क्या चीनी सेना जैविक हथियार के तौर पर कर रही है कोरोना वायरस का इस्तेमाल: इजराइली एम्बेसेडर बोले- कोरोनावायरस बेहद संदिग्ध
रविवार को ही ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में कहा- कोरोनावायरस को चीनी सेना और वहां के वैज्ञानिक जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते थे। इस पर 2015 से काम जारी था। इसलिए यह बात मानने की कोई वजह नहीं है कि यह किसी चमगादड़ बाजार से फैला।
नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस की दूसर लहर खतरनाक साबित हो रही है। एक तरफ दुनिया के कई देश इससे जूझ रहे हैं तो कुछ ने काफी हद तक इस पर काबू भी पा लिया है। इस बीच, कुछ देश ऐसे भी हैं, जो इस वायरस के जन्म या कहें शुरुआत को लेकर एक खास तरफ इशारा कर रहे हैं। सबसे पहले अमेरिका, फिर ऑस्ट्रेलिया और अब इजराइल ने भी बिना नाम लिए चीन की तरफ इशारा किया है। उनका कहना है कि चीन विश्व की अर्थव्यवस्था को डामाडोल करने व अपने विरोधियों को मात देने के लिए सेना के माध्यम से कोरोना वायरस का इस्तेमाल जैविक हथियार के तौर पर करना चाहता है व इसके लिए वह 2015 से जुटा है।
भारत में इजराइली राजदूत रॉन माल्का के बयान को गौर से देखें तो वो काफी कुछ कहता है। माल्का ने रविवार शाम कहा- कोरोनावायरस के बारे में एक बात में जोर देकर कहना चाहता हूं। यह वायरस बेहद-बेहद संदिग्ध किस्म का है। यह हम पर बार-बार और अलग-अलग रूप में आकर चौंका देता है।
इजराइल ने 3 लहर झेलीं
न्यूज एजेंसी को दिए बयान में माल्का ने इजराइल के हालात का जिक्र किया। कहा- महामारी की शुरुआती लहर में, हमारे देश में हालात खराब हो रहे थे। इस दौर में भारत ने हमारी जो मदद की, उसे हम कभी भुला नहीं सकते। भारत और इजराइल की दोस्ती बेमिसाल है। जिन चीजों के हम एक्सपर्ट हैं, उनको एक दूसरे से शेयर करते हैं और आगे भी यह काम जारी रहेगा। यह अपने लोगों की जान बचाने की जंग है।
भारत को हर मुमकिन मदद का वादा
एक सवाल के जवाब में माल्का ने कहा- इस मुश्किल वक्त में इजराइल के लोग और वहां की सरकार भारत के लोगों की दिल से मदद करना चाहती है। हम उनको सबसे अच्छे मेडिकल इक्युपमेंट्स सप्लाई कर रहे हैं। हमारी यहां प्राइवेट कंपनियां भी इक्युपमेंट्स कलेक्ट कर भारत भेज रही हैं।
इस वायरस पर शक क्यों
माल्का ने वायरस के बारे में एक चौंका देने वाली बात कही। एक तरह से इसे चीन की तरफ इशारा समझा जा सकता है। उन्होंने कहा- एक चीज पर हमें नजर रखनी होगी कि ये वायरस बेहद-बेहद संदिग्ध किस्म का है। हम इसकी चपेट में बार-बार आ रहे हैं। यह हमें चौंका रहा है। आप इजराइल को ही देख लीजिए। हमने इस वायरस की 3 लहरों का सामना किया। यह महामारी किसी गलत तरफ इशारा कर रही है। हालांकि, यह सिर्फ वक्त की बात है। जब सभी लोगों को वैक्सीन मुहैया हो जाएगी तो हालात सुधर जाएंगे। भारत भी इस महामारी की चपेट से बहुत जल्द उबर जाएगा।
यहां भी गौर कीजिए
रविवार को ही ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में कहा- कोरोनावायरस को चीनी सेना और वहां के वैज्ञानिक जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते थे। इस पर 2015 से काम जारी था। इसलिए यह बात मानने की कोई वजह नहीं है कि यह किसी चमगादड़ बाजार से फैला। इसके पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ तौर पर कोरोना को चीनी वायरस कहा था। अब इजराइली राजदूत भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। संदिग्ध से कहने से उनका मतलब यह हो सकता है कि यह वायरस किसी लैब में तैयार किया गया हो। चीन की वुहान लैब की एक रिसर्चर (अब अमेरिका की शरण में) भी यही दावा कर चुकी है।