दोहरा रवैया / देश की सीमाओं से छेड़छाड़ कर रहा गूगल मैप्स, विदेशी यूजर्स को कश्मीर की सीमाएं विवादित दिखा रहा
गूगल ने कहा- हम मैप्स अपडेट करने के लिए आधिकारिक सूत्र इस्तेमाल करते हैं, यह सबसे पुष्ट माने जाते हैं गूगल मैप्स 15 साल पहले लॉन्च किए गए, स वक्त मोबाइल मैप्स की दुनिया में इसका 80% मार्केट शेयर है
नई दिल्ली/वॉशिंगटन. गूगल मैप्स अलग-अलग देशों में यूजर्स के मुताबिक, उसकी सीमाएं बदल कर दिखा रहा है। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, जहां भारतीय नागरिकों के लिए जम्मू-कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर दिखाया जाता है। वहीं, विदेशी नागरिकों के लिए कश्मीर की सीमाओं को विवादित बताया जाता है।
पोस्ट के मुताबिक, गूगल ऑनलाइन मैप में कश्मीर को भारत में दिखाया जाता है, जबकि अन्य जगहों पर कश्मीर को भारत से डॉटेड लाइन के जरिए अलग दिखाया जाता है। जैसे पाकिस्तान में स्थित यूजर को कश्मीर की पूरी सीमा ही डॉटेड लाइन में दिखाई जाती है।
गूगल ने कहा- स्थानीय डेटा के आधार पर अपडेट होते हैं मैप
वॉशिंगटन पोस्ट की इस रिपोर्ट पर गूगल ने सफाई जारी की है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि गूगल अपनी वैश्विक नीतियों में तर्कसंगत है। वह हर देश को उसकी नीतियों के आधार पर ही सीमाएं दिखाता है, जबकि बाकी दुनिया के लिए सीमाएं वैश्विक पॉलिसी पर आधारित होती हैं। यानी गूगल किसी के भी पक्ष या विपक्ष में नहीं खड़ा होता। हमारी सेवाएं स्थानीय डोमेन के आधार पर स्थानीय रूप में ही बनाई जाती हैं। गूगल के मुताबिक, हम सीमाओं की जानकारी स्थानीय पुष्ट डेटा के आधार पर अपडेट करते हैं। ज्यादातर मामलों में यह डेटा आधिकारिक सूत्रों या भू-राजनीतिक बदलावों के आधार पर लिया जाता है। 2014 में तेलंगाना के आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद भी गूगल ने आधिकारिक सूत्रों से ही मैप का डेटा अपडेट किया था।
‘अपनी मर्जी से मैप्स में बदलाव करता है गूगल’
रिपोर्ट में बताया गया है कि गूगल ने मैप्स का यह बदलाव सिर्फ कश्मीर के लिए ही नहीं, बल्कि अर्जेंटीना से लेकर ब्रिटेन और ईरान तक में कर रखा है। अखबार के मुताबिक, गूगल का कॉरपोरेट मिशन दुनिया की जानकारी ऑर्गनाइज करना है। लेकिन वह अपनी मर्जी के मुताबिक, इसमें बदलाव भी करता है। गूगल मैप्स का इस वक्त मोबाइल मैप्स की दुनिया में 80% मार्केट शेयर है। इसके करीब 1 अरब यूजर्स हैं। यानी इससे दुनियाभर के लोगों का नजरिया प्रभावित किया जा सकता है।
अखबार ने मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति के हवाले से लिखा, “मैप्स का डेटा सिर्फ इतिहास और स्थानीय कानून से प्रभावित नहीं होता, बल्कि राजनयिकों और कंपनी अफसरों के बदलते मिजाज से भी प्रभावित होता है।” 15 साल पहले लॉन्च हुए गूगल मैप्स अब दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या को प्रभावित करता है।”