US इलेक्शन LIVE:बाइडेन को 213 और ट्रम्प को 145 इलेक्टोरल वोट्स; फ्लोरिडा और टेक्सास जैसे स्विंग स्टेट्स में ट्रम्प आगे
US Presidential Elections 2020: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती नतीज़ों में बाइडन भले ही ट्रंप से आगे चल रहे हैं. हालांकि अब भी यहां के पांच स्विंग स्टेट्स पर सबकी निगाहें टिकी हैं. कहा जाता है कि इस स्विंग स्टेट में जो जीतता है वही व्हाइट हाउस पहुंचता है.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए काउंटिंग जारी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अब तक की गिनती में बाइडेन को 213, जबकि ट्रम्प को 145 इलेक्टर्स वोट मिल चुके हैं। खास बात है कि फ्लोरिडा में ट्रम्प आगे चल रहे हैं। कहा जाता है कि इस स्विंग स्टेट में जो जीतता है वही व्हाइट हाउस पहुंचता है। 100 साल का इतिहास यही कहता है। आयोवा में बाइडेन आगे हैं।
- न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सीनेट में अब तक डेमोक्रेट्स को 45 जबकि रिपब्लिकन्स को 44 सीटें मिली हैं। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट्स को 118 जबकि रिपबल्किन्स 140 सीटें मिली हैं।
- 72 साल बाद एरिजोना डेमोक्रेट्स का : CNN के मुताबिक, इस बार रिपब्लिकन्स के गढ़ कहे जाने वाले एरिजोना में डेमोक्रेट्स ने सेंध लगा दी है। यहां बाइडेन खासी बढ़त हासिल कर चुके हैं। एरिजोना में इस उलटफेर की बड़ी वजह लैटिन लोग बताए जा रहे हैं। ट्रम्प इनको घुसपैठिया बताते आए हैं। वहीं, बाइडेन ने इनका समर्थन किया। नतीजा सामने है। 2016 में ट्रम्प ने यहां 3% ज्यादा वोट हासिल किए थे। इस बार इतने ही मतों से पीछे हैं।
- NYT के मुताबिक, कैलिफोर्निया के अलावा ओरेगन, इदाहो और वॉशिंगटन स्टेट में कांटे की टक्कर है। ट्रम्प ने कहा था कि वे इस बार इदाहो और ओरेगन में सीधी जीत दर्ज करेंगे।
- पहली ट्रांसजेंडर स्टेट सीनेटर: जो बाइडेन के होम स्टेट डेलावेयर से सारा मैक्ब्रि़ड स्टेट सीनेटर का चुनाव जीत चुकी हैं। वे अमेरिकी इतिहास की पहली ट्रांसजेंडर हैं जो स्टेट सीनेट के लिए चुनी गई हैं।
- CNN की पॉलिटिकल एनालिस्ट डाना बैश के मुताबिक, फ्लोरिडा और पेन्सिलवेनिया में मुकाबला काफी कांटे का है। इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि फिलहाल, पूरे देश की भी यही तस्वीर होने जा रही है। डेमोक्रेट्स को लैंडस्लाइड विक्ट्री की उम्मीद थी। फिलहाल ही सही ट्रम्प ने उस पर पानी फेर दिया है।
- सीनेट की बात कर लेते हैं। अब तक 43 सीटों पर डेमोक्रेट जबकि 38 रिपब्लिकन आगे हैं। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट 53 और रिपब्लिकन 79 सीटों पर आगे हैं।
- न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, एक रोचक आंकड़ा सामने आ रहा है। 2016 में जिन लोगों ने वोट नहीं किया था, या जिन्होंने पिछले चुनाव में थर्ड पार्टी को वोट दिया था। इन दोनों ने इस बार बाइडेन को वोट दिया है।
- डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर मिच मैक्डोनेल ने पार्टी नेताओं से कहा- अगर हम जीतते हैं इसे बड़े दिल और विनम्रता से स्वीकार करें। अगर आप गलत बातें कहते हैं, नस्लवादी बातें करते हैं तो देश में हिंसा भड़क सकती है।
- व्हाइट हाउस के पास ड्राइव पर रोक लगाई गई। यूएसए टुडे के मुताबिक, व्हाइट हाउस के करीब नेशनल गार्ड्स तैनात किए जा चुके हैं।
- फ्लोरिडा जीतने वाला ही व्हाइट हाउस पहुंचता है। यहां 80% वोटों की गिनती हो चुकी है। 50 फीसदी पॉपुलर वोट्स ट्रम्प को मिले हैं। ये पिछली बार से ज्यादा है।
- न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, पिछले आधे घंटे में ट्रम्प ने 6 इलेक्टोरल सीट्स पर कब्जा किया है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की तस्वीर आज साफ हो सकती है। ये तय हो सकता है कि डोनाल्ड ट्रम्प को चार साल और मिलेंगे या जो बाइडेन व्हाइट हाउस पहुंचेंगे। भारत के लिए भी इस चुनाव के अहम मायने हैं। कोरोनावायरस, ट्रेड वॉर, सायबर सिक्योरिटी और साउथ चाइना सी। ये कुछ मामले ऐसे हैं, जिनको लेकर चीन और अमेरिका में तनाव है।
