ऑस्ट्रेलिया पर साइबर अटैक / सरकारी और निजी क्षेत्र पर बड़ा साइबर अटैक; हमले के पीछे कोई देश, लेकिन प्रधानमंत्री मॉरिसन ने नाम का खुलासा नहीं किया
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इस बारे में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बात की चीन पर शक के सवाल पर मॉरिसन ने कहा- वे किसी पर खुलेतौर पर आरोप नहीं लगा रहे
मेलबर्न. ऑस्ट्रेलिया के सरकारी और निजी क्षेत्र पर बड़ा साइबर अटैक हुआ है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे किसी देश का हाथ है। चीन पर भी शक जताया जा रहा है। हालांकि, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने किसी देश का नाम बताने से इनकार कर दिया है। उन्होंने साफ किया कि अब तक की जांच में कोई बड़ा डेटा चोरी होने की बात सामने नहीं आई है।
मॉरिसन ने शुक्रवार को कैनबरा में मीडिया को बताया कि यह हमला सरकार, उद्योग, राजनीतिक संगठन, शिक्षा, स्वास्थ्य और जरूरी सेवा समेत हर क्षेत्र पर किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीते कुछ महीनों में इनमें तेजी आई है।
तरीका बताता है कि इसके पीछे कोई देश है
मॉरिसन ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि यह किसी देश की ओर से किया गया हमला है, इसका तरीका यह साबित करता है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार इसके प्रति सचेत है और आगाह भी कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने करीबी सहयोगियों और साझेदारों के साथ इस खतरे पर काम कर रही है।
जानकारी इसलिए दे रहे, ताकि लोग जागरूक हों
मॉरिसन ने कहा कि वे इस बारे में खुलेतौर पर बोलकर चिंता नहीं जता रहे, बल्कि ऐसा जागरूकता के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थाओं, खासतौर पर जो स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी जरूरतों और जरूरी सेवाओं से जुड़ी हैं उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि वे अपनी तकनीकी की सुरक्षा के उपाय करें।
चीन-ऑस्ट्रेलिया में लंबे समय से टकराव चल रहा
इस साइबर अटेक के पीछे चीन पर शक इसलिए जताया जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से उसके ऑस्ट्रेलिया से संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। चीन उसे अमेरिका का पिछलग्गू कहता है।ऑस्ट्रेलिया कोरोनावायरस फैलने की जांच कराने के पक्ष में और उसे चीन पर शक है।
ऑस्ट्रेलियाई एंबेसडर ने पिछले महीने चीन पर निशाना साधा
भारत में ऑस्ट्रेलिया के हाईकमिश्नर बैरी ओ फैरेल ने पिछले महीने कहा था कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कुछ नियम बने, जिनका भारत और ऑस्ट्रेलिया पालन कर रहे हैं, लेकिन चीन नहीं। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन मौजूदा स्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की कोशिश कर रहा है, जो इस मुद्दे पर बनी आम सहमति के मुताबिक नहीं है।