इजराइल की सीरिया में सर्जिकल स्ट्राइक, VIDEO जारी:3 घंटे में 120 कमांडो ने टनल में ईरान की मिसाइल फैक्ट्री तबाह की

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान की इस मिसाइल फैक्ट्री में बनी मिसाइलों का इस्तेमाल हिजबुल्ला और सीरिया की असद सरकार द्वारा किया जा रहा था।

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इस्राइली वायु सेना ने गुरुवार को खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने सीरिया में एक सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस्राइली वायु सेना ने बताया कि यह उसके सबसे मुश्किल और जाबांज मिशन में से एक ऑपरेशन था, जिसमें स्पेशल फोर्स के 120 कमांडो ने सीरिया में घुसकर ईरान की एक मिसाइल फैक्ट्री को तबाह किया। इस्राइल ने बताया कि यह खुफिया और अहम ऑपरेशन बीते सितंबर में किया गया था। इस्राइल के कमांडोज ने सीरिया में घुसकर ईरान की भूमिगत मिसाइल फैक्ट्री पर छापा मारा और फिर उसे तबाह कर दिया।
फैक्ट्री इजराइल के उत्तर और सीरिया के तट से पश्चिम में एक पहाड़ को खोदकर बनाई गई थी। - Dainik Bhaskar
फैक्ट्री इजराइल के उत्तर और सीरिया के तट से पश्चिम में एक पहाड़ को खोदकर बनाई गई थी।

तेल अवीव/ दमिश्क. इजराइली वायुसेना ने सीरिया में 4 महीने पहले की सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो गुरुवार देर रात जारी किया। इजराइली वायुसेना के 120 एलीट कमांडो की एक स्पेशल यूनिट ने 8 सितंबर 2024 को सीरिया में 200 किमी घुसकर यह कार्रवाई की और ईरान की मिसाइल फैक्ट्री को तबाह कर दिया।

इजराइली सेना के मुताबिक, ईरान ने पश्चिमी सीरिया के मस्फया इलाके में पहाड़ को खोदकर अंडरग्राउंड (जमीन के अंदर) मिसाइल फैक्ट्री बनाई थी। यहां से किलर मिसाइलें बनाकर उसे लेबनान में हिजबुल्लाह और असद की सेना को दिया जाता था।

इजराइल के कमांडो ने टनल में अंदर जाकर ढाई घंटे तक विस्फोटक बिछाए और सुरक्षित बाहर निकल गए। इजराइल ने जब इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, उस समय सीरिया में बशर अल असद की सरकार थी। इस समय तक इजराइल, हिजबुल्लाह के साथ सीधी जंग में शामिल भी नहीं हुआ था।

हिजबुल्ला को हथियारों की सप्लाई के लिहाज से अहम थी फैक्ट्री
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान की इस मिसाइल फैक्ट्री में बनी मिसाइलों का इस्तेमाल हिजबुल्ला और सीरिया की असद सरकार द्वारा किया जा रहा था। जिस फैक्ट्री पर हमला किया गया, उसे साइंटिफिक स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर के रूप में जाना जाता है और यह सीरिया में राजधानी अलेप्पो के नजदीक पहाड़ी इलाके में मौजूद थी। यह फैक्ट्री इस्राइली सीमा से सीरिया में करीब 200 किलोमीटर अंदर मौजूद थी। हिजबुल्ला को हथियारों की सप्लाई के लिहाज से यह फैक्ट्री काफी अहम थी। इस ऑपरेशन में इस्राइल को कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ था। अब असद सरकार के सीरिया की सत्ता से बाहर होने के बाद इस ऑपरेशन की जानकारी सामने आई है।

लोकेशन- डीप लेयर, ऑपरेशन- मेनी वेज

इजराइली सेना ने इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन मेनी वेज’ और स्ट्राइक की लोकेशन को ‘डीप लेयर’ नाम दिया था। इस ऑपरेशन को वायुसेना की शालडाग यूनिट ने अंजाम दिया। उसके साथ सर्च और रेस्क्यू यूनिट 669 भी मौजूद थी। पूरे ऑपरेशन के दौरान इजराइल के किसी भी सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

IDF के मुताबिक ईरान ने इस फैक्ट्री (डीप लेयर) को बनाने की शुरुआत 2017 में की थी। इसी साल इजराइल ने रॉकेट इंजन बनाने वाली फैसिलिटी CERS को एक हवाई हमले में तबाह कर दिया था। इसके बाद ईरान ने यहां अंडरग्राउंड मिसाइल फैक्ट्री बनाने की शुरुआत की।