दूसरी तरफ, भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद जारी है। ‘यूएसए टुडे’ के मुताबिक, ट्रम्प और बाइडेन के कैम्पेन पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि दोनों में से कोई भी जीते, चीन के प्रति इनका रुख सख्त ही रहेगा। भले ही ट्रम्प ने वायु प्रदूषण के मसले पर भारत को गंदा बताया हो। यहां इस चुनाव और भारत पर इसके असर के बारे में समझते हैं।
कॉमन चैलेंज
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हो या अमेरिका। दोनों के लिए इस वक्त चीन ही सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका के सुपरपावर के दर्जे को शी जिनपिंग चुनौती दे रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत की जमीन पर बीजिंग की लालच भरी नजरें टिकी हैं। दोनों चीन की चालों को नाकाम करने के लिए साथ आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच कुछ दिन पहले मिसाइल डिफेंस और सर्विलांस पैक्ट हुआ। बाजार, आकार और भरोसे के लिहाज से एशिया में चीन को टक्कर देने की ताकत सिर्फ भारत में है। इसलिए, अमेरिका हर हाल में भारत का साथ चाहेगा।
एक मिसाल से समझिए
ऐसे वक्त जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव चल रहा था, ट्रम्प के नंबर 2 और नंबर 3 मंत्री भारत समेत एशियाई देशों के दौरे पर थे। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर दो दिन भारत में रुके। फिर श्रीलंका और मालदीव भी गए। हर यात्रा में चीन की हिंद महासागर में बढ़ती दखलंदाजी और प्रभाव पर कुछ खुली और कुछ गुप्त बातचीत हुई। इससे झलक तो मिल ही जाती है कि ट्रम्प या बाइडेन चाहे जो जीते, डिफेंस और फॉरेन पॉलिसी ज्यादा नहीं बदलेंगी। अमेरिका में पहले भी यही ट्रेंड रहा है। हालांकि, प्रेसिडेंशियल डिबेट में सिर्फ दो बार भारत का नाम लिया गया था।
अभी नहीं तो कभी नहीं
यूएसए टुडे के मुताबिक- चीन अब अमेरिकी सुरक्षा, आर्थिक हितों और संस्कृति के लिए सबसे बड़ा खतरा और चुनौती बन चुका है। उस पर शिकंजा काफी पहले कसना चाहिए था, लेकिन अब भी देर नहीं हुई। अमेरिका को फिर अपने मित्र राष्ट्रों, नाटो और दूसरे गठबंधनों को साथ लाना होगा। अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला मुश्किल नहीं होगा। अमेरिकी अफसर इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। सियासत इस मामले में बाधा नहीं बनेगी।
ट्रम्प के चीन पर 5 बड़े आरोप
- चीन कोरोनावायरस फैलाया। अमेरिका के पास इसके सबूत। बीजिंग को इसकी कीमत चुकानी होगी।
- साउथ चाइना सी पर कब्जा करके चीन दुनिया के 30 फीसदी कारोबार पर कब्जा करना चाहता है।
- भारत समेत पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा करना चाहता है चीन। पड़ोसियों को धमका रहा बीजिंग।
- चीन दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश के लिए खतरा। उसके यहां मानवाधिकार जैसी कोई चीज नहीं।
- सायबर सिक्योरिटी और ट्रेड के मामले में अमेरिका अब चीन को कोई राहत नहीं देगा।
बाइडेन का चीन पर रवैया अब तल्ख
- चीन ने अमेरिकी चुनाव में दखल की साजिश रची। बख्शा नहीं जाएगा।
- अमेरिकी कंपनियों को चीन में परेशान किया जा रहा है। जीते तो माकूल जवाब देंगे।
- मानवाधिकारों के मसले पर चीन का रिकॉर्ड दुनिया में सबसे खराब। जवाबदेही तय करेंगे।
- हॉन्गकॉन्ग, तिब्बत और वियतनाम में चीन की मनमानी नहीं चलेगी। साउथ चाइना सी में अमेरिकी बेड़ा स्थायी करेंगे।
- कोरोना वायरस महामारी के बीच अमेरिका में नया राष्ट्रपति चुनने के लिए वोटों की गिनती जारी है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अब तक की गिनती के हिसाब से रिपब्लिकन उम्मीदवार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को 98 जबकि डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन (Joe Biden) को 131 इलेक्टोरल वोट्स मिल चुके हैं.
- यहां शुरुआती नतीज़ों में बाइडन भले ही ट्रंप से आगे चल रहे हैं. हालांकि अब भी यहां के पांच स्विंग स्टेट्स पर सबकी निगाहें टिकी हैं. कहा जाता है कि इस स्विंग स्टेट में जो जीतता है वही व्हाइट हाउस पहुंचता है. 100 साल का इतिहास यही कहता है. खास बात यह है डोनाल्ड ट्रंप फ्लोरिडा में निर्णायक रूप से आगे चल रहे हैं. फ्लोरिडा के अलावा पेंसलवेनिया और ओहायो पर हर किसी की नज़र टिकी हुई है, जो इलेक्टोरल वोट के अनुसार बड़े राज्य हैं. न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, कैलिफोर्निया भी ऐसे बड़े स्टेट हैं, जो जीत के हिसाब से अहम हैं.
- अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं और हर राज्य में इलेक्टर्स की निश्चित संख्या है. ऐसे में जो भी उम्मीदवार अधिक राज्यों में इलेक्टर्स जीतता है तो वही राष्ट्रपति बनेगा. अमेरिका में कुल इलेक्टर्स की संख्या 538 है और बहुमत के लिए 270 का आंकड़ा चाहिए. यानी डोनाल्ड ट्रंप या जो बिडेन को 270 के जादुई आंकड़े को पार करना होगा. आइए जानते हैं 5 बड़े राज्यों में क्या हैं अब तक के ट्रेंड्स:-
फ्लोरिडा: अमेरिका में कहा जाता है कि फ्लोरिडा जीतने वाला ही व्हाइट हाउस पहुंचता है. यहां 80% वोटों की गिनती हो चुकी है. 50 फीसदी पॉपुलर वोट्स ट्रंप को मिले हैं. ये पिछली बार से ज्यादा है. मिशिगन में भी ट्रंप ने बढ़त बना रखी है.न्यूयॉर्क: जो बाइडन न्यूयॉर्क में ट्रंप से काफी आगे निकल गए हैं. वह इस राज्य में जीत की ओर हैं. ताजा रुझानों के मुताबिक, डेमोक्रेट्स पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन 119 इलेक्टोरेल वोट पा चुके हैं. जबकि डोनाल्ड ट्रंप 92 इलेक्टोरेल वोट पर हैं.पेंसलवेनिया: स्विंग स्टेट पेंसलवेनिया में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन ने निर्णायक बढ़त बना रखी है. वो डोनाल्ड ट्रंप से बहुत आगे निकल गए हैं. इस राज्य में उनकी जीत पक्की मानी जा रही है.कोलंबिया: डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने कोलंबिया भी अपने नाम कर लिया है. यहां ट्रंप शुरुआत से ही पीछे चल रहे थे. स्विंग स्टेट में शामिल कोलंबिया को जीतना राष्ट्रपति पद तक पहुंचने के लिए बहुत जरूरी था.
ओहियो: डोनाल्ड ट्रंप ने ओहायो में जीत दर्ज की है. यहां पहले जो बाइडन आगे चल रहे थे.