मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गया है. मुंबई के नागपाड़ा इलाके में कल रात 10 बजे से प्रदर्शनकारी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं. दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में पिछले एक महीने से सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं.
शाहीन बाग की तर्ज पर #mumbaiBagh ट्रेंड
शाहीन बाग की तर्ज पर सोशल मीडिया पर #mumbaiBagh का इस्तेमाल करके लोग इस प्रदर्शन में आने की अपील कर रहे हैं. मुंबई सेंट्रल नागपाड़ा इलाके में हो रहे इस प्रदर्शन में लोग लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जबतक सीएए और एनआरसी को लेकर सरकार कोई निर्णय नहीं लेती, तबतक ये प्रदर्शन जारी रहेगा.
Mumbai: People hold protest against Citizenship Amendment Act, National Register of Citizens and National Population Register, at Morland Road. #Maharashtra pic.twitter.com/fXG8OpY2l7
— ANI (@ANI) January 27, 2020
इस विरोध-प्रदर्शन में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं जो हाथों में तिरंगा, बैनर और पोस्टर्स लेकर सड़क पर बैठी हुई हैं. प्रदर्शन में मुंबई पुलिस भी पहुंची, जिससे लोगों को समझाकर वहां से हटाया जा सके. कल दिल्ली पुलिस के दो डीसीपी और एडिशनल सीपी मौके पर पहुंचे, लेकिन घंटों प्रदर्शनकारियों को समझाने की बाद भी पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा.
इस प्रदर्शन में हजारों लोगों की भीड़ मौजूद है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जबतक सरकार सीएए को वापस नहीं लेती, हम ऐसी ही प्रदर्शन करते रहेंगे.
नसीरुद्दीन-मीरा नायर समेत 300 हस्तियों ने जारी किया खुला बयान
वहीं, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, फिल्म निर्माता मीरा नायर, गायक टीएम कृष्णा, लेखक अमिताव घोष, इतिहासकार रोमिला थापर समेत 300 से ज़्यादा हस्तियों ने सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले छात्रों और अन्य के साथ एकजुटता प्रकट की है. ‘इंडियन कल्चरल फोरम’ में 13 जनवरी को प्रकाशित हुए बयान में इन हस्तियों ने कहा कि सीएए और एनआरसी भारत के लिए “खतरा” हैं.
बयान में कहा गया है, ‘‘हम सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले और बोलने वालों के साथ खड़े हैंय संविधान के बहुलवाद और विविध समाज के वादे के साथ भारतीय संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए उनके सामूहिक विरोध को सलाम करते हैं. मौजूदा सरकार की नीतियां और कदम धर्मनिरपेक्ष और समावेशी राष्ट्र के सिद्धांत के खिलाफ हैं. इन नीतियों को लोगों को असहमति जताने का मौका दिए बिना और खुली चर्चा कराए बिना संसद के ज़रिए जल्दबाज़ी में पारित कराया गया है.’’
बयान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई की भी आलोचना की गई है. :