कामयाबी / परमाणु क्षमता से युक्त के-4 मिसाइल का अंडरवाटर टेस्ट, एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मात देने में सक्षम
के-4 बैलिस्टिक मिसाइल की तैनाती देश में बनी अरिहंत क्लास पनडुब्बियों पर की जाएगी के-4 का परीक्षण रविवार दोपहर आंध्र प्रदेश के तट पर अंडरवाटर प्लेटफॉर्म से किया गया
नई दिल्ली. परमाणु क्षमता से युक्त के-4 मिसाइल का रविवार को अंडरवाटर टेस्ट सफल रहा। सरकार के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि रविवार को दिन में आंध्र प्रदेश के तट पर अंडरवाटर प्लेटफॉर्म से 3500 किलोमीटर रेंज वाली इस मिसाइल को दागा गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने इस मिसाइल का निर्माण भारत में बनी अरिहंत क्लास परमाणु पनडुब्बियों के लिए किया है। रफ्तार की वजह से के-4 बैलिस्टिक मिसाइल को कोई भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम ट्रैक नहीं कर सकता।
के-4 क्यों खास है?
के-4 के परीक्षण के साथ ही भारत भी अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में शामिल हो गया है, जो जल-थल-नभ से परमाणु क्षमता युक्त मिसाइलें दागने में सक्षम है। के-4 की बात करें तो यह अपनी तकनीक और हाईपरसोनिक रफ्तार (6 हजार किमी/घंटे से ज्यादा) की वजह से खास है। इस रफ्तार की वजह से एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे ट्रैक करके नष्ट नहीं कर सकते।
के-4 के अलावा भारत के पास बीओ-5 मिसाइल भी
- परमाणु पनडुब्बियों पर तैनाती से पहले भारत अभी इस मिसाइल के और टेस्ट करना चाहता है। अभी भारत में केवल एक आईएनएस अरिहंत ऑपरेशनल है।
- के-4 पानी के अंदर से दागी जाने वाली उन दो मिसाइलों में हैं, जिन्हें भारत ने नेवी के लिए बनाया है। दूसरी मिसाइल बीओ-5 है, जिसकी रेंज 700 किलोमीटर है।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, के-4 के परीक्षण की कई कोशिशें दो साल के भीतर नाकाम हुई थीं। पिछले साल नवंबर में भी इसका परीक्षण तय था, लेकिन बंगाल की खाड़ी से उठे भीषण चक्रवाती तूफान “बुलबुल’ के चलते इसे टालना पड़ा।
- डीआरडीओ ने भी के-4 के परीक्षण को सफल करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी थी, क्योंकि वह के-4 के टेस्ट के बाद ही के-5 के बनाने पर विचार कर रहा है। के-5 की रेंज 5 हजार किलोमीटर होगी।