नेपाल की राजनीति में फैसले का वक्त / प्रधानमंत्री ओली ने कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों से पूछा- साफ बताओ, किसकी तरफ हो, देश और पार्टी मुश्किल में है

प्रधानमंत्री ओली ने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा सोमवार को पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होगी, इसमें ओली की किस्मत पर फैसला होगा

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नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) टूट की कगार पर है। उसके अध्यक्ष और प्रधानमंत्री केपी ओली ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है। ओली ने शनिवार शाम हुई कैबिनेट की आपात बैठक में अपने मंत्रियों से कहा कि वे साफ बताएं कि किसकी तरफ हैं? किसका समर्थन करेंगे? या उनकी सरकार के खिलाफ हैं, क्योंकि पार्टी और देश मुश्किल में हैं। यह जानकारी बैठक में मौजूद एक मंत्री ने दी। बैठक में हुई औपचारिक बातचीत का ब्योरा जारी नहीं किया गया।

ओली ने कहा कि पार्टी के कुछ नेता उन्हें हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही ये लोग राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के खिलाफ महाभियोग चलाने की साजिश रच रहे हैं, क्योंकि उन्होंने मेरा समर्थन किया था। भंडारी और ओली के बीच बहुत अच्छे राजनीतिक संबंध हैं। ओली के समर्थन से, भंडारी 2015 के बाद से दो बार राष्ट्रपति बन चुकी हैं।

ओली ने जल्द ही बड़ा फैसला करने के संकेत दिए
ओली ने यह संकेत भी दिया कि वे जल्द ही कोई बड़ा फैसला कर रहे हैं और उनकी पार्टी टूट की कगार पर है। ओली पर प्रधानमंत्री पद और पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का दबाव है। उनके सामने इन दोनों पदों को बचाने की चुनौती है।

प्रचंड का गुट इस्तीफे का दबाव बना रहा
एनसीपी को टूट से बचाने के लिए तमाम कोशिशें हो रही हैं। इसके लिए कुछ मझोले नेता दोनों पक्षों को चेतावनी भी दे रहे हैं। अब आम सहमति बनाने के लिए पार्टी की बैठक सोमवार तक के लिए टाल दी गई है, लेकिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। पुष्प कमल दहल प्रचंड की अगुआई वाला बागियों का गुट ओली पर इस्तीफे का दबाव बना रहा है।

प्रचंड को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन
प्रचंड ओली को प्रधानमंत्री पद से हटाने और पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। दहल को माधव नेपाल और झालानाथ खनल समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन है। हालांकि, ओली इन खबरों को खारिज कर रहे हैं। ओली और प्रचंड की पिछली बैठक शुक्रवार को हुई थी। यह करीब तीन घंटे चली थी। इसमें प्रचंड ने ओली के इस्तीफे की मांग दोहराई। हालांकि, बाद में उन्होंने इस दावे को खारिज किया और कहा कि उनके बीच इस्तीफे से इतर कुछ अन्य मुद्दों पर बात हुई।

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