ईरान ने 2021 तक इस फैक्ट्री का निर्माण पूरा कर लिया था। साथ ही मिसाइल का प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया था।

अंडरग्राउंड फैक्ट्री का ये वीडियो इजराइली सेना ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।
अंडरग्राउंड फैक्ट्री का ये वीडियो इजराइली सेना ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।

मिशन की प्लानिंग और ट्रेनिंग

IDF के मुताबिक इस फैक्ट्री को तबाह करने का आइडिया कई साल पुराना था। हालांकि पिछले एक साल से हमास और हिजबुल्लाह से जंग के दौरान इजराइल ने इसकी प्लानिंग शुरू की। शालडाग यूनिट की ट्रेनिंग और क्षमताओं की वजह से वायुसेना ने उसे इस मिशन को अंजाम देने के लिए चुना।

स्ट्राइक के दो महीने पहले से शालडाग और यूनिट 669 के सैनिकों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस ट्रेनिंग में लोकेशन के कई मॉडल भी शामिल किए गए थे। इसके जरिए ऑपरेशन के दौरान बैकअप को तैयार रखने की प्लानिंग की गई।

ऑपरेशन से पहले इंटेलिजेंस यूनिट को अधिक सक्रिय किया गया। इसके जरिए सैनिकों के उतरने की लोकेशन और सुरंग में घुसने और नष्ट करने के मॉडल तैयार किए गए। साथ संभावित खतरों और सीरीया की सेना से निपटने के लिए भी तैयारी को भी ध्यान में रखा गया।

सुरंग का मॉडल। इसे इजराइली सेना ने तैयार किया।
सुरंग का मॉडल। इसे इजराइली सेना ने तैयार किया।

8 सितंबर- द डे ऑफ एक्शन

ऑपरेशन मेनी वेज के लिए 8 सितंबर का दिन चुना गया, क्योंकि इस दिन मौसम साफ था। इससे शाम के समय लोकेशन पर सैनिकों को ले जाने हेलिकॉप्टर्स को आसानी होती। शाम को शालडाग यूनिट के 100 कमांडो और यूनिट 669 के 20 सैनिक मिशन के लिए रवाना हुए।

इन्हें वायुसेना के चार हेवी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर CH-53 यासुर के जरिए इजराइल के एयरबेस से सीरिया के लिए रवाना किया गया। इनकी सहायता के लिए दो लड़ाकू हेलिकॉप्टर, 21 लड़ाकू विमान, 5 ड्रोन और 14 जासूसी विमान भी साथ भेजे गए।

इसके अलावा 20 विमानों को इजराइल में स्टैंड-बाय पर रखा गया, जिससे कि प्लान फेल होने पर स्थिति को कंट्रोल में लिया जा सके। रडार से बचने के लिए हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे।

हेलिकॉप्टर के साथ गए दूसरे विमानों और ड्रोन्स ने अलग-अलग लोकेशन को टारगेट किया। इस दौरान भारी हमले किए गए। इनका मकसद सीरियाई सेना का ध्यान भटकाना और उसकी डिफेंस फैसिलिटी को तबाह करना था।

लोकेशन पर उतरकर टीम को दो हिस्सों में बांट दिया गया। पहली टीम ने लोकेशन को पूरी तरह से कवर किया। वहीं दूसरी टीम सुरंग में जाने के लिए गेट पर पहुंची। यहां पहुंचते ही उसने गेट के 2 गार्ड को मार गिराया और कमांडो सुरंग में प्रवेश कर गए।

अगले 2 घंटे तक इन कमांडो ने सुरंग में बनी मिसाइल फैक्ट्री में 300 किलोग्राम विस्फोटक बिछाकर मिशन को अंजाम दिया। सुरंग गेट पर डेटोनेटर लगाए गए। इसके बाद सभी कमांडो वापस हेलिकॉप्टर में लौटे। उनके लौटते ही सुरंग में विस्फोट कर दिया गया।

मिशन में शामिल एक कमांडो के मुताबिक ये विस्फोट इतना तेज था कि वहां एक हल्का भूकम्प भी आया। हमले के एक घंटे बाद सीरियाई सेना मौके पर पहुंची। तब तक वहां सब खत्म हो चुका था। इजराइली सेना के मुताबिक पूरे ऑपरेशन के दौरान उसने करीब 30 गार्ड और सीरियाई सैनिकों को मारा था।

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