दमन के खिलाफ एक आवाज:म्यांमार सेना के सामने खड़ी नन की तस्वीर हुई वायरल; देखें तस्वीरों में- जब दुनिया भर में एक अकेली हिम्मत ने सभी को झुका दिया

म्यांमार में आर्मी ने 1 फरवरी 2021 को सत्ता अपने हाथ में ले ली है। वहां की मुख्य नेता आंग सांग सू की के साथ दूसरे कई मंत्री नजरबंद हैं। देश में चल रहे प्रोटेस्ट की कुछ तस्वीरें वहां की मौजूदा परिस्थितियों को बखूबी बयां कर रही हैं।

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म्यामांर के लोकतंत्र पर इस समय सबसे बड़ा पहरा है। वहां सेना के शासन ने सबकी आजादी छीन ली है। लोग घुटन भरी जिंदगी जी रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसका विरोध नहीं हो रहा, लेकिन लोग जैसे ही आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरते हैं, सेना उतनी ही तेजी से उनका दमन कर देती है। दुनियाभर में लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। इस आंदोलन के बीच कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो इंसानियत और हिम्मत की गवाह हैं।

हाथ जोड़कर सेना के आगे बैठी नन, बोलीं- सबसे पहले मुझे मारो

म्यांमार के काचिन राज्य के म्यित्चीना शहर में एक ऐसा नजारा सामने आया है, जिसने सभी को झकझोर दिया है। यहां सेना, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो रही थी। अचानक सिस्टर ऐन रोसा वहां घुटनों के बल बैठ गईं। उन्होंने कहा- आपको किसी को भी मारने से पहले मुझे मारना होगा। ये सुनते ही सेना और पुलिस के लोग उनके आगे हाथ जोड़कर खड़े हो गए। नन की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। ऐसा ही कुछ एक हफ्ते पहले भी हुआ था। करीब 100 आंदोलनकारी प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे थे। अचानक पुलिस और सेना प्रदर्शनकारियों को हटाने आ गई। इससे पहले की कुछ एक्शन होता, सिस्टर ऐन नू थ्वांग ने घुटने टेक कर आंदोलनकारियों पर गोली न चलाने की गुहार लगाई। इसका असर ये हुआ कि सिस्टर 100 आंदोलनकारियों को बचाकर निकाल ले गईं।

चीन में ‘टैंक मैन’ के आगे ठिठक गए थे टैंक

ये 1989 की एक तस्वीर है। इसे ‘टैंक मैन’ के नाम से जाना जाता है। 1989 में बीजिंग के थियानमेन स्क्वायर पर चीन की जनता ने डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की गुहार लगाई। भीड़ पर काबू पाने के लिए आर्मी के टैंक सड़कों पर उतरे। ये तस्वीर उन्हीं टैंक को रोकते एक आदमी की है। उस समय बीजिंग में हजारों आंदोलनकारी मारे गए। चीन में आज उस घटना पर किसी भी तरह की चर्चा करना मना है।

एक मां की गुजारिश- मेरे बच्चों को न मारा जाए

हांगकांग के लोग चीन के बढ़ते दखल और नए कानूनों से खफा हैं। पिछले दो साल में 10 हजार से ज्यादा लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं। इस आंदोलन की जान युवा और बच्चे रहे हैं। पुलिस ने बिना कोई रहम दिखाए बच्चों और युवाओं पर अत्याचार किया। इस तस्वीर में बच्चों की मां सड़क पर उतरी हैं, पुलिस से गुजारिश करने कि उनके बच्चों को न मारा जाए।

पत्थरबाज से फुटबॉलर बनी कश्मीरी लड़की की कहानी

पिछले कुछ साल में बच्चे और महिलाएं दुनियाभर में चल रहे हर आंदोलन का हिस्सा बने हैं। 2017 में कश्मीर में भड़के आंदोलन में पहली बार लड़कियां भी पुलिस और आर्मी पर पत्थर मारती नजर आईं। 21 साल की अफशान आज देश के लिए फुटबॉल खेलती हैं। उस समय उन्होंने कहा था कि पुलिस के खराब बर्ताव ने उन्हें पत्थर फेंकने पर मजबूर किया।

रंगभेद की जड़ मिटाने शुरू हुआ ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’

ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन 2013 में अमेरिका में ब्लैक कम्युनिटी के प्रति पुलिस के खराब रवैये के खिलाफ शुरू हुआ। ये आंदोलन समय-समय पर लौटता रहा है। 2016 की ये तस्वीर पेनसिल्वेनिया के एक नर्स की है। तब एलटन स्टर्लिंग नाम के एक व्यक्ति को पुलिस ने शूट किया था, जिसके बाद ये प्रोटेस्ट हुआ। 2020 में ब्रीओना टेलर, जोनाथन प्राइस और जॉर्ज फ्लॉयड की घटनाओं के बाद अमेरिका में ही नहीं, दुनिया भर में ब्लैक लाइव्स मैटर ने एक बार फिर जोर पकड़ा। इस आंदोलन में बच्चों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। 7 साल की वेन्टा एमोर रोजर और उनकी उम्र के कई बच्चे नारे लगाते नजर आए। अमेरिका में चलने वाला ये सबसे लंबा आंदोलन है। अमेरिका में बाइडेन सरकार बनने के बाद ही यह आंदोलन खत्म हुआ।

आर्मी जवान को थप्पड़ मारने वाली फिलिस्तीनी बच्ची

फिलिस्तीन और इजरायल की लड़ाई में कई परिवारों के सभी सदस्य हिस्सा ले रहे हैं। ऐसा आज से नहीं, सालों से है। फिलिस्तीन की अहद तमीमी बचपन से फौज और पुलिस से टक्कर ले रही हैं। आज वो इस आंदोलन का चेहरा बन चुकी हैं। तमीमी ने 2018 में एक आर्मी जवान को थप्पड़ मारने के जुर्म में सजा भी काटी है।

नन्ही हथेलियों में गुस्से का भार

2016 की ये फिलिस्तीन की तस्वीर, वहां आंदोलन से बच्चों के जुड़ाव और सेना के प्रति उनके गुस्से को दिखाती है। वेस्ट बैंक पर इजरायल की सरकार के कब्जे के समय ये तस्वीर ली गई थी। इजरायल फिलिस्तीन के बीच आज भी लगातार विवाद जारी है।

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