चीन के साथ सीमा विवाद पर विदेश मंत्री:जयशंकर ने कहा- एलएसी पर हालात नाजुक, इस पर गहरी राजनीतिक चर्चा की जरूरत; 10 सितंबर को रूस में चीन के विदेश मंत्री से हो सकती वार्ता
पूर्वी लद्दाख में 4 महीने से सीमा विवाद बना हुआ है, दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने हैं जयशंकर ने कहा- सीमा की स्थिति को पड़ोसी के साथ संबंधों से अलग करके नहीं देखा जा सकता
लद्दाख में भारत और चीन के बीच चार महीनों से तनाव बना हुआ। इस बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में हालात बहुत नाजुक हैं। ऐसे हालात में दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर पर बातचीत की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘सीमा की स्थिति को पड़ोसी के साथ संबंधों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। किन्हीं भी दो देशों के बीच अच्छे रिश्ते का आधार शांति होती है।’ जयशंकर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज रूस के लिए रवाना होंगे। यहां 10 सितंबर को उनकी चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है।
चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को चार दिवसीय रूस यात्रा के लिए रवाना होंगे। जयशंकर मॉस्को में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री यात्रा के दौरान ईरान में रुक सकते हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक मॉस्को में जयशंकर द्वारा चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। इस बैठक में सीमा विवाद का मुद्दा उठ सकता है। जयशंकर मॉस्को में आयोजित आठ सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं जिसमें भारत और चीन सदस्य हैं।
एक हफ्ते में दोनों देशों के बीच दूसरी हाई लेवल मीटिंग हो सकती है
जयशंकर और वांग यी के बीच अगर 10 सितंबर को बैठक होती है, तो यह एक हफ्ते में दोनों देशों के बीच दूसरी हाईलेवल मीटिंग होगी। इससे पहले मॉस्को में एससीओ समिट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष से मुलाकात की थी। इसमें राजनाथ ने कहा था, ‘भारत अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा। हम किसी भी कीमत पर देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन को एलएसी का सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने के लिए कोई भी एकतरफा कोशिश नहीं करनी चाहिए।’
4 महीने से तनाव बना हुआ है
- भारत और चीन के बीच मई से तनाव बना हुआ है। सबसे पहले गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे।
- इसके बाद, 29 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की इस कोशिश को नाकाम कर दिया था।
चीनी विदेश मंत्री को दिया गया था कड़ा संदेश
राजनाथ और फेंगही के बीच हुई बातचीत में सिंह ने वेई को विशेष तौर पर कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा और वह किसी भी कीमत पर अपनी अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आधिकारिक बयान के मुताबिक सिंह ने चीनी समकक्ष को बता दिया कि चीन को सख्ती से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने के लिए कोई भी एकतरफा कोशिश नहीं करनी चाहिए।
वांग और जयशंकर के बीच हो सकती है वार्ता
बताया जा रहा है कि जयशंकर और वांग की गुरुवार को द्विपक्षीय बैठक होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि विदेश मंत्रियों ने 17 जून को फोन पर बात की थी और इस दौरान पूरे मामले को जिम्मेदार तरीके से संभालने पर सहमति बनी थी।
लद्दाख झड़प को लेकर हुई थी बातचीत
जयशंकर और वांग के बीच हुई बातचीत दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवां घाटी में हुई झड़प के दो दिन बाद हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प से तनाव कई गुना बढ़ गया। इस झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन अब तक चीन की ओर से जानकारी नहीं दी गई है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।