स्पेसएक्स मून मिशन की सफल लॉन्चिंग:8 दिन में चांद पर पहुंचेगा; दो महीने में दूसरा मिशन; पहला लैंडर 22 फरवरी को पलट गया था
अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी स्पेसएक्स का दूसरा मून मिशन एथेना IM-2 आज सुबह भारतीय समयानुसार सुबह 5:45 पर लॉन्च किया गया। इसे अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया।
पिछले दो महीने में स्पेसएक्स की तरफ से चंद्रमा पर भेजा जाने वाला यह दूसरा लैंडर है। 15 जनवरी 2025 को पहला मून लैंडर ओडिसियम IM-2 अंतरिक्ष में भेजा गया था। 22 फरवरी को इसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की मगर थोड़ी देर बाद यह पलट गया। पहले लैंडर के फेल होने के बाद स्पेसएक्स ने पांच दिन बाद दूसरा मून मिशन लॉन्च किया।

एथेना IM-2 मून लैंडर मिशन से जुड़े सवाल-जवाब….
लैंडर चंद्रमा पर कब लैंड करेगा? यह मून लैंडर धरती से चंद्रमा की दूरी 8 दिन में तय करेगा। चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग 6 मार्च को होगी।
एथेना IM-2 क्यों नाम दिया गया? इसे इंट्यूशिव मशींस (IM) नाम की कंपनी ने बनाया है। मून लैंडर का नाम भी इसी पर रखा गया है।
चांद के किस हिस्से पर लैंडिंग होगी? एथेना मून लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल के नजदीक मोन्स माउटन पर लैंड करेगा। यह चंद्रमा पर स्थित सबसे बड़ा पर्वत है। जोकि 100 किमी तक फैला है और यह सतह से 20 हजार फीट ऊंचा है।
कितने दिन का होगा मून मिशन? मून लैंडर चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद करीब 10 दिन तक काम कर सकेगा।
मून लैंडर में क्या-क्या है? लैंडर पर एक छोटा रोबोट माइक्रो नोवा हॉपर है, जिसे ग्रेस नाम दिया गया है। इसके अलावा चार पहियों वाला माइक्रोवेव आकार का एक रोवर भी है, जो चांद की सतह पर डेटा कलेक्ट करेगा।
मिशन का मकसद क्या है

इस मिशन का मकसद चंद्रमा की सतह से जुड़ी नई जानकारी इकठ्ठा करना है। लैंडर पर मौजूद रोवर में एक ड्रिल मशीन लगी है। यह करीब 10 ड्रिल करेगी। एक बार की ड्रिलिंग में करीब 10 सेंटीमीटर खुदाई होगी। यानी कुल एक मीटर गहराई तक मशीन जाएगी और अंदर से सैंपल कलेक्ट करेगी।
मून लैंडर को जिस फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। यह एक रीयूजेबल (दोबारा इस्तेमाल होने वाला), टू-स्टेज रॉकेट है, जिसे स्पेसएक्स ने पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे तक एस्ट्रोनॉट्स और पेलोड ले जाने के लिए बनाया है।
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 7 एस्ट्रोनॉट को स्पेस में ले जाने में सक्षम है। यह इकलौता प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट है, जो इंसानों को स्पेस स्टेशन तक ले जाता है। 2010 में ड्रैगन की पहली टेस्ट फ्लाइट हुई थी।