पावर का ट्रांसफर नहीं हुआ:बाइडेन को न्यूक्लियर फुटबॉल और कोड दिए बिना व्हाइट हाउस छोड़ गए ट्रम्प, अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ
नई दिल्ली। बात 2018 की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उंग के बीच जुबानी-जंग चल रही थी।
किम जोंग-उन नए साल पर देश की जनता को संबोधित कर रहे थे। बोले, ‘मेरे ऑफिस की मेज पर न्यूक्लियर बटन है और पूरा अमेरिका हमारी न्यूक्लियर मिसाइलों की जद में है।’
जवाब ट्रम्प की ओर से आया। उन्होंने ट्वीट करके कहा, ‘मेरे पास भी न्यूक्लियर बटन है, जो किम के बटन से ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली है। सबसे बड़ी बात कि मेरा बटन काम भी करता है।’
इस तनातनी के बीच न्यूक्लियर बटन की चर्चा दुनियाभर में खूब हुई। वास्तव में ये न्यूक्लियर बटन जैसी कोई चीज नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प तो बाइडेन को न्यूक्लियर फुटबॉल और कोड दिए बिना व्हाइट हाउस छोड़ गए और अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। आइए जानते हैं कैसे हुआ न्यूक्लियर पावर का ट्रांसफर।
- क्या हैं न्यूक्लियर फुटबॉल और न्यूक्लियर बिस्किट?
बुधवार को राष्ट्रपति ट्रम्प की व्हाइट हाउस से विदाई हो गई। जो बाइडेन ने नए राष्ट्रपति पद की शपथ ली। अमेरिका में पुराने राष्ट्रपति के पद छोड़ने और नए राष्ट्रपति के शपथ लेने के साथ ही एक और बड़ा ट्रांसफर होता है। यह है न्यूक्लियर पॉवर का ट्रांसफर, यानी दुनिया को तबाह करने की ताकत नए राष्ट्रपति के पास आ जाती है।
दरअसल, यह न्यूक्लियर पॉवर एक काले रंग के ब्रीफकेस में बंद होती है। इसी को न्यूक्लियर फुटबॉल भी कहते हैं। राष्ट्रपति के पास दो ‘न्यूक्लियर फुटबॉल’ और इससे भी ज्यादा जरूरी उसमें दो सेट ‘न्यूक्लियर लॉन्च कोड’ रखे होते हैं। न्यूक्लियर कोड एक कार्ड पर लिखे होते हैं, जिसे न्यूक्लियर बिस्किट भी कहते हैं। ये दोनों चीजें अमेरिकी राष्ट्रपति के पास हर वक्त रहती हैं।
- कैसे होती है न्यूक्लियर ट्रांसफर की प्रक्रिया?
ब्लैक ब्रीफकेस यानी फुटबॉल में परमाणु हमले के लिए कोड होते हैं, इसके जरिए ही अमेरिकी राष्ट्रपति पेंटागन को न्यूक्लियर हमले का आदेश दे सकते हैं। ये न्यूक्लियर कोड कभी भी राष्ट्रपति से अलग नहीं होता है, जब अमेरिका में नए राष्ट्रपति शपथ लेते हैं, तो उस दौरान ही ब्रीफकेस भी एक से दूसरे के पास चला जाता है।
हालांकि इस बार ऐसा नहीं हो पाया, क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प नए राष्ट्रपति बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी पुराने राष्ट्रपति ने नए राष्ट्रपति को न्यूक्लियर लॉन्च कोड ट्रांसफर नहीं किया।
- इस बार कैसे ट्रांसफर हुआ न्यूक्लियर लॉन्च कोड?
डोनाल्ड ट्रम्प बुधवार सुबह ही व्हाइट हाउस से फ्लोरिडा के लिए रवाना हो गए। उनके साथ न्यूक्लियर फुटबॉल भी फ्लोरिडा चला गया। लेकिन, इसमें रखे न्यूक्लियर लॉन्च कोड दोपहर 12 बजे और बाइडेन के शपथ लेने के साथ ही डेड हो गए, ठीक उसी तरह जैसे- क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड एक्सपायर हो जाते हैं।
इस बार बाइडेन के लिए वॉशिंगटन डीसी के कैपिटोल से न्यूक्लियर फुटबॉल और न्यूक्लियर लॉन्च कोड का दूसरा सेट आया। जिसे अमेरिकी सेना के कमांडर इन चीफ ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को ट्रांसफर किया। जब से यह कानून बना है, तब से 7 दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट सागन NYT से कहते हैं कि यह पूरी तरह से गलत हुआ। इस बात का कोई तुक नहीं है कि न्यूक्लियर लॉन्च कोड ट्रम्प के पास एक्सपायर हो गए। उन्हें इसे बाइडेन को देकर ही जाना चाहिए था।
- जब राष्ट्रपति विदेश में होते हैं तो क्या करते हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति जब विदेश दौरे पर होते हैं, तो उनके साथ न्यूक्लियर कंट्रोल एंड कमांड टीम भी रहती है। इसमें आर्मी अफसरों के साथ कम्युनिकेशन टूल्स और वॉर प्लान बुक भी होती है। यदि विदेश से राष्ट्रपति को हमले का आदेश देना है तो उन्हें पेंटागन के सैन्य अधिकारियों से न्यूक्लियर कोड के माध्यम से संपर्क करना होता है। यह कोड सिर्फ राष्ट्रपति के पास होता है और इसी से उनकी पहचान होती है। इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ से दिया गया न्यूक्लियर लॉन्च का आदेश पेंटागन और स्ट्रैटिजिक कमांड तक पहुंचता है।
आपात संकट से निपटने के लिए 4 न्यूक्लियर फुटबॉल तैयार रहते हैं-
अमेरिका में राष्ट्रपति के साथ न्यूक्लियर लॉन्च कोड के 4 न्यूक्लियर फुटबॉल रखे हैं। मकसद आपात समय में परमाणु हमले का आदेश दिया जा सके। एक की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति के पास होती है। दो अन्य फुटबॉल स्टैंडबाई में रखे होते हैं।
अमेरिकी सुरक्षा एक्सपर्ट स्टीफन स्वार्ट्ज ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका में एक ही जैसे 3 से 4 न्यूक्लियर फुटबॉल और लॉन्च कोड तैयार रहते हैं। एक राष्ट्रपति के साथ रहता है, दूसरा उपराष्ट्रपति और तीसरा आपात स्थिति में इस पद को संभालने वाले व्यक्ति के लिए तैयार करके रखा जाता है।