कश्मीर की लड़ाई को लेकर UNHRC पहुंचा भारत, अजय बिसारिया के नेतृत्व में टीम जिनेवा रवाना

भारत भी पाकिस्तान के सामने कश्मीर पर अपनी कूटनीतिक लड़ाई लड़ने को तैयार है. हाल के दिनों में ही भारत ने एचआरसी के प्रमुख सदस्यों से बातचीत भी की है. अब भारत ने वरिष्ठ राजनयिक अजय बिसारिया के नेतृत्व में एक टीम जिनेवा के लिए भेजी है जो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कश्मीर मुद्दे को लेकर अपना पक्ष रखेगी.

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नई दिल्लीः भारत सरकार ने वरिष्ठ राजनयिक अजय बिसारिया के नेतृत्व में एक टीम को जिनेवा के लिए भेजी है जो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कश्मीर मुद्दे को लेकर अपना पक्ष रखेगी. कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पहुंचा है और पाकिस्तान के इसी प्रयास को रोकने के लिए भारत का यह डेलिगेशन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पाकिस्तान की तरफ से पूर्व विदेश सचिव तहमीना जंजुआ और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जिनेवा में मौजूद होंगे जो मानवाधिकार निकाय के 42 वें सत्र को संबोधित करेंगे.

कश्मीर मुद्दे को लेकर 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने कहा कि भारत, कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है. पाकिस्तान एचआरसी में कश्मीर पर एक विशेष सत्र के लिए खड़ा हुआ, लेकिन इस तरह के सत्र के लिए आवश्यक 16 वोट पाने में विफल रहा तो उसने इसे दो विकल्पों के साथ छोड़ा. पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर पर एक विशेष चर्चा हो या भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया जाए.

एचआरसी सत्र 9-27 सितंबर तक चलेगा और पाकिस्तान के पास इन दोनों प्रस्तावो के लिए नोटिस देने के लिए 19 सितंबर तक का समय है. सोमवार को यूरोपीय संघ की संसद में कश्मीर पर चर्चा होने की उम्मीद है.

भारत भी इस पर अपनी कूटनीतिक लड़ाई लड़ने को तैयार है. हाल के दिनों में ही भारत ने एचआरसी के प्रमुख सदस्यों से बातचीत की है. पीएम मोदी ने बहरीन के पीएम (वर्तमान में UNHRC सदस्य)के सामने बियारिट्ज में जी 7 शिखर सम्मेलन के मौके पर इस मुद्दे को उठाया था. साथ ही उन्होंने यूके के पीएम बोरिस जॉनसन के साथ-साथ अन्य नेताओं से मुलाकात की, जो वर्तमान में जापान, चिली और सेनेगल जैसे एचआरसी के सदस्य हैं.

भारत ने शुरू कर दी कूटनीतिक कोशिश
वहीं विदेश मंत्री जयशंकर भारत के पड़ोस में नेपाल और बांग्लादेश से शुरू होकर कई परिषद सदस्यों तक पहुंच चुके हैं. पिछले हफ्ते वो हंगरी और पोलैंड की यात्रा के दौरान विसेग्रेद देशों में भी पहुंचे. इस साल काउंसिल में विसेग्रेड के चार में से तीन –चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी –परिषद में हैं. द्विपक्षीय संबंधों के साथ, ब्रसेल्स में, जयशंकर ने यूरोपीय परिषद और आयोग दोनों के साथ कश्मीर पर अपना राजनयिक समझौता किया.

भारत में रखा अपना पक्ष
UNHRC में, भारत का प्रयास पीओके में, विशेष रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के अपने मानव अधिकारों के उल्लंघन को इंगित करना होगा. भारत सीमा पार से होने वाले आतंक पर ध्यान केंद्रित करेगा और घाटी में मौजूदा हमलों का बचाव आतंकी हमलों के खिलाफ करेगा. पिछले कुछ दिनों में, भारत ने पाकिस्तान पर मानवाधिकारों के दबाव को भी कम कर दिया है, जिससे सिख लड़कियों की जबरन इस्लाम में धर्मांतरण की खबरें आ रही हैं.

पाकिस्तान ने लिखा संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को खत
इस बीच, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने ये मांग की और लिखा कि भारत कश्मीर में “एकतरफा कार्रवाइयों को रद्द करे, कर्फ्यू और अन्य कठोर उपायों को उठाए और कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों को बहाल करे.”.

विदेश मंत्री का बयान
और इसी बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रसेल्स में एक साक्षात्कार में कहा कि आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को कम किया जाएगा. उन्होंने यह कहते हुए पाकिस्तान से बातचीत के सुझावों को भी ठुकरा दिया और कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म नहीं करेगा बातचीत संभव नहीं है.

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