गायिकी के ‘रसराज’ नहीं रहे:पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में अमेरिका में निधन; उनके सम्मान में एक ग्रह का नाम रखा गया था, वे सातों महाद्वीप में प्रस्तुति दे चुके थे
पंडित जसराज ने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की। इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं। इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया।
गायिकी के ‘रसराज’ ने सुरों की दुनिया से आज रुखसत ले ली। जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में कार्डिएक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। पद्म विभूषण पंडित जसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथ अमेरिका में ही थे।
28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो 4 पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था। खयाल शैली की गायिकी पंडित जसराज की विशेषता रही। उनके पिता पंडित मोतीराम मेवाती घराने के संगीतज्ञ थे। जब पंडित जसराज महज तीन-चार साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। वे पहले तबला सीखते थे। बाद में उन्होंने गायिकी की तालीम शुरू की। उन्होंने साढ़े तीन सप्तक तक शुद्ध उच्चारण और स्पष्टता रखने की मेवाती घराने की विशेषता को आगे बढ़ाया।
जसरंगी जुगलबंदी की रचना की
पंडित जसराज ने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की। इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं। इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया।
मधुराष्टकम् उन्हें प्रिय था
मधुराष्टकम् श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित भगवान कृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है। पंडित जसराज ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचा दिया। पंडित जी अपने हर एक कार्यक्रम में मधुराष्टकम् जरूर गाते थे। इस स्तुति के शब्द हैं -अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरं॥
जसराज के सम्मान में ग्रह का नाम रखा गया था
सितंबर 2019 में पंडित जसराज को अमेरिका ने एक अनूठा सम्मान दिया और 13 साल पहले खोजे गए एक ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया। ग्रह की खोज नासा और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की थी। इस ग्रह का नंबर पंडित जसराज की जन्म तिथि से उलट था। उनकी जन्मतिथि 28/01/1930 है और ग्रह का नंबर 300128 था। नासा का कहना था कि पंडित जसराज ग्रह हमारे सौरमण्डल में गुरु और मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रहा है।
The unfortunate demise of Pandit Jasraj Ji leaves a deep void in the Indian cultural sphere. Not only were his renditions outstanding, he also made a mark as an exceptional mentor to several other vocalists. Condolences to his family and admirers worldwide. Om Shanti. pic.twitter.com/6bIgIoTOYB
— Narendra Modi (@narendramodi) August 17, 2020
अंटार्कटिका में गाने वाले अनूठे भारतीय
पंडित जसराज ने 2012 में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी। 82 साल की उम्र में उन्होंने अंटार्कटिका के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके साथ ही वे सातों महाद्वीप में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए। पद्म विभूषण से सम्मानित मेवाती घराना के पंडित जसराज ने 8 जनवरी 2012 को अंटार्कटिका तट पर ‘सी स्प्रिट’ नामक क्रूज पर गायन कार्यक्रम पेश किया। जसराज ने इससे पहले 2010 में पत्नी मधुरा के साथ उत्तरी ध्रुव का दौरा किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा- बेजोड़ गायिकी वाले असाधारण गुरु थे पंडित जसराज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पंडित जसराज के निधन से भारतीय संस्कृतिक जगत में एक खालीपन आ गया है। न सिर्फ उनकी गायिकी बेजोड़ थी, बल्कि वे कई गायकों के लिए असाधारण गुरु भी थे।