश पर हमला नहीं होने देंगे।’
अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया
अफगानिस्तान में एक तरफ तालिबानी हुकूमत कायम हो रही है। वहीं उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी देश के बाहर हैं। इसलिए संविधान के मुताबिक अब मैं राष्ट्रपति हूं। मैं सभी से समर्थन की अपील करता हूं।’
तालिबान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तीन दिन पहले देश छोड़ दिया था। तब ये अटकलें थीं कि उनके साथ उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी अफगानिस्तान छोड़ दिया है। हालांकि, सालेह के बारे में बताया जा रहा है कि वे अभी पंजशीर में हैं, जहां तालिबान के खिलाफ आगे की रणनीति बनाई जा रही है।
अफगानिस्तान पर मोदी की मीटिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात पर मंगलवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग ली। यह कमेटी नेशनल सिक्योरिटी के मामले देखने वाली सबसे बड़ी गवर्नमेंट बॉडी है। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने अफगान मामलों से जुड़े अधिकारियों से कहा कि वे आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए सभी जरूरी उपाय करें।
एक सीनियर अफसर के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को न सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए, बल्कि हमें उन सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों को भी शरण देनी चाहिए जो भारत आना चाहते हैं। हमें अपने अफगान भाइयों और बहनों की भी हर संभव मदद करनी चाहिए, जो भारत से उम्मीद कर रहे हैं।
काबुल से 150 भारतीयों की वतन वापसी हुई
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रुदेंद्र टंडन समेत 150 लोगों को एयरफोर्स ग्लोबमास्टर मंगलवार को दिल्ली के हिंडन एयरबेस पहुंचा। यहां से लोगों को बसों और दूसरे वाहनों के जरिए उनके घर भेजा गया। इस दौरान एयरबेस के बाहर मौजूद लोगों ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए। न्यूज एजेंसी ANI के सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान में फंसे बाकी भारतीय भी सुरक्षित इलाके में हैं और एक-दो दिन में उन्हें भी एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा।