विंग कमांडर शालिजा धामी बनीं देश की पहली फ्लाइट कमांडर, स्थाई कमीशन भी मिलेगा
आसमान में अपनी क्षमता और काबिलियत को फिर एक बार साबित किया है एक बेटी ने. इस बेटी का नाम है - शालिजा धामी. विंग कमांडर शालिजा देश की पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी हैं जो फ्लाइट कमांडर बनी हैं.
नई दिल्ली। मेरे देश की बेटियां आसमान छू रही हैं. आसमान में अपनी क्षमता और काबिलियत को फिर एक बार साबित किया है एक बेटी ने. इस बेटी का नाम है – शालिजा धामी. विंग कमांडर शालिजा देश की पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी हैं जो फ्लाइट कमांडर बनी हैं. 15 साल से वायुसेना में रहते हुए देश के सेवा करने वाली शालिजा धामी ने हिंडन एयर बेस में चेतक हेलिकॉप्टर यूनिट में फ्लाइट कमांडर का पदभार संभाला है.
Indian Air Force’s Wing Commander S Dhami has become the first female officer in the country to become the Flight Commander of a flying unit. She took over as Flight Commander of a Chetak helicopter unit at Hindon air base. Flight Commander is the second in command of the unit. pic.twitter.com/JRTzYATGMP
— ANI (@ANI) August 27, 2019
फ्लाइट कमांडर का पद वायुसेना में पहली प्रमुख लीडरशिप पोजिशन होती है. शालिजा धामी के यहां पहुंचने से महिलाओं के लिए वायुसेना में आगे बढ़ने का रास्ता खुला है. नौ साल के बच्चे की मां शालिजा पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ी हैं. वे बचपन से ही पायलट बनना चाहती थी. 15 साल के अपने करियर में वे चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती रही हैं. विंग कमांडर धामी चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए भारतीय वायुसेना की पहली महिला योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं.
2300 घंटे तक उड़ान का अनुभव रखने वाली शालिजा धामी वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्हें लंबे कार्यकाल के लिए स्थाई कमीशन प्रदान किया जाएगा. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई जीतने के बाद महिला अधिकारियों को अपने पुरुष समकक्षों के साथ स्थाई कमीशन पर विचार करने का अधिकार मिला है. आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना में 1994 में पहली बार महिलाओं को शामिल किया गया. लेकिन उन्हें नॉन-कॉम्बैट रोल दिया गया. धीमे-धीमे करके महिलाओं ने संघर्ष करके अब कॉम्बैट रोल्स हासिल किए हैं.
कैसे मिलता है स्थाई कमीशन
वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि वायुसेना में महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन दो बातों पर निर्भर करता है पहला- वैकेंसी की संख्या और दूसरा- मेरिट. उन्होंने कहा वायुसेना के साथ सभी सेना में महिलाओं की भर्ती के लिए कोई पाबंदी नहीं है. स्थाई कमीशन के लिए चयन होने से पहले महिला ऑफिसर ने 13 साल तक वायुसेना में अपनी सेवा दी हो. जिसके बाद उनका चयन स्थाई कमीशन लागू किया जाएगा. बता दें, महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत एयरफोर्स में नियुक्त की जाती है.
क्या होगा फायदा
महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से महिला उम्मीदवार ज्यादा वक्त तक सेना में काम कर सकेंगी और उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी. स्थाई कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी और इसे बढ़ाया भी जा सकता है. वहीं बीएस धनोआ ने कहा, “अगर महिलाएं चाहती हैं तो वह स्थायी कमीशन तहत काम कर सकती हैं. क्योंकि सेना में वह शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत काम करती हैं.
पहले क्या थे नियम
इससे पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी 10 साल की सर्विस के बाद स्थाई कमीशन के लिए योग्य होते हैं, लेकिन उनका एनुअल रिपोर्ट में ट्रैक अच्छा होना चाहिए. वहीं स्थाई कमीशन के आधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन में शिफ्ट नहीं हो सकते हैं. अगर कोई जाना चाहता है तो उसे रिटायरमेंट लेना होगा.