रेटिंग्स डाउनग्रेड की​ चिंता न करें, भारत में आता रहेगा विदेशी निवेश: शक्तिकांत दास

RBI द्वारा जारी मई महीने की बुलेटिन में शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा है कि विदेशी निवेशकों के लिए सरकारी नीतियां, अर्थव्यवस्थाा के फंडामेंटल्स और आउटलुक अधिक मायने रखता है. हालांकि, इस दौरान उन्होंने रेटिंग एजेंसियों की महत्व को पूरी तरह से नहीं नकारा.

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नई दिल्ली. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का कहना है कि रेटिंग्स डाउनग्रेड होने की वजह से विदेशी निवेश रुकने की चिंता नहीं है. RBI के मई महीने के बुलेटिन (RBI Bulletin May 2020) में शक्तिकांत दास ने कहा कि विदेशी निवेशक (Foreign Investors) अपने निवेश से पहले सरकार की नीतियां, मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और आउटलुक पर ज्यादा ध्यान देते हैं. दास ने कहा कि भारत को लेकर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम है. बता दें कि कई प्रमुख रेटिंग एजेंसियों (Rating Agencies) ने कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए रेटिंग्स घटाया है.

भारत विदेशी​ निवेशकों का भरोसा कायम
दास ने कहा कि रेटिंग डाउनग्रेड या अपग्रेड से इतर, भारत लगातार विदेशी निवेशकों को भरोसा जीतता रहा है. फिर चाहें हो विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) हो या प्रत्यक्ष विदेश निवेश (FDI) की हो. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की नीतियां, मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और आउटलुक भी विदेशी निवेशकों के लिए बेहतर है.

रेटिंग्स के महत्व को पूरी तरह से नहीं नकारा

कोरोना वायरस संकट की वजह से दुनियाभर में सेंटीमेंट खराब है. भारत में भी विदेशी निवेश के मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है. मार्च 2020 में विदेशी निवेशकों ने बड़े स्तर पर भारतीय बाजार और बिजनेस से अपना पूंजी निकाला है.

 

विदेशी निवेशकों ने ​मार्च में निकाले 1.13 लाख करोड़ रुपये
नेशनल सिक्योरिटी एंड डिपॉजिटरी लिमिटेड यानी एनएसडीएल द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में कुल ​एफपीआई विड्रॉल रिकॉर्ड 1.13 लाख करोड़ रुपये रहा. इसके साथ ही ल​गातार दो वित्तीय वर्ष तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक नेट सेलर्स बने रहे. अभी तक विदेशी निवेशकों लगातार भारतीय बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं.

वैश्विक मंदी की आशंका ने बढ़ाई चिंता
पिछले वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में, एफडीआई इनफ्लो करीब 36.8 अरब डॉलर रहा था. पिछले 16 साल में सामान अवधि में यह सबसे उच्चत आंकड़ा था. केयर रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी थी. लेकिन, वैश्विक मंदी की आशंका ने कुछ सेक्टर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मोर्चे पर चिंता पैदा कर दी है.

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